मंडी। निजी अस्पताल की चिकित्सकीय लापरवाही के चलते जिला उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में तीन लाख रूपये हर्जाना ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में 5000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करने के आदेश दिये हैं। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष जे एन यादव और सदस्यों रमा वर्मा व आकाश शर्मा ने धर्मपुर तहसील के बरोटी गांव निवासी अनिता देवी पत्नी ज्ञान चंद की शिकायत को उचित मानते हुए मंडी के महात्मा गांधी रोड स्थित मांडव अस्पताल, सर्जन एल डी वैद्या, डा. आर प्रसाद की सेवाओं में कमी मानते हुए अस्पताल को बीमाकृत करने वाली न्यु इंडिया एसोरेंस कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में उक्त राशि 9 प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करने के आदेश दिये हैं। अधिवक्ता अजय ठाकुर और पुष्प राज शर्मा के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता अपेंडेसाइटिस के उपचार के लिए मांडव अस्पताल में भरती हुई थी। जहां 11 फरवरी 2013 को उनका आपरेशन किया गया था। चिकित्सकों ने सलाह दी गई थी कि होश आने तक उन्हे आपरेशन थियेटर में ही रहना होगा। इस बीच किसी को उनसे मिलने की इजाजत नहीं थी। जब उपभोक्ता को होश आया तो उसे पैरों में जलने से आए फफोलों के लिए कारण तेज दर्द महसूस हुआ। इस पर तीमारदारों ने चिकित्सकों से आपरेशन थियेटर में पैर जलने का कारण पूछा। लेकिन वह इस बारे में कुछ नहीं बता सके। इसके बाद चिकित्सक उपभोक्ता के पास गए और पैर के जले हुए हिस्से में दवाई लगा कर उपचार किया। उपभोक्ता को 15 फरवरी 2012 को अस्पताल से जखमों पर पट्टी लगाने की हिदायत देकर छुट्टी दे दी गई। लेकिन 9 अप्रैल तक उनके जखम ठीक न होने पर उन्हे किसी अन्य अस्पताल में उपचार कराने के लिए कहा गया। उपभोक्ता ने हरिहर अस्पताल में अपना इलाज करवाया। ऐसे में उपभोक्ता ने मांडव अस्पताल और चिकित्सकों की सेवाओं में कमी के चलते फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। सुनवाई के दौरान अस्पताल और चिकित्सकों का कहना था कि उपभोक्ता का पैर गर्म पानी की बोतल के कारण जला था। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि प्रतिवादी पक्ष यह साबित करने में असमर्थ रहा है कि उपभोक्ता के पैर में गहरी जलने की चोट कैसे आई है। इस संबंध में डा. कार्तिक कपूर ने अपने ब्यान में कहा कि उपभोक्ता के पैर की गहरी चोटें गर्म पानी की बोतल से संभव नहीं हैं। आपरेशन थियेटर ले जाने से पहले उपभोक्ता के पैर में कोई चोट नहीं थी। जो अस्पताल और चिकित्सकों की डयुटी में लापरवाही को दर्शाता है। ऐसे में फोरम ने अस्पताल को बीमाकृत करने वाली बीमा कंपनी को उक्त हर्जाना ब्याज सहित अदा करने के अलावा शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया है।
Medical negligency case file krne ke liye format btaye kya ilaj 7 alag alag hospital me kraya gya he to sato Doctors ko forum me party bna skte he
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