मंडी। मंडी जिला का धार्मिक पर्यटन केंद्र पराशर झील में स्थित महर्षि पराशर मंदिर के संचालन को लेकर चल रहे विवाद के बीच मंदिर की प्राचीन कमेटी के सामने आने से एक नया मोड आया है। मंदिर के राजस्व इंद्राज में बतौर मालिक व काबिज दर्ज प्राचीन कमेटी ने शनिवार को उपायुक्त मंडी संदीप कदम को ज्ञापन सौंप कर मंदिर का इन दिनों संचालन कर रही पराशर मंदिर कमेटी बांधी का निरिक्षण व ऑडिट करवाने की मांग की है। इस प्रतिनिधिमंडल में पालसरा करमू, पूजारी ठाकर दास व रामसरण, कायथ लक्ष्मण दास, कठैला चरण सिंह, दुमच राजेश, शिवू, भोलाराम, गिरधारी लाल, राम सिंह, कांशी राम, मंदिर कमेटी के सदस्य व पूर्व बीडीसी सदस्य दीपक शर्मा, जेलता संगतू, सेगली ग्राम पंचायत के प्रधान हरी सिंह व स्थानीय वासी ढाले राम, रत्तन दास और बेठु मस्त राम शामिल थे। मंदिर की प्राचीन कमेटी के सदस्यों ने बताया कि राजस्व इंद्राज में अभी तक की जमाबंदियों में उपरोक्त कमेटी बतौर मालिक कब्जे सहित दर्ज है। इसके अलावा मंदिर के तमाम कार्यकलाप इसी कमेटी के माध्यम से पूरे किए जा रहे हैं। लेकिन विगत कुछ वर्षों से पराशर मंदिर बांधी कमेटी ने मंदिर के प्रबंधन व आय के स्त्रोंतो पर गैरकानूनी तरीके से कब्जा जमा रखा है। मंदिर कमेटी के सदस्यों ने कहा कि मंदिर में होने वालों लाखों रूपये की आय व्यय का लेखाजोखा लिया जाना चाहिए। जिसके लिए जल्द से जल्द मंदिर का निरिक्षण करके इसका ऑडिट करवाया जाए। इस बीच मंदिर की आय-व्यय का प्रबंधन राजस्व इंद्राज में दर्ज उपरोक्त कमेटी को तुरंत प्रभाव से सौंपा जाए। प्रतिनिधिमंडल के सदस्य चरण सिंह ने बताया कि महर्षि पराशर मंदिर सेगली ग्राम पंचायत में स्थित है। मंदिर का मूल भंडार सेगली पंचायत के गांव सुरन में स्थित है। जहां पर देव पराशर कमेटी सुरन एक पंजीकृत संस्था है। इस संस्था के प्रधान चरण सिंह ने बताया कि देव पराशर के मुखय नेजा निशान प्राचीन काल से सुरन भंडार में रहते हैं। यह निशान देव पराशर मंदिर में होने वाले प्रत्येक जाग व मेलों के समय सुरन से जलेब के रूप में जाते हैं। मंदिर में होने वाले धार्मिक क्रियाकलापों इन्ही नेजा निशानों के माध्यम से किए जाते हैं। इतना ही नहीं प्राचीन काल के बजंतर, ढाखलू, बंइच, भाणा, काहली व अन्य वाद्य यंत्र हर जलेब में सुरन भंडार से ही मंदिर में ले जाए जाते हैं। सेगली पंचायत में स्थित होने के नाते महर्षि पराशर मंदिर के कार्यकलापों जहां सुरन भंडार की ओर से किए जाते हैं और वह राजस्व इंद्राज के मुताबिक मंदिर के मालिक व काबिज भी हैं। लेकिन इसके बावजूद पराशर मंदिर कमेटी बांधी द्वारा गैरकानूनी तरीके से मंदिर में अपना हक जमाकर आय के स्त्रोतों पर कब्जा कर लिया है। इस गैरकानूनी कार्यवाही की जांच की जानी चाहिए। राजस्व इंद्राज में दर्ज कमेटी व सुरन भंडार कमेटी ने मांग की है कि मंदिर का संचालन जल्द से जल्द राजस्व इंद्राज में दर्ज कमेटी को सौंपा जाए।
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