Wednesday, 13 May 2015

सापेक्ष



सापेक्ष

मैं तुमसा नहीं हो सकता
नहीं रखो आशाएं मुझसे
मैं जैसा हुं
इसी में सुकून है
इसी में स्वीकार्य है
तुम जैसा होना
संभव नहीं मेरे लिए।
अपनी चाल ढाल, विचार
तुम्हारे अनुरूप बदलना
मुमकिन नहीं मेरे लिए।
मुझे बनाया है
मेरे इतिहास ने
तुम्हारे इतिहास के सापेक्ष।
मत कहो
बदलने के लिए
अपनापन
तुम्हारा होने को।
रहने दो अवस्थित
अपने में
खोजने दो
जीवन यात्रा का मर्म
अर्थ- अनर्थ
अपने औजारों से।
--- समीर कश्यप
13-5-2015

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