मंडी। सौ दिनों से अधिक देरी पर सूचना उपलब्ध करवाने पर राज्य मुखय सूचना आयुक्त ने तहसीलदार सदर और उनके स्टाफ के तीन कर्मियों को 25 जुर्माना अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा तहसीलदार को अपीलकर्ता के पक्ष में 3500 रूपये हर्जाना भी देने के आदेश दिये हैं। राज्य मुखय सूचना आयुक्त भीम सेन के न्यायलय ने सदर तहसील के छातर गरोडु (भंगरोटु) निवासी शिव राम पुत्र भजनु
राम की दूसरी अपील को स्वीकारते हुए तात्कालीन तहसीलदार सदर अजय पराशर व उनके स्टाफ अधीक्षक मीना शर्मा, रीडर टेक चंद और अहलमद पवन कुमार को देरी से सूचना देने का दोषी मानते हुए 25000 रूपये जुर्माना अदा करने का फैसला सुनाया है। तहसीलदार सहित उक्त कर्मियों को यह राशि बराबर भाग में आदेश के तीस दिनों के भीतर सरकार के खजाने में जमा करनी होगी। इसके अलावा
तहसीलदार को अपीलकर्ता के पक्ष में 3500 रूपये हर्जाना भी अदा करना होगा। अधिवक्ता आर के चावला के माध्यम से राज्य आयुक्त के न्यायलय में दायर दूसरी अपील के तथ्यों के अनुसार अपीलकर्ता शिव राम ने जन सूचना अधिकारी तहसीलदार सदर को सूचना मुहैया करने के लिए 15 फरवरी 2013 को आवेदन किया था। उन्होने तकसीम की 2010 की फाइल संखया 18,19,20, 21, 22, 23 और 24 की
कापी सूचना के अधिकार के तहत मांगी थी। लेकिन उन्हे सिर्फ फाइल संखया 19 की ही सूचना मुहैया करवाई गई। आधी अधूरी सूचना मुहैया करवाए जाने पर उन्होने प्रथम अपील दायर की थी। प्रथम अपील के दौरान भी पूरी सूचना न मिल पाने के कारण उन्होने राज्य आयुक्त के न्यायलय में दूसरी अपील दायर की थी। अपील की सुनवाई के दौरान राज्य आयुक्त न्यायलय ने 18 नवंबर 2013 को विस्तृत
अंतरिम आदेश में अपीलकर्ता को उपलब्ध करवाई गई सूचना को गुमराह करने वाली सूचना करार दिया था। आयुक्त ने जन सूचना अधिकारी को निर्देश दिये थे कि वह 14 दिनों के भीतर पूरी सूचना उपलब्ध करवाए। लेकिन अधिकारी ने अंतरिम आदेशों की अनुपालना नहीं की और 22 मार्च 2014 को सुनवाई के दौरान पूरी सूचना उपलब्ध करवाई। अंतरिम आदेश की अनुपालना न करके देरी से सूचना मुहैया
करवाने पर आयुक्त ने जन सूचना अधिकारी व कर्मियों को दोषी करार दिया। आयुक्त ने अपने फैसले में कहा कि सूचना मुहैया करवाने में 100 दिनों से अधिक देरी हुई है जिसके लिए सूचना अधिकार अधिनियम की धारा 20 में अधिकतम 250 रूपये प्रतिदिन के जुर्माने का प्रावधान है। ऐसे में राज्य मुखय सूचना आयुक्त के न्यायलय ने तात्कालीन तहसीलदार सदर और कर्मियों को उक्त जुर्माना और हर्जाना
अदा करने का फैसला सुनाया है।
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