मंडी। ...आखिरकार सत्यमेव जयते की जीत हुई है। वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला गाडागुसैण के प्रधानाचार्य जहां एनडीपीएस के मामले में निर्दोष साबित हो कर रिहा कर दिये गए हैं। वहीं पर इस मामले में पुलिस ने स्कूल के पुर्व डीपीई परमानंद को हिरासत में ले लिया है। जिसे अदालत ने पांच दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। गाडागुसैण के प्रधानाचार्य को एनडीपीएस के झूठे मामले में फंसाने का प्रकरण अब सुलझा लिया गया है। पुलिस ने इस मामले की तहकीकात में यु टर्न लेते हुए जहां गाडागुसैण पाठशाला के प्रधानाचार्य पुरानी मंडी निवासी कमलेश कुमार गुप्ता पुत्र परमानंद गुप्ता को बरी कर दिया है। पुलिस ने प्रधानाचार्य के खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 169 के तहत पर्याप्त सबूत और आधार न होने के कारण उन्हे निजी मुचलके पर रिहा कर दिया है। पुलिस ने इस संबंध में एक रिर्पोट जिला एवं सत्र न्यायधीश एस सी कैंथला की विशेष अदालत में विचाराधीन जमानत याचिका के जवाब में प्रस्तुत की है। जिसके चलते अदालत ने जमानत याचिका को निष्प्रभावी करने के आदेश दिये हैं। जबकि पुलिस की ओर से न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर एक विवेक खेनाल की अदालत में गाडागुसैणी निवासी डोला राम के ब्यान दर्ज किये हैं। इधर, सदर थाना पुलिस ने इस मामले में हिरासत में लिए गई शारिरिक शिक्षा प्राध्यापक जिला कुल्लू के बुरूआ (मनाली) निवासी परमानंद पुत्र उतम को अदालत के समक्ष पेश किया गया। जहां पुलिस ने आरोपी से फोन की बरामदगी, चरस के स्त्रोत और प्रधानाचार्य की गाडी खोलने में प्रयोग किये गए सामान की बरामदगी और तहकीकात शेष होने के कारण उसे पुलिस रिमांड में भेजने की अर्जी दी गई। जिसे स्वीकारते हुए न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर एक विवेक खेनाल के न्यायलय ने आरोपी को 29 अप्रैल तक पांच दिन की पुलिस रिमांड में भेजने के आदेश दिये हैं।
कैसे घटित हुआ घटनाक्रम
17 अप्रैल को सदर थाना पुलिस का दल विद्रांवणी के लिए गश्त पर तैनात था। इसी बीच पुलिस को मुखबर से सूचना मिली कि एक कार में चरस आ रही है। पुलिस ने स्वतंत्र गवाहों को शामिल करके विंद्रावणी चैक पोस्ट पर नाकाबंदी की। पुलिस ने कुल्लू की ओर से आ रही प्रधानाचार्य की कार को रोक कर इसकी तलाशी ली तो कार की डिक्की में एक कपडे के बैग में से 500 ग्राम चरस बरामद हुई। पुलिस ने प्रधानाचार्य कमलेश को हिरासत में लेकर उसे अगले दिन 18 अप्रैल को अदालत में पेश किया। अदालत ने आरोपी को चार दिन के पुलिस रिमांड में भेज दिया। रिमांड के दौरान पुलिस को दरयाफ्त के दौरान प्रधानाचार्य ने बताया कि 2013 में जनता की मांग को देखते हुए उनका तबादला थलौट से गाडागुसैणी के लिए हुआ। वह काफी अनुसाशित और सिद्धांतवादी हैं और उनकी निष्पक्ष और सटीक कार्यप्रणाली के कारण स्कूल के स्टाफ के कुछ सदस्य और असामाजिक तत्व उनके खिलाफ साजिश करने लगे। इससे पहले 16 दिसंबर 2013 को कुछ लोगों ने स्कूल के एक कमरे का ताला और दरवाजा तोडकर ताजी कटी हुई लकडी के स्लीपर रखकर झूठे केस में फंसाने की कोशीश की थी। जिस पर पुलिस ने इस संबंध में बालीचौकी पुलिस की कार्यवाही के दस्तावेज अपने कब्जे में लिए। प्रधानाचार्य ने पुलिस को बताया कि जिस वाहन से चरस बरामद हुई उसे वह अपने क्वाटर से बाहर सडक पर खडा करते हैं। एक बार पहले भी कुछ लोगों ने इसे डेढ किमी दूर खडा कर दिया था। उन्होने डीपीई सहित कुछ लोगों पर झूठे मामले में फंसाने का शक जाहिर किया था। उन्हे 21 अप्रैल को अदालत ने 25 अप्रैल तक पुलिस रिमांड में भेज दिया था।
कैसे हुआ मामले का पटाक्षेप
पुलिस ने शह जाहिर किये गए लोगों की कॉल डिटेल हासिल की। जिसमें घटना वाले दिन डीपीई परमानंद को लोकेशन गाडागुसैण में पाई गई। डिटेल में उसकी डोलाराम के साथ बातचीत होना पाया गया। सदर थाना पुलिस को मुखबरी करने वाले कर्मी ने अपनी दरयाफ्त में बताया कि गाडी में चरस होने की सूचना उन्हे डोलाराम ने दी थी। जिसके बाद अन्वेषण अधिकारी ने स्थानीय लोगों, स्टाफ के सदस्यों और चरस की सूचना देने वाले डोले राम के ब्यान दर्ज किये। विगत 24 अप्रैल को पुलिस ने डीपीई परमानंद को मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम की धारा 20 और 58 तथा •ाादंस की धारा 506 के तहत हिरासत में लिया।
क्या हकीकत सामने आई
परमानंद ने स्कूल में प्रधानाचार्य न होने के कारण कार्यवाहक प्रधानाचार्य का कार्य किया। अगस्त 2013 में जब कमलेश ने प्रधानाचार्य का पद संभाला तो उन्होने कुछ कार्यों में अनियमितता पाई। परमानंद के गैरहाजिर रहने के बावजूद भी उपस्थिती रजिस्टर में दर्ज करने पर कमलेश ने उच्चाधिकारियों को इसकी शिकायत की थी। जिसके कारण परमानंद का तबादला जिला शिमला के कांगला स्कूल को कर दिया गया था। जिसके कारण वह कमलेश से रंजिश रखता था। कैसे दिया घटना को अंजाम 16 अप्रैल को परमानंद गाडागुसैणी पहुंचा। रात के समय चरस का थैला कमलेश की गाडी में रख दिया। इसके बाद 17 अप्रैल को इसकी सूचना थाना को देने के लिए उसने डोला राम को कहा और खुद बस पर बैठ कर चला गया। कमलेश की कार से जब चरस बरामद हुई तो उन्हे इसका कुछ भी ज्ञान नहीं था। यह चरस परमानंद ने कमलेश को झूठे केस में फंसाने के लिए रखी थी।
स्थानिय लोगों और संगठनों ने किया था आंदोलन
प्रधानाचार्य कमलेश को झूठे मामले में फंसाने की सूचना मिलते ही स्थानीय पंचायतों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया था। स्थानीय लोगों ने जिला मुख्यालय पहुंच कर प्रधानाचार्य को निर्दोष करार देने की मांग की थी। अध्यापक संघ और महाजन सभा की ओर से भी विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला लगातार जारी रहा।
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