मंडी। बयासी साल के आरोपी के खिलाफ पोती की उम्र की नाबालिगा से दुराचार करने का अभियोग साबित होने पर अदालत ने उसे दस साल के कठोर कारावास और दस हजार रूपये जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है। इसके अलावा पीडिता के पक्ष में पीडिता हर्जाना स्कीम के तहत 25 हजार और आरोपी से मिलने वाले जुर्माने में से पांच हजार रूपये बतौैर हर्जाना अदा करने के आदेश दिये हैं। जिला एवं
सत्र न्यायधीश बलदेव सिंह की विशेष अदालत ने पोकसो अधिनियम की धारा 6 और भादंस की धारा 376 के तहत अभियोग साबित होने पर सरकाघाट तहसील के भगवान ढांगर (बाडी) निवासी बक्शी राम पुत्र माडु राम को दस साल के कठोर कारावास और 25 हजार रूपये जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है। आरोपी के जुर्माना राशि निश्चित समय में अदा न करने पर दो माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना
होगा। जबकि पीडिता के पक्ष में 25000 रूपये पीडिता हर्जाना स्कीम के तहत और आरोपी से मिलने वाले जुर्माने में से पांच हजार रूपये की राशि बतौर हर्जाना अदा की जाएगी। अभियोजन पक्ष के अनुसार 20 नवंबर 2013 को पीडिता ने अपनी माता से शरीर में दर्द होने की शिकायत की। पीडिता की माता के पूछने पर उसने बताया कि वह आरोपी के पोतियों के साथ उनके घर में खेल रही थी। इसी दौरान आरोपी
ने उसके साथ दुराचार किया। परिजनों की शिकायत पर सरकाघाट थाना पुलिस ने मामला दर्ज करके आरोपी को हिरासत में लिया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए जिला न्यायवादी आर के कौशल ने 17 गवाहों के बयान कलमबंद करके मामले को साबित किया। जबकि बचाव पक्ष की ओर से भी तीन गवाहों के बयान कलमबंद किये गए। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की
ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ नाबालिगा से दुराचार का अभियोग संदेह की छाया से दूर साबित हुआ है। सजा की अवधि पर सुनवाई के बाद अदालत ने अपने फैसले में कहा कि हालांकि इस अपराध के लिए कम से कम दस वर्ष और अधिकतम उम्र कैद की सजा का प्रावधान है। लेकिन आरोपी की वृद्ध अवस्था को देखते हुए अदालत ने उसे उक्त कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है।
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