मंडी। ...भले ही रोहतांग की नयनाभिराम सुंदरता को निहारने के अभिलाषी पर्यटकों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से शुक्रवार को अंतरिम राहत नहीं मिल पाने से मायूसी का सामना करना पड रहा है। लेकिन इसके बावजूद भी पर्यटकों का कुल्लू-मनाली की ओर आने का सिलसिला थम नहीं रहा है। हालांकि पर्यटक रोहतांग के दीदार से वंचित हैं लेकिन तब भी अनूठे नज़ारों से भरपूर व्यास नदी घाटी का सौंदर्य उनका ढाढस बांध रहा है। भारी गर्मी के मौसम में बर्फ का दीदार करने के लिए देश विदेश के पर्यटकों के लिए जम्मु-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश पहली पसंद रहते हैं। श्रीनगर में हालात खराब होने के कारण पर्यटकों का रूख विगत कई सालों से हिमाचल प्रदेश की ओर हो गया है। व्यास नदी घाटी के अपार सौंदर्य और गर्मी के सीजन में भी बर्फ से लकदक रोहतांग पास की सौगात होने के कारण मनाली अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी के रूप में उभरा है। रोहतांग में लगभग 15 से 20 हजार पर्यटक हर रोज रोहतांग का दीदार करने के लिए पहुंचते थे। लेकिन पर्यटकों की भारी आमद के कारण पर्यावरण को हो रहे नुकसान के चलते राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्युनल ने रोहतांग जाने के लिए अब मात्र एक हजार लोगों को ही प्रतिदिन जाने की अनुमति दी है। इसके अलावा पर्यावरण टैक्स के रूप में रोहतांग घुमाने के लिए ले जाने वाली पेट्रोल वाहनों से एक हजार रूपये और डीजल वाहनों से पच्चीस सौ रूपये अदा करने के आदेश दिये गए हैं। वहीं पर चालकों को विशेष इंधन वाहन के लिए प्रयोग करने को कहा गया है। जिससे मनाली से रोहतांग ले जाने वाले टैक्सी चालकों में भारी रोष है और इस फैसले से करीब 15 सौ वाहन चालकों की रोजी रोटी पर फर्क पड रहा है। वहीं पर यह विशेष इंधन प्रदेश भर में उपलब्ध नहीं है। ऐसे में उन्होने ग्रीन ट्रिब्युनल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रील कोर्ट ने प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करके इस बारे में अपना जवाब 25 मई को पेश करने को कहा है। इसी बीच शुक्रवार को ही कुल्लू जिला मुख्यालय में किसी कार्यवश जाने का मौका मिला तो पाया कि रोहतांग बंद होने और टैक्सी चालकों की हडताल होने के बावजूद भी पर्यटकों के वाहनों के काफिलों का कुल्लू मनाली की ओर बढना बंद नहीं हुआ है। अब जबकि गर्मी दिनों दिन बढती जा रही है तो ऐसे में चिल्लचिलाती गर्मी से राहत पाने के लिए हिल स्टेशन का पर्यटन अब लोगों की प्राथमिकताओं में शामिल होता जा रहा है। हालांकि ऐसा नहीं है कि पहाड नहीं तप रहे हों। कंक्रीट के जंगल पहाडों में भी भारी संख्या में उभर आए हैं। जिसके चलते व्यास नदी घाटी के जिन स्थानों पर सेब भारी पैमाने पर होते थे वहां का तापमान इतना बढ गया है कि लोगों को सेब के पेड हटा कर पलम या अनार के बगीचे तैयार करने पड रहे हैं। लेकिन बर्फ के दीदार के बगैर और कंक्रीट के जंगलों के बावजूद भी व्यास नदी घाटी को अपार सौंदर्य का वरदान है। कल कल बहती, अपने आकर्षण से मोहित करती, कहीं आक्रोषित तो कहीं शांत हो जाती गलेशियरों से उतरती व्यास नदी की शीतल धारा पर्यटकों को अपनी ढंडक से सरोबार कर राहत पहुंचाती है। देवदारों को छू कर शिखरों से घाटी में उतरती ठंडी हवाओं के शीतल रेले उन्हे अभिभूत कर जाते हैं। यह सही है कि रोहतांग के दीदार को पर्यटक अपना गंतव्य मानते हैं। लेकिन मौजूदा स्थिती जैसे हालातों से जूझने के लिए और रोहतांग में पर्यटकों का दवाब कम करने के लिए व्यास नदी घाटी में पर्यटन से जुडे अन्य पहलुओं व स्थलों को उजागर करके विकल्प प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
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