Monday, 25 April 2016
टीसीपी एक्ट के कड़े प्रावधानों को वापिस लें
मंडी। मकान नियमितीकरण संघर्ष समिति (मंडी) ने टीसीपी एक्ट के कडे प्रावधानों को वापिस लेने के लिए प्रदेश के मुखयमंत्री व शहरी विकास मंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया है। मकान नियमितीकरण संघर्ष समिति की आपात बैठक संयोजक उत्तम चंद सैनी की अध्यक्षता में आयोजित की गई। जिसमें समिति ने मांग की है कि सरकार कडे टीसीपी कानून के प्रावधानों को निरस्त करके एकमुश्त नियमितिकरण की पॉलसी शीघ्र लाए। समिति के संयोजक उत्तम चंद, अध्यक्ष अमर चंद वर्मा, महासचिव सी एम वर्मा, सलाहकार हितेन्द्र शर्मा, प्रदीप परमार और मीडिया प्रभारी समीर कश्यप ने बताया कि इस बारे में प्रदेश सरकार से अनेकों बार ज्ञापन के माध्यम से संपर्क किया गया है। लेकिन अभी तक नया टीसीपी एक्ट बनाने के बारे में कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई जा सकी है। समिति के मुताबिक कडे टीसीपी कानून के प्रावधानों के चलते लोगों को अपने आशियाने बनाने में भारी मुसीबतों का सामना करना पड रहा है। समिति के अनुसार लोगों की अपनी जमीन पर बनाए गए मकानों को टीसीपी कानूनों के तहत अनाधिकृत घोषित करके उन्हे बिजली पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित कर दिया गया है। इन कठोर कानूनों को जनहित में तुरंत निरस्त किया जाए। इस प्रावधानों की जगह अनाधिकृत मकानों को नियमित करने के लिए एकमुश्त पालिसी लाई जाए। जिसके तहत कम से कम दरों पर लोगों के भवनों को नियमित करके उन्हे बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं तत्काल दी जाए। समिति के अनुसार मंडी जैसे पुराने शहरों में इन प्रावधानों के तहत भवन निर्माण करना संभव नहीं है। ऐसे में टीसीपी के मौजूदा प्रावधान नयी कलौनियों में ही लागू किये जाने चाहिए। समिति का कहना है कि हालांकि प्रदेश में अनाधिकृत भवनों की संखया करीब 30 हजार बतायी जा रही है। असलियत में प्रदेश में इन भवनों की संखया एक लाख से भी ज्यादा है और प्रदेश की बडी आबादी इन कठोर नियमों के चलते बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। समिति ने मुखयमंत्री वीरभद्र सिंह और शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा को ज्ञापन प्रेषित करके मांग की है कि मंडी जैसे पुराने शहरों में 40 से 200 वर्गमीटर क्षेत्र में बने अनाधिकृत भवनों को नियमित करने के लिए एकमुश्त पॉलिसी लायी जाए। जिसके तहत सौ फीसदी तक डैविएशन वाले भवनों को भी नियमित करने के छूट दी जाए। इस नियमितिकरण के लिए कुसुमपटी और न्यु शिमला क्षेत्र में 2006 की अधिसूचना की तर्ज पर आंशिक फीस निर्धारित करके भवनों का नियमितिकरण किया जाए। जिससे आम नागरिक इस नियमितिकरण की पॉलिसी का समुचित लाभ उठा सके।
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भाकपा ने की मजदूरों का न्युनतम वेतन बढ़ाने की मांग
मंडी। हिमाचल प्रदेश में विधायकों की भारी वेतन बढौतरी को देखते हुए मजदूरों का न्युनतम वेतन भी बढाने की मांग की गई है। भारतीय कमयुनिस्ट पार्टी की शहरी ईकाई ने इस बारे में प्रदेश सरकार से मांग उठाई है। भाकपा शहरी कमेटी के सचिव समीर कश्यप, प्रकाश पंत व राज सिंह मंडयाल ने वकतव्य जारी करके विधायकों के वेतन बढाने पर प्रदेश के मुखयमंत्री और विपक्ष के नेता से सवाल किये हंै। उन्होने कहा कि जिस जनता के मत से विधायक चुनकर विधानसभा में पहुंचे हैं उसके बारे में पक्ष विपक्ष ने वह सब कुछ क्यों नहीं किया जो अपने लिए किया है। आंगनवाडी, मिड डे, आशा वर्कर, पुलिस मैस कर्मी, मनरेगा कामगार, संगठित व असंगठित मजदूर वर्ग की जीवन दशा सुधारने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। भारतीय कमयुनिस्ट पार्टी ने मांग की है कि मजदूरों का न्युनतम वेतन 15000 रूपये मासिक निश्चित किया जाए। जिससे मजदूर वर्ग इस महंगाई के दौर में अपने परिवार के भरण पोषण के लिए सक्षम हो सके। उन्होने कहा कि विधायकों का वेतन भारी पैमाने पर बढाया गया है। ऐसे में इसी तर्ज पर मजदूरों के वेतन में भी वृधि की जाए।
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