Saturday, 9 January 2016

मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है...


मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है

छोटी-2 पहाडियों से घिरा
रात की रोशनियों में
हीरे जवाहरातों की चमकती
कटोरी सा दिखता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।


स्मार्ट सिटी की दौड से बाहर
सभी दिशाओं की
हरितमा को लीलता
बेतरतीब बढता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।


ब्यास, सुकेती,
सकोहडी खड्डों, नालों
के रौद्र से बचाने को
सुरक्षा की दरकार करता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।


गारबेज कुलेक्शन के कर्फ्यु
की सीटी पर पंक्तिबद्ध चलता
न चल पाने पर
गंदगी झेलने को
अभिशप्त रहता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।


शौचालयों पर जडे तालों
का अभ्यस्त खुले में
शौच फैलाने की
सामंती प्रवृति से
शर्मसार करता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।


खूब सारे बच्चे हैं
पर कोई पार्क नहीं
शहर बच्चों को
पार्क में नहीं देखता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।


हजारों गाडियों का
मालिक है
पर पार्किंग को परेशान रहता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।

बूढी बावडियों का मीठा जल
सीवरेज के रिसाव से
कसैला करता जाता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।


फुटपाथों पर अतिक्रमण करवा
आंख मूंद सो जाता
बुजुर्गों, महिलाओं व बच्चों
का गुजरना दुश्वार बनाता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।

पुरानी और नयी मंडी का
संवाद बनाता
1875 में जन्मा 
141 साल का बुजुर्ग
धरोहर विक्टोरिया पुल
छलनी पीठ सहलाने
की बाट जोहता
वाहनों के भारी दबाव में
घूंट-घूंट रोता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।


जगह-2 बने
छोटे बस स्टॉप पर
लोगों को बैठने की
अनुमति नहीं देता
भीष्ण लू को झेलना
स्वीकार करता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।


मौत हो जाने पर
हनुमान घाट में इकठा हो
शमशानों की खस्ता हालत
का तकाजा करता
फिर भूल जाता
अगले बार जाने पर
फिर चिंतन करता
फिर भूल जाता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।


ऐतिहासिक स्थल, धरोहर,
मंदिर, घाट, छहडु, नौण, बावडियों
से लबालब समृद्धशाली वैभव
लुप्त होता जाता
धार्मिक पर्यटन नगरी का
स्वरूप खोता जाता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।


विजय सीनियर सैंकडरी का ओ ब्लॉक
नामी कृतध्न नेताओं, अफसरों को बनाता
खुद अपने रखरखाव को मोहताज हो जाता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।


प्रतिभाओं का अंबार रखता
रंगकर्म, संगीत और अन्य कलाओं से
प्यार रखता
पर सांस्कृतिक गतिविधियों के
केन्द्र की नहीं दरकार रखता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।


पुरातत्व, साहित्य, संगीत, चित्रकला, रंगकर्म,
नृत्य और लोक कला से समृध
सांस्कृतिक राजधानी कहलाता
अभिभूत हो जाता
पर अपने लिए कोई प्रेक्षागृह
नहीं बनवाता
सब जगह अपनी औकात से
शर्मसार करवाता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।


अस्पतालों में मरीजों की
लंबी लाइन लगवाता
गरीबों को घनघोर मंहगाई में
मुफ्त इलाज नहीं दिलवाता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।


माधो राव, सिद्ध गणपती, पंचवक्तर महादेव, सिद्ध काली,
सिद्ध भद्रा, सिद्ध सर, राम मंदिर, अर्धनारीश्वर,
अधिष्ठाता देव भूतनाथ, टारना माता, चिंतपूर्णी,
बालकरूपी, खुआराणी, डुगलीघाट, वेदांत कुटीर,
एकादश रूद्र, महाकाल, हनुमान घाट
शिव मंदिर, शिव रूद्र,
ऐतिहासिक गुरूद्वारों, मस्जिदों व
सर्वधर्म की नगरी छोटी काशी कहलाता
पर्यटन मानचित्र में अभी तक
उपस्थिति अपनी दर्ज न कर पाता
बेरूखी से इन स्थलों की
गौरव अपना खोता जाता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।


सैंकडों साल पुराने
इतिहास के गवाक्ष खोलते
दरबार हाल, एमरसन,
पैलेस और दमदमा
धरोहरों की अमुल्य संपदा
दफ्तरों और निजी हाथों में
खोता जाता नष्ट करवाता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।


गंधर्व, कांगणी,
मोतीपुर, ढांगसी
वनाच्छादित है प्रांतर सारा
विकास के नाम पर कटता जाता
कंकरीट का दावानल बढता जाता
हरी पट्टिका को भूरी बनाता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।


सरकारी घोषणा से
कुष्ठ रोग खत्म है
अस्पताल भी बंद है
रोगी से नफरत बंद नहीं है
समाज उन्हे नहीं स्वीकारता
सिर ढांपने को छत दिलाना
सरोकार अपना नहीं मानता
हां, हैं ऐसे भी चंद लोग व समूह
जो अपने स्तर पर युद्धरत हैं
मिजाज में अकसर अव्यक्त रहता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।

चौहट्टा शनिवार को बंद करवाता
बाईपास कोई बनवा नहीं पाता
दुपहिया तिपहिया का काफिला
मुहल्लों की महीन गलियों
पर कहर बरपाता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।

साहित्य चूडामणी
पंडित भवानीदत शास्त्री की सीख को
बिसरता जाता
मंडयाली बोली और भाषा
के संरक्षण पर मौन साध जाता
चंड महात्मा के संग्रहालय का सपना
पूरा न कर पाता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।

हनुमान घाट पर है बोझ बहुत
मुर्दों की बदबू से आए दिन
माहौल दूषित हो जाता
जीना मुहाल करता
नए शमशान न बनाता
भट्ठियां ठीक नहीं करवाता
शवगृह में लकडियां तक उपलब्ध
न कराता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।

शाम का धुंधलका
ब्यास नदी में झिलमिलाती रोशनियों
के बीच घाटों और मंदिरों से आती
शंख, घंटियों, झांझों और ढोलों के साथ
आरतियों की ध्वनियों से गुंजायमान नदी तट
काशी बनारस के घाटों की
याद ताजा करवाता
साहित्यकारों की सृजनशीलता को
नये आयाम देता
दिन के उजाले में
शहर भर की गंदगी के लिबास में लिपटा
उदघाटित होता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।

शिवा, डिभा, जौंचुनौण
सैंकडों बावडियां, छुहडु, नौणों का
मीठा जल निर्बाध बहता व्यर्थ
डंपिंग साइट में फैंकी गारबेज की
गंदगी के अर्क को
ब्यास नदी में घोल कर पिलाता
कमांद से करोडों रूपये में
पानी लाने की योजनाएं बनाता
मेरा शहर अपनी नगर परिषद चुनने जा रहा है।

खुले में स्मोकिंग अपराध है
स्मोकिंग जोन कोई न बनाता
अपराध बोध बढाता जाता
डस्ट बीनों को बंद करवाता
अनूठे कारनामे रचता जाता
मेरा शहर नगर परिषद चुनने जा रहा है।

शहर में कल चुनाव है
आज क्यामत की रात है
अब पछताए होत क्या
जब चिडियां चुग गई खेत की
चल रही गुपचुप बात है
शह मात का खेल जारी रखता
मेरा शहर नगर परिषद चुनने जा रहा है।
---समीर कश्यप
9-1-2016
...sameermandi.blogspot.com

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