नकली महात्मा
पैसों से शिवरात्री की तरह पड्डल सजा देते हैं नकली महात्मा
गर्मी में भक्तों को तरबतर पसीने से नहा देते हैं नकली महात्मा,
हैं फ्राड पर धन के बल पर हजारों को खींच लाते हैं नकली महात्मा
दमघोंटु तनावग्रस्त लोगों को मंत्र बेच कर ठगते हैं नकली महात्मा
ढेरों पैसा बटोर कर अगले ठिकाने पर निकल जाते हैं नकली महात्मा
पालिटिशियन भी पानी भरते जिनका ऐसे ताकतवर हैं नकली महात्मा
भव्य पंडालों व स्वागत के तोरणद्वारों से हो गुजरते हैं नकली महात्मा
धंधे को ज्यादा कमाऊ बनाने के सारे गुर जानते हैं नकली महात्मा
ना हींग लगे ना फिटकरी पर रंग चोखा कर देते हैं नकली महात्मा
खून पसीने की कमाई को लूटने चूसने वाली जोंके हैं नकली महात्मा
देश भगवान भरोसे छोड कर लोगों को मुर्ख बनाते हैं नकली महात्मा
शक्तिमान हैं तो अखबारों में विज्ञापन क्यों छपवाते हैं नकली महात्मा
बडे-बडे नामचीनों संग फोटो खींच प्रचार क्यों करते हैं नकली महात्मा
व सिर्फ गर्मियों के ही सीजन में पहाडों को क्यों आते हैं नकली महात्मा
फेसबुक के साथी लाल सिंह जी से हुए वार्तालाप से यह कविता सामने आई है...
19-5-2013
समीर कश्यप
sameermandi@gmail.com
9816155600
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