Tuesday, 28 June 2016

जान जोखिम का खेल अभी भी जारी



मंडी। जान जोखिम में डालकर व्यास नदी को पार करने का भारी रिस्क भरा यह करतब लोगों को खुशी-2 नहीं बल्कि मजबूरी के चलते करना पडता है। उफनती व्यास नदी पर पैदल चलने योग्य पुल न होने के कारण लोगों को गरारी से चलने वाली इस ट्राली की रस्सी खींचते हुए दूसरे किनारे पर पहुंचना होता है। चंडीगढ-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित होने के कारण यह ट्राली पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनी होती है। लेकिन एक बार जब ऐसे ही किसी पर्यटक ने उपर की तार पकड कर नदीं पार करने की कोशीश की थी तो गरारी में उसका हाथ फंस गया। किसी तरह गरारी से हाथ निकाला तो बुरी तरह से लहुलुहान हो चुका था। किनारे पर खडे लोगों ने उसे नीचे की रस्सी खींच कर वापिस आने को कहा। किसी तरह वह जखमी हालत में किनारे पर पहुंचा। जब भी यहां से गुजरना होता है तो बेहद शर्मिंदगी महसूस होती है कि हमारी सरकारें आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी लोगों को इतना रिस्क भरा रास्ता अपनाने के लिए बाध्य रखती हैं। क्या एक अदद पैदल चलने का पुल भी नसीब करवाना सरकार का औचित्य नहीं बनता। लोगों को ऐसे रिस्क लेकर अभी और कितनी पीढियों की जान दांव पर लगानी होगी। यह सवाल हर बार कौंधते हैं जब भी इस ट्राली में से लोग नदी पार करते दिखते हैं। लेकिन सरकार व प्रशासन लोगों की जिंदगियों के बारे में संजीदा नहीं है। कई वर्ष पहले के ये हालत अभी भी क्रमश: जारी हैं। लेकिन लोगों की जिंदगी जीने के दशा में कोई परिवर्तन नहीं हो सका है। उनकी जिंदगियां अभी भी दांव पर है। उममीद है कि कुछ ऐसा हो कि नदी पार करने के इस बर्बर तरीके पर पैदल चलने योग्य पुल बना कर रोक लगाई जाए। इस बारे में जिला न्यायलय में बतौर अधिवक्ता कार्यरत समीर कश्यप का कहना है कि आदिम तकनीक का यह झूला पुल आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी करेरी पंचायत के लोगों को मुखयधारा से जोडने के लिए एकमात्र संचार का साधन है। शर्मनाक है कि एन एच 21 पर से लाखों लोग गुजरते हैं लेकिन हमारी सरकारों ने कभी यहां पर पुल बनाने की कोशीश नहीं की। हालांकि स्थानीयवासी इस बारे में सभी स्तरों पर अपनी मांग कई बार उठा चुके हैं। इस जोखिमपुर्ण झूला पुल पर कई लोग व्यास पार करते समय अपनी जान गंवा चुके हैं। इसी तरह के कई पुल व्यास नदी को पार करने के लिए बने हुए हैं। सरकार को इन झूला पुलों की बर्बर और आदिम तकनीक को तत्काल बंद करके यहां पर पुलों को निर्माण करना चाहिए। जिससे लोगों की जिंदगियों से खिलवाड बंद हो सके। अधिवक्ता समीर कश्यप ने ई मेल के माध्यम से उपायुक्त मंडी से मांग की है कि इस झूला पूल को बंद करने से पहले यहां पर जल्द से जल्द वैकल्पिक पैदल चलने योग्य पुल बनवाया जाए। जिससे आगामी बरसात के दिनों में किसी दुर्घटना को घटित होने से रोका जा सके।
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