मंडी। युवती को अगवा करने का अभियोग साबित न होने पर अदालत ने एक आरोपी को बरी करने का फैसला सुनाया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ अभियोग को संदेह की छाया से दूर साबित नहीं कर सका है। जिला एवं सत्र न्यायधीश बलदेव सिंह के न्यायलय ने जिला बिलासपुर के डयारा सेक्टर निवासी अतुल मेहता पुत्र कस्तुरी लाल मेहता के खिलाफ भादंस की धारा 366 के तहत युवती को अगवा करने का अभियोग साबित न होने पर उसे बरी करने का फैसला सुनाया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार पीडिता ने नेरचौक में ड्राइविंग स्कूल में दाखिला लिया हुआ था। जब वह संस्थान को जा रही थी तो आरोपी उसे रास्ते में मिला और उसने पीडिता का मुंह बंद करके उसे घसीटते हुए एक कार में डाल दिया। आरोपी ने पीडिता को धमकी दी कि अगर उसने शोर मचाया तो वह उसे जान से खत्म कर देगा। रास्ते में पीडिता ने कार चालक को बताया था कि वह आरोपी से शादी नहीं करना चाहती। घटना के बाद पीडिता ने अपने परिजनों के साथ सुंदरनगर थाना में इस बारे में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में सात गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे। जबकि बचाव पक्ष की ओर से यह कहना था कि आरोपी पीडिता को पिछले तीन साल से जानता था और उनकी शादी भी तय कर दी गई थी। लेकिन बाद में पीडिता के परिजनों ने आरोपी को जमीन खरीद करने व इसमें मकान बनाने की शर्त रख दी। आरोपी ने इस शर्त को मानने से इंकार कर दिया। हालांकि आरोपी ने पीडिता को कुछ गहने और नकदी बतौर गिफट दी थी। इसके अलावा एक एलआईसी की पालसी भी पीडिता की खुलवाई थी। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पीडिता ने विरोधाभासी और बढाचढा कर अपने बयान दिये हैं। पीडिता ने अपने बयान में कहा कि उसका आरोपी के साथ लंबे समय से संबंध था और वह दोनों कई स्थानों पर इकठे घूमे हुए हैं। इसके अलावा उसने यह भी माना कि आरोपी उनके खाते में पैसे भी डालता था। कार चालक ने अपने बयान में कहा कि पीडिता कई बार कार में अपने रिश्तेदारों के साथ बैठी थी लेकिन उसे अगवा नहीं किया गया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मामले के महत्वपुर्ण गवाहों ने विरोधाभासी बयान दिये हैं। जिससे आरोपी के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित नहीं हुआ है। ऐसे में अदालत ने आरोपी को साक्ष्यों के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए बरी करने का फैसला सुनाया है।
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