मंडी। सूचना के अधिकार की अर्जी देरी से स्थानांतरित करने पर राज्य सूचना आयोग ने सूचना एवं जन संपर्क विभाग के उप निदेशक केन्द्रीय जोन मंजुला को 4500 रूपये जुर्माना अदा करने का फैसला किया। इसके अलावा जन सूचना अधिकारी को याचिकाकर्ता के पक्ष में 2500 रूपये हर्जाना भी अदा करने के आदेश दिये हैं। राज्य मुखय सूचना आयुक्त भीम सेन के न्यायलय ने मंडी के समखेतर मुहल्ला निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट लवण ठाकुर की दूसरी अपील को स्वीकारते हुए सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी केंद्रीय जोन मंजुला को 18 दिनों की देरी पर 250 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से 4500 रूपये जुर्माना अदा करने का फैसला सुनाया है। याचिकाकर्ता ने सूचना के अधिकार के तहत उक्त अधिकारी से डीपीआरओ कार्यालय में खर्च की गई करीब 5 लाख रूपये की राशि के बारे में जानकारी मांगी थी। इसके अलावा उन्होने मौका का निरिक्षण सहित निविदा, बिल बाउचर सहित कई अन्य विषयों की इस आवेदन के तहत जानकारी लेनी चाही थी। लेकिन समय पर सूचना न मिलने पर उन्होने प्रथम अपील दायर की थी। प्रथम अपील में सिर्फ उक्त अधिकारी को आगे से ध्यानपुर्वक कार्य करने के निर्देश जारी किये गए। जिससे संतुष्ट न होकर अपीलकर्ता ने राज्य सूचना आयुक्त के पास दूसरी अपील दायर की थी। आयुक्त ने अपने फैसले में कहा कि अपीलकर्ता का कहना था कि उनकी अर्जी को जनसूचना अधिकारी उप निदेशक मंजुला ने 18 दिनों की देरी के बाद बीडीओ सदर को स्थानांतरित किया था। इस बारे में जनसूचना अधिकारी ने अपने जवाब में माना था कि अर्जी स्थानांतरित करने में देरी हुई थी। उनका कहना था कि अर्जी मिलने के दिन ही इसे स्थापना शाखा की क्लर्क आशा कुमारी को मार्क किया था। जिन्होने इसे समय पर पुट नहीं किया जिससे यह देरी हुई है। जबकि क्लर्क आशा कुमारी ने अपने जवाब में जनसूचना अधिकारी की बात को अस्वीकारते हुए स्थापना शाखा के चारज रिर्पोट में इस अर्जी की फाईल की कापी प्रस्तुत की थी। जिससे क्लर्क का कहना वैध माना गया। आयुक्त ने अपने फैसले में कहा कि जनसूचना अधिकारी के कार्यालय में नोटिंग-ड्राफटिंग की व्यवस्था का अनुसरण नहीं किया जाता। ऐसे में क्लर्क को इस देरी का जिममेवार नहीं माना जा सकता। आयुक्त ने कहा कि जनसूचना अधिकारी का जवाब धारा 20 के तहत उचित नहीं है। उन्होने अर्जी हस्तांतरित करने में 18 दिनों की देरी की है। जिसके चलते आयुक्त ने जनसूचना अधिकारी पर 250 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से 4500 रूपये की राशि का जुर्माना अदा करने का फैसला सुनाया है। अधिकारी को यह जुर्माना राशि सरकारी कोष में जमा करवानी होगी। इसके अलावा आयुक्त ने याचिकाकर्ता लवण ठाकुर के सूचना लेने के लिए हुए खर्चे को देखते हुए अधिकारी को उनके पक्ष में 2500 रूपये हर्जाना अदा करने का फैसला सुनाया है।
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