मंडी। प्रोफेसर कृपाल सिंह ठाकुर के देहावसान पर सांस्कृतिक कर्मियों ने उन्हे भावभीनी श्रद्धांजली अर्पित की है। उनका दो दिन पुर्व दिल्ली के अस्पताल में देहांत हो गया। वह करीब 70 वर्ष के थे और पिछले कुछ
समय से बीमार चल रहे थे। उनके देहावसान की सूचना सूनकर मंडी के सांस्कृतिक क्षेत्र में शोक की लहर दौड गई है। वल्लभ महाविद्यालय में उनके कार्यकाल के दौरान अंग्रेजी विषय पढाने के साथ-2 उन्होने नाटक
की विधा को संजोने, संवारने, संरक्षित और संवर्धित करने में एक संस्थान की तरह योगदान दिया। इसके अलावा लोकनाटय, स्कीट, माईम और विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों को मुर्त रूप देने में प्रोफेसर कृपाल
और प्रोफेसर रवि की मुखय भूमिका रहती थी। उनसे नाटक का ककहरा पढने के बाद अनेकों शिष्य फिल्म, टीवी, नाटक, अखबार और चैनल के माध्यम से प्रदेश का नाम गौरवान्वित कर रहे हैं। दीनू कश्यप, सुंदर
लोहिया, प्रोफेसर रवि शर्मा, प्रोफेसर डी एन कपूर, शुक्ला शर्मा, लवण ठाकुर, सीमा, इंद्र पाल इंदू, राजेश, पुष्प राज, नीरज सूद, राकेश कुमार, कपिल शर्मा, सुमन कुमार, सपना, नरेश मस्ताना, गुलाब सिंह
ठाकुर, समीर कश्यप, शैलेष दीक्षित, संजीव डी सिल्वा, मधु चौधरी, वंदना, अर्चना धामा, संदीप सांखयान, प्रभात वैद्या, रमेश सिद्धु, कमल शर्मा, अरूण बहल, गगन, नीरज ठाकुर, संगीता कौशल, अरूण बहल, चंद्र पाल, ओंकार शाद, मुनीष ठाकुर, भौमिन पाठक, राजेश जोशी, शमीम शेख, डा. विजय गुप्ता, उमेश भारद्वाज, राज कुमार राकेश, अमर शर्मा, अनिल शर्मा, दलीप सिंह ठाकुर, अरविंद सहगल, आई डी शर्मा, वीरेन्द्र भट्ट शर्मा, राजेन्द्र चौहान, कुमार राजीव, कमल किशोर शर्मा, अशोक शर्मा, रूपेश्वरी शर्मा सहित रंगकर्मियों और सांस्कृतिक कर्मियों ने उन्हे विनम्र श्रद्धांजली अर्पित की है।
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