मंडी। मकान नियमितिकरण संघर्ष समिति की बैठक मंगलवार को आयोजित की गई। बैठक में मकान नियमितिकरण की प्रक्रिया सरल व कम शुल्क पर करने के बारे में चर्चा की गई। समिति के संयोजक उत्तम चंद सैनी ने बताया कि बैठक में निर्णय लिया गया है कि प्रदेश स्तर पर टीसीपी कानूनों का विरोध कर रहे लोगों से समन्वय बनाया जाएगा। वहीं पर जिला व मंडी नगर के प्रभावितों को भी लामबंद किया जाएगा। उन्होने कहा कि हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक स्थितियों के अनुरूप टीसीपी कानून के प्रावधान न होने के कारण लोगों को अनेकों समस्याओं का सामना करना पड रहा है। संघर्ष समिति के अध्यक्ष अमर चंद वर्मा ने कहा कि टीसीपी कानूनों को शहर के साथ लगते गांवों में भी लागू किया जा रहा है। लेकिन इससे पहले संबंधित पंचायतों से पूछा जाना चाहिए था और इन गांवों में पहले शहरीकरण की दशाओं का निर्माण करना चाहिए था। लेकिन टीसीपी कानूनों को इन क्षेत्रों में लागू किये जाने से लोगों में बेचैनी का माहौल है। गांव वासियों की मांग है कि इन प्रावधानों को लागू किये जाने से पहले स्थानिय वासियों की राय ली जानी चाहिए। समिति की कार्यकारिणी के सदस्य हितेन्द्र शर्मा ने कहा कि जिन लोगों ने एमसी व टीसीपी से पास नक्शों में बदलाव किया है या बिना नक्शे से घर बना दिया है तो उन्हे वर्ष 2012 के नियमों के तहत जुर्माने के तौर पर 10 गुणा फीस अदा करनी होगी। उन्होने कहा कि इन संशोधित नियमों को वापिस लेकर इससे पहले की स्थिति बहाल की जानी चाहिए और साल 2002 में कुसुमपटी नगर पंचायत में दी गई छूट की तरह एक बार की छूट दी जानी चाहिए। समिति सदस्य लवण ठाकुर ने कहा कि मंडी शहर में जगह की कमी के कारण लोग उपलब्ध जमीन पर अपनी सुविधा के मुताबिक घरों का निर्माण करते आए हैं। ऐसे में टीसीपी के सैट बैक आदि से संबंधित प्रावधानों का लागू नहीं किया जा सकता। कार्यकारिणी सदस्य हरमीत सिंह बिट्टू ने कहा कि इन प्रावधानों को नये शहर, कालोनी व सरकारी भवनों पर ही लागू किया जाना चाहिए। इन कडे कानूनों के तहत शहरवासियों की मूलभूत बिजली-पानी की सुविधा से वंचित नहीं रखा जाना चाहिए। संघर्ष समिति के सचिव समीर कश्यप ने बताया कि इन कानूनों से प्रभावित लोगों से संपर्क करके उनकी समस्याओं पर विचार किया जाएगा और हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से सरकार को अवगत करवाया जाएगा।
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