Monday, 26 May 2014

सकरोहा में लोगों को पढाया कानून का पाठ


मंडी। उपमंडलीय विधिक सेवा समिति के माध्यम से बल्ह क्षेत्र की ग्राम पंचायत सकरोहा में लोगों को कानून की जानकारी देने के लिए विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर की अध्यक्षता मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी जिया लाल आजाद ने की। इस मौके पर उन्होने कहा कि महिलाओं, बच्चों, अनुसूचित जाति व जनजाति और प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों को अदालत द्वारा मुफत कानूनी सहायता उपलब्ध करवाई जाती है। उन्होने कहा कि सामान्य श्रेणी के सभी लोग जिनकी वार्षिक आय एक लाख रूपये तक है वे भी मुफत कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते हैं। उन्होने कहा कि मुफत कानूनी सहायता के तहत लोगों को अदालत में वकील मुहैया करने से लेकर कोर्ट फीस और केस में होने वाला सारा खर्चा न्यायलय की ओर से दिया जाता है। वहीं पर किसी मामले में प्रतिवादी बनाये जाने वाले लोग जो इस श्रेणी में आते हैं उन्हे भी मुफत कानूनी सहायता दी जाती है। शिविर में बतौर स्त्रोत व्यक्ति के रूप में मौजूद अधिवक्ता समीर कश्यप ने लोगों को विधिक साक्षरता, सूचना का अधिकार, घरेलू हिंसा अधिनियम, श्रम कानून और पंचायत विधिक केन्द्र के बारे में जानकारी दी। उन्होने कहा कि जहां सूचना के अधिकार से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हुई है वहीं घरेलू हिंसा अधिनियम से महिलाएं संरक्षण अधिकारी के माध्यम से अदालत में न्याय हासिल कर अपना सशक्तिकरण कर सकती हैं। अधिवक्ता देश मितर ने मनरेगा और उपभोक्ता अधिनियम के बारे में लोगों को जानकारी दी। उन्होने कहा कि लोगों को कोई भी वस्तु या उत्पाद खरीदने पर बिल जरूर हासिल करना चाहिए। मनरेगा पर प्रकाश डालते हुए उन्होने कहा कि लोगों को घर के नजदीक ही रोजगार की गारंटी होने से उनका शहरों की ओर पलायन रूक गया है और वहीं पर इससे लोगों को आर्थिक सुरक्षा हासिल हुई है। शिविर में स्थानीय पंचायत प्रधान, सचिव, पंचायत प्रतिनिधियों सहित करीब सौ स्थानीय वासी मौजूद थे।

Sunday, 25 May 2014

मंडी शहर पर न लागू हो टीसीपी कानूनः समिति


मंडी। मकान नियमितिकरण संघर्ष समिति (मंडी) की बैठक शनिवार को होटल आर्यन बैंग्लो में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष अमर चंद वर्मा ने की। बैठक में हिमाचल प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी और प्रदेश के पहले मंत्रीमंडल के मंत्री पंडित गौरी प्रसाद के निधन पर शोक व्यक्त करके उन्हे श्रद्धांजली अर्पित की गई। बैठक में उनकी याद में दो मिनट तक मौन रखा गया और शोक प्रस्ताव पारित करके उनके संतप्त परिवार को शोक संदेश प्रेषित किया गया। समिति के संयोजक उत्तम चंद सैनी ने बैठक में कहा कि समिति टीसीपी अधिनियम से लोगों को आ रही समस्याओं से राहत पाने के लिए संघर्ष कर रही है। उन्होने कहा कि हिमाचल प्रदेश जैसे पहाडी राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के मुताबिक टीसीपी कानून के प्रावधान न होने के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड रहा है। पुराने समय से बसे मंडी शहर में लोगों के पास घर बनाने की पर्याप्त भूमि नहीं है। ऐसे में टीसीपी कानूनों के तहत मकान बेहद कठिन हो गया है। उन्होने कहा कि इन प्रावधानों को पुराने बसे शहरों में नहीं बल्कि नयी कलौनियों, नगरों और सरकारी कालौनियों पर लागू किया जाना चाहिए। समिति के अध्यक्ष अमर चंद वर्मा ने कहा कि लोगों को अपनी जमीनों पर मकान बनाना अब बेहद मुश्किल कार्य हो गया है। पहले उन्हे नक्शा पास करवाना होता है और फिर उसी के मुताबिक मकान बनाना होता है। जिसमें टीसीपी ने सैट बैक आदि रखने के लिए प्रावधान लागू किये हैं। लेकिन भूमि की कमी होने के कारण इन मापदंडों को पूरा नहीं किया जा सकता। ऐसे में लोगों को नगर परिषद और टीसीपी विभाग की ओर से बिजली- पानी के कुनेक्शन प्राप्त के लिए अनापति प्रमाण पत्र जारी नहीं किये जा रहे हैं। जिससे मंडी वासी इन मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। बैठक में चर्चा की गई कि नक्शा पास न करवाने या नक्शे के मुताबिक मकान न बनाने पर इन मकानों का नियमितिकरण करने के लिए दंड के रूप में फीस लेने का प्रावधान किया गया है। टीसीपी नियमावली के इन प्रावधानों में 25 अप्रैल 2012 को किये गए संशोधन में दंड के रूप में ली जाने वाली साधारण फीस को बढाकर 10 गुणा कर दिया गया है। जिससे यह दंडात्मक फीस मकान के निर्माण की कीमत से भी ज्यादा हो गई है।
ऐसे में मकानों का नियमितिकरण करना लोगों के लिए पहुंच से बाहर हो गया है। समिति ने टीसीपी के इन कडे कानूनों को निरस्त करने और लोगों को बिजली पानी मुहैया करने के लिए सरकार के संबंधित विभागों से पत्राचार किया था। इस बीच संबंधित विभागों ने समिति के ज्ञापनों पर आवश्यक कार्यवाही जारी होने के बारे में सूचित किया है। बैठक में समिति ने निर्णय लिया है कि एक बार फिर से सरकार के विभिन्न विभागों के साथ पत्राचार किया जाएगा। इसके अलावा टीसीपी कानून से प्रभावित लोगों की आम बैठक का आयोजन जल्द किया जाएगा। वहीं पर शहर के सभी सामाजिक और धार्मिक संगठनों का सहयोग भी इस संदर्भ में लिया जा रहा है। समिति के महासचिव समीर कश्यप ने बताया कि बैठक में सरकार से मांग की गई है कि टीसीपी कानून के कडे प्रावधानों की आड में बिजली पानी से वंचित लोगों को तत्काल राहत के तौर पर अनापति प्रमाण पत्र जारी किए जाएं और टीसीपी कानूनों में लोगों की जरूरतों और क्षमताओं को देखते हुए जरूरी संशोधन करके उनके मकानों का नियमितिकरण किया जाए। उन्होने बताया कि बैठक में मान सिंह ठाकुर, चंद्रमणी वर्मा, विमल वालिया, हरमीत सिंह बिट्टू, रवि सिंह राणा, लवण ठाकुर और एम एल शर्मा ने चर्चा में भाग लिया। 

बीमा कंपनी को 55 हजार अदा करने के आदेश


मंडी। जिला उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में 55697 रूपये की मुआवजा राशि ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा कंपनी की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले 6000 रूपये हर्जाना और 3000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करने के आदेश दिये हैं। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष जे एन यादव और सदस्यों रमा वर्मा एवं आकाश शर्मा ने उपतहसील औट के झीडी (नगवाईं) निवासी दोरजे राम पुत्र छेरिंग की शिकायत को उचित मानते हुए आईसीआईसीआई लोंबार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी को उक्त मुआवजा राशि 9 प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। अधिवक्ता वीरेन्द्र सिंह ठाकुर के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने कंपनी से स्वास्थय बीमा पालिसी खरीदी थी। पालिसी की अवधि के दौरान उपभोक्ता अपने घर की सीढियों से गिर गया। जिससे उनके बायें पैर और टखनों में फ्रैक्चर हो गया। उपभोक्ता को कुल्लू स्थित कुल्लू वैली अस्पताल में भर्ती करवाया गया और उन्हे तीन महिनों से ज्यादा समय तक बैड रेस्ट में रहना पडा। उपभोक्ता ने बीमा कंपनी के पास मुआवजे के लिए आवेदन किया था लेकिन कंपनी ने इस आधार पर मुआवजा खारिज कर दिया था कि उपभोक्ता पहले से ही हाइपरटेंशन की बीमारी से पीडित था। ऐसे में उपभोक्ता ने कंपनी को कानूनी नोटिस जारी करके मुआवजा अदा करने को कहा था। लेकिन कंपनी की ओर से अदायगी न होने पर उन्होने फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि कंपनी का मुआवजा खारिज करना सेवाओं में कमी को दर्शाता है।
उपभोक्ता की ओर से प्रस्तुत दस्तावेजों से जाहिर होता है कि उपभोक्ता को पालिसी जारी करने से पहले कंपनी की ओर से उपभोक्ता का मेडिकल करवा कर मेडिकल आफीसर से रिर्पोट हासिल की थी। इस रिर्पोट के मुताबिक उपभोक्ता को पहले से कोई हाइपरटेंशन की बीमारी नहीं थी। ऐसे में फोरम ने मुआवजा खारिज करने को न्यायोचित न मानते हुए इसे कंपनी की सेवाओं में कमी करार देते हुए उक्त मुआवजा राशि ब्याज सहित अदा करने के आदेश दिये हैं। वहीं पर कंपनी की सेवाओं में कमी के चलते उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले उक्त हर्जाना राशि और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया।

Thursday, 22 May 2014

मंडी छोटी काशी या धूल का शहर


मंडी। छोटी काशी के नाम से मशहूर मंडी नगर अब धूल का शहर बनता जा रहा है। पड्डल से उठने वाली धूल से सारे शहर का पर्यावरण दूषित हो रहा है। इस संदर्भ में मंडी जिला न्यायलय के अधिवक्ता समीर कश्यप ने उपायुक्त मंडी को ज्ञापन प्रेषित कर उचित कार्यवाही की मांग की है। अधिवक्ता ने बताया कि छोटी काशी मंडी का हृदय स्थल ऐतिहासिक पड्डल मैदान अपनी उपेक्षा के कारण मंडी वासियों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है। यह खूबसूरत मैदान जिसकी तुलना लार्डस और दुनिया भर के अच्छे-2 मैदानों के साथ की जाती है। इस मैदान में क्रिकेट की देवधर, रणजी ट्राफी और फुटबाल की संतोष ट्राफी आदि राष्ट्रिय स्तर के मैच खेेले गए हैं। लेकिन यह मैदान इन दिनों उपेक्षा का शिकार है। पड्डल में अंतर्राष्ट्रिय शिवरात्री मेले के आयोजन के बाद से मैदान की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसके अलावा मैदान में राजनैतिक दलों की रैलियों और विभिन्न संत महात्माओं के आयोजन भी किये जाते हैं। मैदान का प्रयोग इन कार्यों के लिए होने से इसकी हालत खस्ता हाल है। उन्होने बताया कि शहर में जब भी जोर की आंधी चलती है या कोई हैलिकाप्टर यहां उतरता है तो मैदान से उठने वाली धूल सारे शहर में फैल जाती है। जिससे स्थानीय वासियों को अपने स्वास्थय को लेकर अंदेशा है। उन्होने कहा कि छोटी काशी कहे जाने वाले मंडी शहर की छवि दिन प्रतिदिन धूल वाले शहर की बनती जा रही है। हमेशा हरा भरा रहने वाले इस मैदान से अब घास गायब हो चुकी है और सारा मैदान मिट्टी से भरा हुआ है। मैदान की उपेक्षा का खामियाजा शहरवासियों को धूल फांक कर भुगतना पड रहा है। उन्होने उपायुक्त मंडी से आग्रह किया है कि पड्डल मैदान को बचाने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं और मैदान में घास उगाने और नियमित रूप से पानी का छिडकाव करके यहां से उठने वाली धूल को फैलने से रोका जाए। जिससे शहरवासियों के स्वास्थय पर प्रतिकूल प्रभाव न पडे और छोटी काशी मंडी को धूल का शहर बनने से रोका जा सके।

बीमा कंपनी को एक लाख मुआवजा देने के आदेश


मंडी। जिला उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी को उपभोक्ताओं के पक्ष में एक लाख रूपये की राशि ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा कंपनी की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले 5000 रूपये हर्जाना और 3000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया है। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष जे एन यादव और सदस्यों रमा वर्मा एवं आकाश शर्मा ने बल्ह क्षेत्र की ढाबण निवासी रोशनी देवी, उर्मिला और रोहित की शिकायत को उचित मानते हुए नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को उक्त राशि की अदायगी 9 प्रतिशत ब्याज सहित करने का फैसला सुनाया है। अधिवक्ता हुक्म चंद शर्मा के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता गोपाल सिंह के उतराधिकारी हैं। गोपाल सिंह ने अपने स्कुटर का बीमा कंपनी के पास करवाया था। उन्होने मालिक और चालक होने के नाते अपना बीमा भी 50 रूपये प्रीमियम जमा करवा कर किया था। पालिसी के दौरान ही वाहन के नौलखा में दुर्घटना हो जाने से उनकी मृत्यु हो गयी थी। जिस पर उनके उतराधिकारियों ने कंपनी से संपर्क करके मुआवजे की मांग की थी। लेकिन मुआवजा तय न करने पर उन्होने फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं है कि उपभोक्ता वाहन का मालिक था और उन्होने बीमा करवाया था। बीमा कंपनी का कहना था कि गोपाल सिंह का वैध लाइसैंस मुहैया नहीं करवाया गया था। फोरम ने कहा कि जब बीमा कंपनी ने उपभोक्ता का बीमा प्रीमियम लेकर किया था तो इसका मतलब उपभोक्ता के पास वैध लाईसैंस था। दुर्घटना के बाद उनके उतराधिकारी लाइसैंस के बारे में नहीं बता सकते । ऐसे में फोरम ने मुआवजा अदा न करने को बीमा कंपनी की सेवाओं में कमी करार देते हुए उक्त मुआवजा राशि ब्याज सहित अदा करने के आदेश दिये हैं। इसके अलावा कंपनी की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले हर्जाना और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया है।

Wednesday, 21 May 2014

मुफ्त कानूनी सहायता के बारे विधिक शिविर आयोजित


मंडी। उपमंडलीय विधिक सेवा समिति की ओर से ग्राम पंचायत चंडयाल में लोगों को कानून की जानकारी देने के लिए विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता मुखय न्यायिक दंडाधिकारी जिया लाल आजाद ने की। इस अवसर पर उन्होने कहा कि महिलाओं, बच्चों, अनुसूचित जाति व जनजाति और प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों को अदालत द्वारा मुफत कानूनी सहायता उपलब्ध करवाई जाती है। उन्होने कहा कि सामान्य श्रेणी के वह व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय एक लाख रूपये तक है वे भी मुफत कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते हैं। उन्होने कहा कि कानूनी सहायता के तहत लोगों को वकील मुहैया करने से लेकर कोर्ट फीस और केस में होने वाला सारा खर्चा न्यायलय की ओर से दिया जाता है। शिविर को संबोधित करते हुए विकास खंड अधिकारी प्रदीप ने कहा कि मनरेगा जैसे कानून से ग्रामीण भारत में रोजगार के अवसरों का सृजन हुआ है और लोगों का शहरों की ओर पलायन रूक गया है। मनरेगा लागू होने से महिलाओं और बुजुर्गों की आर्थिकी सुदृढ हुई है। वहीं पर सूचना अधिकार अधिनियम ने सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की है। शिविर में अधिवक्ता भंवर भारद्वाज ने घरेलू हिंसा अधिनियम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि घरेलू हिंसा से पीडित महिला अपने क्षेत्र के संरक्षण अधिकारी के पास अपनी शिकायत दर्ज करवा सकती है। जिस पर अदालत महिला से हिंसा को रोकने के लिए उचित आदेश पारित करती है। अधिवक्ता लाल सिंह देशबंधु ने शिविर में उपभोक्ता अधिकार और मोटर वाहन अधिनियम पर प्रकाश डालते हुए लोगों को जानकारी दी। उन्होने कहा कि उपभोक्ता फोरम में अधिवक्त की जरूरत नहीं होती है और उपभोक्ता की ओर से विक्रेता की दोषपूर्ण सेवाओं, उत्पाद या वस्तु के अधिक दाम वसूलने आदि मामलों को वह जिला उपभोक्ता फोरम में दायर कर सकता है। शिविर में पंचायत के करीब सौ लोगों ने भाग लेकर विभिन्न कानूनों के बारे में जानकारी प्राप्त की।

हिमाचल में नोटा ने प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करवाई


 मंडी। देश भर की तरह हिमाचल प्रदेश में भी नन आफ दि अबव (नोटा) ने अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करवाई है। प्रदेश में भी करीब 1 प्रतिशत लोगों ने नोटा का बटन दबाकर अपने मतदान का प्रयोग किया है। हालांकि मोदी लहर होने के कारण प्रदेश के चुनाव परिणामों में नोटा ने कोई बडी भूमिका नहीं निभाई है। लेकिन नोटा को मिला वोट प्रतिशत यह तो जाहिर करता ही है कि मतदाताओं की इतनी बडी संख्या को चुनाव लड रहे प्रत्याशियों में उन्हे प्रतिनिधित्व देने के योग्य कोई प्रत्याशी नहीं मिला है। देश भर में सबसे अधिक नोटा वोट तमिलनाडु के नीलगिरी क्षेत्र में पडे हैं जहां पर 2-जी स्कैम में संलिप्त डीएमके के विधायक ए राजा चुनाव लड रहे थे। यहां 46,559 मतदाताओं ने नोटा को वोट दिया। इसके बाद उडिसा के माओवादी प्रभावित क्षेत्र नवरंगपुर में 44,405 और छतीसगढ के बस्तर में 38772 नोटा मत पडे हैं। सबसे कम नोटा वोट 123 लक्ष्यदीप में पडे हैं। देश भर में 59.7 लाख लोगों ने नोटा को वोट दिया जो कुल मतदान का करीब 1.1 प्रतिशत है। हिमाचल प्रदेश में इस बार करीब तीस लाख लोगों ने मतदान में भाग लिया। प्रदेश में भी नोटा ने करीब एक प्रतिशत वोट हासिल करके चौथा स्थान अर्जित किया है। भारतीय जनता पार्टी ने चारों संसदीय सीटों पर क्लीन स्वीप करते हुए 1652995 मत लेकर 53.3 फीसदी वोट हासिल किये हैं। जबकि कांग्रेस को 1260477 मत लेकर 40.7 प्रतिशत मत मिले हैं। आप पार्टी ने 63351 मत लेकर कुल मतों में से 2.0 प्रतिशत वोट लिए हैं। नोटा ने चौथा स्थान प्राप्त करते हुए 29156 मत लेकर 0.9 प्रतिशत मत हासिल किये हैं। स्वतंत्र प्रत्याशियों ने 28507 मत लेकर 0.9 प्रतिशत वोट लिये हैं। जबकि सीपीएम ने 25399 मत लेकर 0.8 प्रतिशत, बसपा ने 0.7 फीसदी, समाजवादी पार्टी ने 0.3 प्रतिशत और एसएचएस ने 0.2 प्रतिशत मत लिये हैं। हिमाचल प्रदेश में सबसे अधिक नोटा वोट कांगडा (8704) संसदीय क्षेत्र में पडे। शिमला में 7787, हमीरपुर में 6573 और मंडी में 6191 लोगों ने नोटा को मतदान किया है। सबसे अधिक नोटा वोट चंबा विधानसभा क्षेत्र में 688 पडे। जबकि सबसे कम लाहौल स्पिती में 166 पडे हैं। पोस्टल बैलट के माध्यम से भी नोटा को 36 मत मिले हैं। लोकसभा चुनावों में पहली बार ईवीएम में प्रयोग की गई नोटा की आप्शन को मतदाताओं ने जिस तरह अपनाया है वह संकेत करता है कि आने वाले समय में राजनैतिक दलों को योग्य प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने के लिए बाध्य होना पडेगा अन्यथा नोटा वोट प्रतिशत चुनावी नतीजों को प्रभावित करने की स्थिति में भी आ सकता है।

चरस सहित पकडे आरोपी को 5 साल का कारावास

मंडी। चरस सहित पकडे जाने के आरोपी को अदालत ने पांच साल के कठोर कारावास और 50,000 रूपये जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है। आरोपी के जुर्माना राशि निश्चित समय में अदा न करने पर एक साल के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। जिला एवं सत्र न्यायधीश एस सी कैंथला की विशेष अदालत ने पधर तहसील के बजोट (थल्टु खोड) निवासी भगत राम पुत्र चाकू के खिलाफ मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम की धारा 20 के तहत अभियोग साबित होने पर उक्त सजा का फैसला सुनाया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार 24 अगस्त 2009 को जोगिन्द्रनगर पुलिस थाना का दल एएसआई धर्म चंद की अगुवाई में ऐहजू से डूघ धार मार्ग पर नाकाबंदी की हुई थी। इसी बीच एक व्यक्ति कंधे पर बैग उठाए हुए मौकास्थल की ओर आया। पुलिस ने संदेह के आधार पर आरोपी को काबू करके उसके बैग की तलाशी ली तो इसमें से 850 ग्राम चरस बरामद हुई थी। पुलिस ने आरोपी को मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनिय के तहत हिरासत में लेकर अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए जिला न्यायवादी जे के लखनपाल ने 10 गवाहों के ब्यान कलमबंद करवा कर आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित किया। शनिवार को अदालत में सजा की अवधि पर हुई सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष का कहना था कि यह आरोपी का पहला अपराध है। ऐसे में उसके प्रति नरम रूख अपनाया जाए। जबकि अभियोजन पक्ष का कहना था कि चरस तस्करी के मामलों में बढौतरी को देखते हुए आरोपी को कडी सजा सुनाई जाए। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि चरस तस्करी के मामलों में बढौतरी से समाज पर दुष्प्रभाव पड रहा है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित हुआ है। ऐसे में अदालत ने आरोपी से बरामदशुदा चरस की मात्रा व्यवसायिक से कम होने और लघु मात्रा से ज्यादा होने के कारण उसे उक्त कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है।div>

Monday, 19 May 2014

मिडिएशन पर विधिक शिविर आयोजित


मंडी। जिला एवं सत्र न्यायलय में मध्यस्थता (मिडिएशन) की जानकारी देने के लिए विधिक शिविर का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता जिला एवं सत्र न्यायधीश एस सी कैंथला ने की। जिला बार रूम में आयोजित शिविर को संबोधित करते हुए उन्होने अधिवक्ताओं और लोगों से मिडिएशन के माध्यम से अधिक से अधिक मामले सुलझाने के लिए आहवान किया। उन्होने कहा कि अधिवक्ताओं को अदालत में न्याय हासिल करने आए लोगों को मिडिएशन के बारे में जागरूक करना चाहिए। उन्होने कहा कि अधिवक्ता वर्ग को ऐसा नहीं समझना चाहिए कि मामलों का समझौता हो जाने से उनके पास काम की कमी हो जाएगी। अगर लोगों के विवाद जल्दी सुलझ जाएं तो अधिक से अधिक लोग अदालत में अपने मामलों को सुलझाने के लिए सामने लाएंगे। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर एक विवेक खेनाल ने इस मौके पर कहा कि न्यायिक व्यवस्था को चलाने में अधिवक्ताओं की अहम भूमिका रहती है। अगर अधिवक्तागण न्याय हासिल करने आए लोगों को मिडिएशन के माध्यम से निस्तारण के लिए जागरूक करें तो न्यायिक व्यवस्था के प्रति लोगों में सममान बढेगा। उन्होने कहा कि यह देखने में आया है कि लोग अपने मामलों को अदालत तक इसलिए नहीं लेकर आते क्योंकि उन्हे ऐसा लगता है कि मामले का फैसला होने में लंबा समय लग सकता है और निर्णय के बारे में भी उन्हे आशंकाएं रहती हैं जिससे लोगों का न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास कम होता है। अधिवक्ता ललित कपूर का इस मौके पर कहना था कि मध्यस्थता का चलन प्राचीन समय से है। महाभारत काल में उल्लेख आता है कि कौरवों और पांडवों के बीच समझौता करने के लिए भगवान कृष्ण ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। अधिवक्ता दुनी चंद शर्मा ने कहा कि ज्यादातर वैवाहिक विवादों में यह देखने में आता है कि दोनों पक्षों में छोटी-2 घरेलू कहासुनी बडे विवाद का रूप ले लेती है और वे वर्षों तक अदालतों में उलझते रहते हैं। उन्होने कहा कि मिडिएशन के माध्यम से इन विवादों को समाप्त करके नयी जिंदगी शुरू करने का एक अच्छा अवसर होता है। अधिवक्ता प्रेम सिंह ठाकुर ने कहा कि मिडिएशन की प्रक्रिया को धरातल पर ठोस रूप से अमली जामा पहनाया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि अदालतों से दोनों पक्षों को मिडिएशन में शामिल होने के निर्देश के बावजूद वह अक्सर मिडिएशन की कार्यवाही में भाग नहीं लेते हैं। अधिवक्ता समीर कश्यप ने कहा कि मिडिएशन का सबसे अच्छा पहलू यह है कि इसमें दोनों पक्ष अपने आप ही विवाद का निस्तारण अपनी शर्तों के अनुसार करते हैं। जिससे एक ओर विवाद हमेशा-2 के लिए समाप्त हो जाता है वहीं पर मामले का निस्तारण जल्द हो जाने से उनकी अदालत की लंबी प्रक्रिया में होने वाली ऊर्जा, समय और धन की हानि भी रूक जाती है। शिविर में मुखय न्यायिक दंडाधिकारी जे एल आजाद, न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर दो रमणीक शर्मा, कोर्ट नंबर चार आकांक्षा डोगरा, विशेष न्यायिक दंडाधिकारी रघुवीर सिंह, प्रशिक्षित मिडिएटर, अधिवक्तागण और न्यायलय में अपने मामलों की सुनवाई के लिए आए लोग मौजूद थे।

Saturday, 17 May 2014

महासंघ ने चुनाव आयोग का आभार किया


मंडी। हिमाचल अराजपत्रित कर्मचारी बहुजन महासंघ ने भारतीय चुनाव आयोग का 2014 के लोकसभा चुनाव सफलतापूर्वक करवाने पर आभार व्यक्त किया है। महासंघ के चेयरमैन अमरनाथ खुराना, वरिष्ठ उपाध्यक्ष बाबूराम, महासचिव रामलाल सुमन और कार्यकारिणी सदस्यों ने संयुक्त ब्यान में कहा कि रिकार्ड मतदान संभव करवाने के लिए चुनाव आयुक्त बधाई के पात्र हैं। जिनकी रहनुमाई में कर्मचारियों व अधिकारियों की मेहनत के कारण भारी मतदान संभव हुआ है। उन्होने मतदाताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भारी मतदान का यह क्रांतीकारी कदम देश में नया इतिहास रचेगा।

परिवार नियोजन आपरेशन के बावजूद प्रसूता होने पर स्वास्थय विभाग को हर्जाना


मंडी। स्टेरिलाइजेशन आपरेशन के बावजूद प्रसूता होने पर जिला उपभोक्ता फोरम ने स्वास्थय विभाग और मुख्य चिकित्सा अधिकारी की सेवाओं में कमी करार देते हुए उनकी बीमा कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में 30 हजार रूपये बीमा राशि ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा बीमा कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में 5000 रूपये हर्जाना और 3000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करने के आदेश दिये हैं। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष जे एन यादव और सदस्यों रमा वर्मा व आकाश शर्मा ने थुनाग तहसील के नागीनाल निवासी हेम लता पत्नी खेम राज की शिकायत को उचित मानते हुए प्रदेश के स्वास्थय विभाग और मंडी के मुखय चिकित्सा अधिकारी की सेवाओं में कमी के कारण आईसीआईसीआई लोंबार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में उक्त बीमा राशि 9 प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। अधिवक्ता यादविन्द्र ठाकुर और राजेश जोशी के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने सिविल अस्पताल करसोग में कैंप के दौरान 2 दिसंबर 2010 को स्टेरिलाइजेशन आपरेशन करवाया था। लेकिन इस आपरेशन के बावजूद वे 9 फरवरी 2011 को फिर से प्रसूता हो गई और उन्होने 11 अगस्त 2011 को लडके को जन्म दिया। जो 4 सितंबर 2011 को मृत हो गया। आपरेशन के असफल हो जाने पर उपभोक्ता ने फैमिली प्लानिंग इंश्योरेंश स्कीम के तहत बीमा राशि के लिए आवेदन किया था। लेकिन बीमा कंपनी ने उपभोक्ता का मुआवजा खारिज कर दिया था। ऐसे में उपभोक्ता ने फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि उपभोक्ता आपरेशन के बाद प्रसूता हुई जो स्टेरलाइजेशन आपरेशन की असफलता को साबित करता है। ऐसे में फोरम ने स्वास्थय विभाग और मुखय चिकित्सा अधिकारी सेवाओं में कमी के दोषी हैं। जिसके चलते फोरम ने विभाग की बीमा कंपनी को उक्तबीमा राशि ब्याज सहित अदा करने के आदेश दिये। जबकि उनकी सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई मानसिक परेशानी और यंत्रणा के बदले हर्जाना और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया है।

निरंकारी मिशन का विशेष सत्संग आयोजित


मंडी। मंडी शहर के साथ सटे चडयाणा गांव में संत निरंकारी मिशन की ओर से विशेष सतसंग समारोह का आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए मिशन के सहायक जन संपर्क अधिकारी कुम्मी राम ने कहा कि निरंकारी मिशन मानवता को समर्पित है। इस अवसर पर उन्होने अध्यात्मिक जागृति के बारे में कहा कि संकल्पित भक्ति दो प्रकार की होती है। साकाम या साकार की भक्ति और निष्काम या निराकार की भक्ति। साकार भक्ति से हमें तन, मन, धन की सुख सुविधा प्राप्त होती है और निष्काम व निराकार भक्ति से मोक्ष का सुख प्राप्त होता है। साकार भक्ति का विशेष महत्व है क्योंकि साकार से ही निराकार का बोध होता है। उन्होने अपने उदगार में कहा कि सदगुरू बाबा हरदेव सिंह जी महाराज के नेतृत्व में चैरीटेबल फाउंडेशन के तहत विभिन्न समाज कल्याण के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जिनमें स्वैच्छिक रक्तदान शिविरों का आयोजन, शिक्षण संस्थाएं, सतसंग कावन, तुफान, बाढ़ पीडितों की सहायता, रोगियों, अपंगों और निर्धनों की सहायता, नि:शुल्क डिस्पेंसरी, नेत्र चिकित्सा शिविर, सिलाई कढाई प्रशिक्षण केन्द्र, वृक्षारोपण और सफाई अभियान आदि मुखय कार्यक्रम हैं। उन्होने इस अवसर पर कहा कि निरंकारी मिशन रक्तदान के क्षेत्र में देश में अग्रणी संस्था है। जो हर साल देश के विभिन्न भागों में रक्तदान शिविर आयोजित करती है। उन्होने बताया कि मिशन साल 1986 से लेकर अभी तक लाखों युनिट रक्त दान कर चुकी है। संतसंग समारोह में वक्ताओं व संगीतमयी रचनाओं ने माहौल को भक्तिमय कर दिया। समारोह में गांव के गणमान्य व्यक्ति तथा स्थानीयवासी मौजूद थे।

Wednesday, 14 May 2014

मंडी की महिलाएं भावी सांसद की भाग्य विधाता


 मंडी। मंडी संसदीय क्षेत्र में महिला मतदाता ही 16वीं लोकसभा के लिए चुने जाने वाले सांसद की भाग्यविधाता बनेंगी। इस संसदीय क्षेत्र के 17 विधानसभा क्षेत्रों में से पांच विधानसभा क्षेत्रों में महिला मतदाताओं की संख्या पुरूषों से अधिक है। इनमें से चार विधानसभा क्षेत्रों में मतदान में भी महिलाओं ने पुरूषों से बाजी मारी है। विगत सात मई को मंडी संसदीय क्षेत्र के लिए हुए मतदान में मतदाताओं ने बढ चढ कर भाग लिया। क्षेत्र के कुल 1140489 मतदाताओं में से 725348 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया। मंडी संसदीय क्षेत्र में कुल 63.60 प्रतिशत हुआ। सबसे अधिक मतदान बल्ह विधानसभा क्षेत्र में 73.05 प्रतिशत, नाचन में 70.30 और किन्नौर में 68.18 प्रतिशत रहा। क्षेत्र के पांच विधानसभा क्षेत्रों मंडी, सरकाघाट, बल्ह, जोगिन्द्रनगर और लाहौल स्पिति में महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। इसमें से चार विधानसभा क्षेत्रों में महिलाओं ने मतदान में भी बढचढ कर भाग लेकर अपनी निर्णायक भूमिका निभाई है। मंडी में महिलाओं ने 65.73 और पुरूषों ने 65.66, सरकाघाट में 62.45 और 56.85, बल्ह में 73.65 और 72.48 और जोगिन्द्रनगर में 69.58 प्रतिशत महिलाओं और 57.73 प्रतिशत पुरूषों ने मतदान में भाग लिया है। बहरहाल मतदान प्रक्रिया संपन्न हो जाने के बाद प्रत्याशियों का भविष्य और जनता का निर्णय अब एवीएम में बंद हो चुका है। मंडी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड रहे 9 प्रत्याशियों को जनता की अदालत ने क्या फैसला सुनाया है इसका पटाक्षेप 16 मई को घोषित होने वाले चुनाव नतीजे करेंगे।

विस क्षेत्र कुल मत मतदान प्रतिशत
भरमौर 67699 41799 61.74
लाहौल-स्पिति 22581 14083 62.37
मनाली 63565 40830 64.23
कुल्लू 78212 47301 60.48
बंजार 63619 38264 60.15
आनी 74473 47749 64.12
करसोग 63120 33983 53.84
सुंदरनगर 70106 45014 64.21
नाचन 72513 50977 70.30
सराज 69937 45992 65.76
द्रंग 75311 45874 60.91
जोगिन्द्रनगर 86386 55052 63.73
मंडी 66320 43570 65.70
बल्ह 66953 48912 73.05
सरकाघाट 77607 46315 59.68
रामपुर 68561 43139 62.92
किन्नौर 53526 36494 68.18
कुल 1140489 725348 63.60 

Sunday, 11 May 2014

नहीं थमा राष्ट्रीय ध्वज के दुरूपयोग का सिलसिला


  मंडी। राजनैतिक दलों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के दुरूपयोग के मामलों पर अभी तक अंकुश नहीं लग पाया है। हालांकि उच्चतम न्यायलय ने एक जनहित याचिका में राजनैतिक दलों को राष्ट्रिय ध्वज से मेल खाते पार्टी के झंडों का प्रयोग करने से रोकने के लिए नोटिस भी जारी किये हैं। उच्चतम न्यायलय के न्यायधीश बी एस चौहान और जे. चेलामेश्वर की बेंच ने फरवरी 2014 में केन्द्र सरकार और चुनाव आयोग से राष्ट्रिय ध्वज तिरंगा की नकल करने से रोकने के लिए गाइडलाइन बनाने के लिए उनके विचार मांगे हैं। उच्चतम न्यायलय ने यह आदेश जमशेदपुर के एक सामाजिक कार्यकर्ता अमरप्रीत सिंह खनूजा की पीआईएल में दिये हैं। याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायलय में याचिका दायर कर कहा है कि न्यायलय केन्द्र सरकार राजनैतिक दलों को राष्ट्रिय झंडे की नकल करने से तत्काल रोक लगाए। उनका आरोप है कि कांग्रेस राष्ट्रीय ध्वज के रंगों की नकल का ­झंडा प्रयोग में ला रही है जिनमें सिर्फ अशोक चक्र और हाथ के निशान का अंतर है।  देश के आम लोग तिरंगे को राष्ट्रिय एकता का प्रतीक मानते हैं और तिरंगे से अपनी पहचान सम­झते हैं। ऐसे में राजनैतिक दलों को राष्ट्रिय ध्वज से मेल खाते झंडे का प्रयोग किये जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। तिरंगे को 1931 में राष्ट्रिय ध्वज के रूप में अपनाया गया था। बाद में 22 जुलाई 1947 को झंडे पर चरखे के निशान की जगह अशोक का धर्म चक्र शामिल किया गया था। आजादी के बाद अविभाजित और प्रभुत्वशाली कांग्रेसी पार्टी ने चरखे सहित तिरंगे को अपनी पार्टी का झंडा बना लिया। कांग्रेस का मौजूदा हाथ के निशान वाला झंडा पार्टी के एक ग्रुप की ओर से साल 1977 में अपनाया गया था। जब पार्टी सिंडीकेट कांग्रेस और कांग्रेस (आई) में विभक्त हुई थी।  वर्तमान में कांग्रेस सहित अनेकों दलों के झंडे तिरंगे से बिल्कुल मेल खाते हैं और देखने पर उनमें कोई अंतर नहीं दिखाई देता। आल इंडिया त्रिणमूल कांग्रेस ने 1998 में, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने 1999 में और उतरी पूर्वी राज्य आसाम के राजनैतिक दल बोडोलैंड पीपलस फ्रंट ने भी तिरंगे के रंगों से मेल खाते झंडों को अपनाया है। वहीं पर कुछ अन्य दलों के ­झंडे भी तिरंगे से मिलते जुलते दिखाई
पडते हैं। 

चुनाव आयोग ने भी तिरंगे जैसा बनाया लोगो

चुनाव आयोग ने भी अपना लोगो तिरंगे के रंगों से मेल खाता हुआ बनाया है। इस बार हो रहे चुनावों में पोलिंग स्टेशनों में ईवीएम रखने के लिए वोटिंग कंपार्टमेंट बनाए हुए थे। इन कंपार्टमेंट पर चुनाव आयोग के लोगो लगे हुए थे। हालांकि चुनाव आयोग के कायदों के अनुसार पोलिंस स्टेशन से कूछ दूरी तक किसी भी राजनैतिक पार्टी के ­झंडों और चुनाव निशानों को लगाए जाने की अनुमति नहीं है। लेकिन यहां सवाल खडा होता है कि जब विभिन्न राजनैतिक दलों के झंडे तिरंगे के रंगों के हैं तो तिरंगे के ही रंग का चुनाव आयोग का लोगो क्या उन दलों को फायदा नहीं पहुंचाता और चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करता।  वोटिंग कंपार्टमेंट पर लोगो से राजनैतिक दलों को होने वाले लाभ को रोकने के बारे में शिकायत मुख्य चुनाव आयुक्त भारत चुनाव आयोग को प्रेषित की गई है। लेकिन क्या कार्यवाही हो पाती है यह अभी भविष्य के गर्भ में है।

गंदगी में फैंक दिये जाते हैं तिरंगे दिखते ­झंडे

चुनावों के बाद तिरंगे जैसे दिखने वाले राजनैतिक दलों के ­झंडे गंदगी और नदी नालों में फैंक दिये जाते हैं। चुनावों के दौरान भी इन ­झंडों को अक्सर सडकों, कीचड और गंदी जगहों पर गिरा हुआ देखा जा सकता है। जो एकबारगी राष्ट्रिय ध्वज के अपमान का अहसास करा जाता है। 
-यह पिक्चर भानु वर्मा की वाल से...

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा

आजादी से ठीक पहले 22 जुलाई 1947 को तिरंगे को राष्ट्रिय ध्वज के रूप में स्वीकार किया गया। तिरंगे के निर्माण, उसके आकार और रंग आदि तय हैं। फ्लैग कोड आफ इंडिया के तहत ­झंडे को कभी भी ज़मीन पर नहीं रखा जाएगा। उसे कभी पानी में डुबोया नहीं जाएगा और किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। प्रिवेंशन आफ इन्सल्ट टु नैशनल आनर ऐक्ट-1971 की धारा-2 के मुताबिक फ्लैग और संविधान की इन्सल्ट करने वालों के खिलाफ सख्त कानून हैं। अगर कोई शख्स झंडे को किसी के आगे झुका देता हो, उसे कपडा बना देता हो, मुर्ति में लपेट देता हो या फिर किसी मृत व्यक्ति (शहीद हुए आर्म्ड फोर्सेज के जवानों के अतिरिक्त) के शव पर डालता हो, तो इसे तिरंगे की इन्सल्ट माना जाएगा। तिरंगे की यूनिफार्म बनाकर पहन लेना भी गल्त है। अगर कोई शख्स कमर के नीचे तिरंगा बनाकर कोई कपडा पहनता हो तो यह भी तिरंगे का अपमान है। तिरंगे को अंडरगार्मेंटस, रूमाल या कुशन आदि बनाकर भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। तिरंगे को फहराने के नियम सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही तिरंगा फहराया जा सकता है। फ्लैग कोड में आम नागरिकों को सिर्फ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराने की छूट थी। लेकिन 26 जनवरी 2002 को सरकार ने इंडियन फ्लैग कोड में संशोधन किया और कहा कि कोई भी नागरिक किसी भी दिन ­झंडा फहरा सकता है लेकिन वह फ्लैग कोड का पालन करेगा।  

Thursday, 8 May 2014

बैडिमिंटन प्रतियोगिता में यशपाल बने विजेता


मंडी। भगवान मुहल्ला ग्राउंड में खेली गई बैडिमिंटन प्रतियोगिता के फाइनल में यशपाल विजेता बने। उन्होने फाइनल मैच में प्रवीण को कडी टक्कर के बाद खिताब अपने नाम किया। आल यू निड क्लब की ओर से आयोजित इस प्रतियोगिता के सीनीयर वर्ग का फाइनल प्रवीण और यशपाल के बीच बुधवार को खेला गया। जिसमें यशपाल ने प्रवीण को 15-13, 15-13 से हराकर खिताब पर कब्जा किया। इसी के साथ तीन दिन से चल रही इस प्रतियोगिता का समापन हो गया। समापन के अवसर पर प्रतियोगिता के संयोजक तेजिन्द्र सिंह, अनुपम कश्यप, धीरज, जनित भारद्वाज, राजन चंदेल और प्रशांत हांडा ने बताया कि क्लब की ओर से भगवान मुहल्ला ग्राउंड में पहली बार यह बैडिमिंटन प्रतियोगिता आयोजित की गई है। उन्होने कहा कि भविष्य में भी कल्ब इसी तरह की खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियां संचालित करता रहेगा।

वोटिंग कंपार्टमेंट पर चुनाव आयोग का लोगो हटाया जाए


मंडी। वोटिंग कंपार्टमेंट पर भारत निर्वाचन आयोग के लोगो से चुनाव प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। लोगो का रंग एक पार्टी के झंडे से मेल खाता है। जिससे पोलिंग स्टेशन में वोट देने गए मतदाताओं के प्रभावित होने की आशंका है। इस आशय की शिकायत चुनाव आयोग के मुखय चुनाव आयुक्त को जिला निर्वाचन अधिकारी के माध्यम से प्रेषित की गई है। मंडी के भगवान मुहल्ला निवासी समीर कश्यप एडवोकेट ने बताया कि जब वह 7 मई को वोट डालने के लिए अपने पोलिंग स्टेशन पहुंचे तो वहां इवीएम रखने के लिए एक डिब्बानुमा वोटिंग कंपार्टमेंट बनाया गया था। इस वोटिंग कंपार्टमेंट के तीनों ओर केसरी, सफेद और हरे रंग में उकेरे हुए भारत निर्वाचन आयोग के लोगो बने हुए थे। यह लोगो दूर से देखने पर चुनाव लड रही एक राष्ट्रिय पार्टी के झंडे के रूप में प्रदर्शित हो रहे थे। जिसके नीचे हिंदी और अंग्रेजी में भारत निर्वाचन आयोग लिखा था। इसके बाद अधिवक्ता ने रामनगर के दो अन्य बूथों पर भी लोगो लगे होने के बारे में जानना चाहा तो वहां के पोलिंग बूथों में भी वोटिंग कंपार्टमेंट पर लोगो अंकित किये गये मिले। अधिवक्ता का कहना है कि इस लोगो से एक पार्टी को चुनावी फायदा पहुंच सकता है। उन्होने कहा कि आयोग का यह लोगो कई प्रकाशन सामग्री, कैलेंडर आदि में भी प्रकाशित किया गया है। उन्होने कहा कि देश के निरक्षर मतदाता जो अक्षर नहीं चिन्हते हैं और झंडों के रंगों का ही मतलब समझते हैं वह इससे प्रभावित हो सकते हैं। उन्हे यह लग सकता है कि यह चुनाव एक पार्टी विशेष द्वारा प्रायोजित किये जा रहे हैं। इवीएम के नजदीक किसी पार्टी की ओर प्रभावित करने और उन्हे फायदा पहुंचाने वाली सामग्री नहीं होनी चाहिए भले ही वह चुनाव आयोग की सामग्री क्यों न हो। अधिवक्ता ने बताया कि उन्होने इस बारे में पोलिंग अधिकारी को शिकायत करनी चाही तो उन्हे उपमंडलाधिकारी से संपर्क करने को कहा गया। जिस पर उन्होने उपमंडलाधिकारी सदर शुभकरण सिंह को इस बारे में सूचित किया और उनसे इस लोगो का प्रदर्शन रोकने को कहा। लेकिन उपमंडलाधिकारी का कहना था कि यह लोगो चुनाव आयोग की ओर से लगाया गया है जिसकी शिकायत मुखय चुनाव आयुक्त को ही की जा सकती है। ऐसे में अधिवक्ता ने जिला निर्वाचन अधिकारी उपायुक्त मंडी देवेश कुमार को इस बारे में अवगत करवाया और उनके माध्यम से भारत चुनाव आयोग के मुखय चुनाव आयुक्त को शिकायत सौंपी। इधर, जिला निर्वाचन अधिकारी उपायुक्त मंडी देवेश कुमार ने शिकायत मिलने की पुष्टि करते हुए बताया कि लोगो के बारे में चुनाव आयोग ही कोई निर्णय ले सकता है। उन्होने बताया कि शिकायत को निर्वाचन आयोग को प्रेषित कर दिया जाएगा।

Wednesday, 7 May 2014

बैडिमिंटन प्रतियोगिता में जयन बने जूनियर विजेता


मंडी। भगवान मुहल्ला ग्राउंड में इन दिनों जारी बैडिमिंटन प्रतियोगिता के जूनियर वर्ग में जयन विजेता बने। आल यू निड क्लब की ओर से आयोजित इस प्रतियोगिता के सीनीयर वर्ग का फाइनल प्रवीण और यशपाल के बीच में बुधवार को खेला जाएगा। प्रतियोगिता के संयोजक तेजिन्द्र सिंह, अनुपम कश्यप, धीरज, जनित भारद्वाज, राजन चंदेल और प्रशांत हांडा ने बताया कि क्लब की ओर से भगवान मुहल्ला ग्राउंड में पहली बार यह बैडिमिंटन प्रतियोगिता आयोजित की गई है। इस प्रतियोगिता में 20 खिलाडियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता के जूनियर वर्ग में मंगलवार को हुए फाइनल मैच में जयन ने भुवन को 15-4, 10-15 और 15-6 से हराकर जीत अपने नाम दर्ज की। वहीं पर सीनीयर वर्ग के सेमीफाइनल में प्रवीण ने भरत और यशपाल ने उमेश पर जीत दर्ज करके फाइनल में प्रवेश किया। प्रतियोगिता का फाइनल मैच बुधवार सुबह खेला जाएगा।

Tuesday, 6 May 2014

वाहन दुर्घटना से हुई मौत के जुर्म में दो साल की कैद व जुर्माना


मंडी। तेज गति और लापरवाही से वाहन चलाकर एक व्यक्ति की मौत को अंजाम देने के आरोपी चालक को अदालत ने दो साल के साधारण कारावास और 1500 रूपये जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर दो रमणीक शर्मा के न्यायलय ने सदर तहसील के रठोल (बाल्ट) निवासी विजय कुमार उर्फ विजू पुत्र इंद्र सिंह के खिलाफ भादंस की धारा 304-ए, 279 और मोटर वाहन अधिनियम की धारा 185 के तहत चलाया गया अभियोग साबित होने पर उसे क्रमश: दो साल, छह माह और 15 दिन के साधारण कारावास और क्रमश: 1000 और 500 रूपये के जुर्माने की सजा सुनायी है। आरोपी के जुर्माना राशि निश्चित समय में अदा न करने पर उसे क्रमश: एक माह और पंद्रह-2 दिनों के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। अभियोजन पक्ष के अनुसार 11 जनवरी 2008 को औट पुलिस थाना में सूचना मिली कि थलौट के पास जीप ने एक व्यक्ति को टक्कर मार दी है। सूचना के आधार पर एएसआई सीता राम की अगुवाई में पुलिस का एक दल मौकास्थल पर पहुंचा। जहां पर दुकानदार टिक्कम राम ने पुलिस को बताया कि घटना के समय वह दूकान में बैठा था। जबकि साथ लगती बैल्डर की दुकान का नौकर बेसर सिंह उनकी दुकान के बाहर लगे हैंडपंप से पानी भर रहा था। इसी दौरान औट की ओर से एक जीप ने पहले एक कार को टक्कर मारी। इसके बाद जीप बेसर सिंह को हैडपंप से उठाकर करीब 6-7 फुट तक घसीटती हुई ले गई। इस घटना में उसे कान, मुंह और सिर पर गंभीर चोटें आई। घटना के बाद आरोपी जीप चालक घटना के मौका से फरार हो गया। वहां मौजूद टिक्कम राम व अन्य लोग उसे उपचार के लिए ले जा रहे थे। लेकिन इसी बीच हनोगी मंदिर के पास घायल बेसर सिंह ने दम तोड दिया। पुलिस ने आरोपी चालक के खिलाफ मामला दर्ज करके उसे हिरासत में लेने के बाद अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए सहायक लोक अभियोजक नितिन शर्मा ने 14 गवाहों के बयान कलमबंद करके आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित किया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ तेज रफतारी और लापरवाही से वाहन चला कर व्यक्ति की मौत को अंजाम देने और इसके बाद मौका से फरार हो जाने का अभियोग संदेह की छाया से दूर साबित हुआ है। जिसके चलते अदालत ने आरोपी को उक्त कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है।

85वां संशोधन लागू न करने को कांग्रेस-भाजपा जिम्मेवार


मंडी। हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी बहुजन महासंघ ने 85वां संविधान संशोधन प्रदेश में लागू न करने के लिए कांग्रेस और भाजपा सरकारों को जिम्मेवार ठहराया है। महासंघ के अध्यक्ष अमरनाथ खुराना, वरिष्ठ उपाध्यक्ष बाबूराम यादव, महासचिव रामलाल सुमन, उपाध्यक्ष कश्मीर सिंह, संगठन मंत्री धर्मचंद, प्रचार सचिव मंगत राम, एससी व एसटी सैल के प्रधान राजेश अनार्य, महासचिव मंगतराम, मोहर सिंह, सुखराम और कानूनी सलाहकार नरेन्द्र कुमार ने संयुक्त ब्यान में कहा कि कांग्रेस और भाजपा की नितियां इन वर्गों की हितचिंतक नहीं है। इसी लिए 85वें संविधान संशोधन को प्रदेस में लागू किये जाने से लटकाया जा रहा है। उन्होने कहा कि संसद के दोनों सदनों में बिल पास होने के बाद भारतीय संविधान में संशोधन किया गया। जिसके तहत एससी व एसटी के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए अलग वरिष्ठता सूचि बनाकर इन वर्गों की पदोन्नति की जाए। हालांकि यह कानून केन्द्र, दिल्ली और कई राज्यों में लागू कर दिया गया है। जिसके लिए प्रदेश सरकार से भी इस कानून को लागू करने के लिए साल 2002 से मांग की जा रही है। लेकिन उच्चतम न्यायलय में इस संशोधन को लागू न करने पर दायर की गई अवमानना याचिका को खारिज कर दिया गया है। उन्होने कहा कि यह फैसला एससी व एसटी के मान सम्मान व संवैधानिक अधिकारों का हनन, तानाशाहीपुर्ण, मानवता और विकास विरोधी है। उन्होने कहा कि केंद्र की यूपीए सरकार ने चुनावों से पहले ओबीसी और महिला आरक्षण को लटकाए कहा। उन्होने कहा कि आरक्षण भीख नहीं है बल्कि यह संवैधानिक अधिकार है। उन्होने कहा कि कांग्रेस और भाजपा की गरीब, पिछडा वर्ग और आरक्षण विरोधी निति है। उन्होने प्रदेश की जनता से वीरभद्र सिंह और प्रेमकुमार धूमल की परिवारवाद की निति को अपने वोटों की शक्ति से उखाड फेंकने का आहवान किया है। 

Monday, 5 May 2014

कई जगह प्रत्याशियों से वाकिफ नहीं हैं मतदाता


 मंडी। ...भले ही दो दिन बाद सात मई को होने वाले मंडी संसदीय क्षेत्र के चुनाव आयोग ने मतदान की तैयारियां पूरी कर ली गई हों। लेकिन यह तथ्य चौंकाने वाला है कि चुनाव प्रचार के अंतिम चरण के बावजूद अभी तक मतदाता चुनाव मैदान में उतरे सभी प्रत्याशियों से वाकिफ नहीं हो पाए हैं। हिमाचल प्रदेश के छह जिलों के क्षेत्रों में फैले इस संसदीय क्षेत्र के अधिकांश मतदाताओं तक प्रत्याशी नहीं पहुंच पाए हैं। संसदीय क्षेत्र का आकार बहुत विस्तृत होना इसका कारण हो सकता है। चुनावी खर्चे की नियमित जांच और पोस्टरों, गाडियों, झंडों को लेकर चुनाव आयोग की सख्ती भी इसका कारण हो सकता है। हालत यह है कि मतदाता कुछ प्रत्याशियों के नामों और चुनाव चिन्हों तक से भी अनभिज्ञ हैं। चुनाव के घोषणा पत्रों और मुद्दों की चर्चा तो दूर की बात है। मंडी संसदीय क्षेत्र से इस बार 9 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य राजनैतिक दलों के चार प्रत्याशी चुनाव लड रहे हैं। जिनमें कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया (मार्क्ससिस्ट) के प्रत्याशी कुशाल भारद्वाज मंडी जिला की जोगिन्द्रनगर तहसील के बसेहड (नौहली) गांव से हैं। उनका चुनाव निशान हथौडा, हंसिया और सितारा है। इंडियन नेशनल कांग्रेस की प्रत्याशी प्रतिभा सिंह जिला शिमला के पदम पैलेस (रामपुर बशैहर) से हैं। इनका चुनाव निशान हाथ है। भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी राम स्वरूप शर्मा जिला मंडी की जोगिन्द्रनगर तहसील के जलपेहड गांव से हैं और इनका चुनाव निशान कमल है। बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी लाला राम शर्मा जिला मंडी की करसोग तहसील के स्नेड (कुन्हु) गांव से हैं और इनका चुनाव निशान हाथी है। मंडी संसदीय क्षेत्र से रजिस्ट्रीकृत राजनैतिक दलों के तीन प्रत्याशी चुनाव लड रहे हैं। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी जय चंद ठाकुर जिला मंडी की सरकाघाट तहसील के रोपा कलोनी के निवासी हैं और इनका चुनाव निशान ­झाडू है। बहुजन मुक्ति पार्टी के प्रत्याशी देविन्द्र देव जिला मंडी की सुंदरनगर तहसील के देरडू (कपाही) गांव से संबंध रखते हैं और उनका चुनाव निशान चारपाई है। समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार पुनी चंद जिला कांगडा की पालमपुर तहसील के मौनू (पंचरूखी) के रहने वाले हैं और उनका चुनाव चिन्ह साइकिल है। इसके अलावा मंडी संसदीय क्षेत्र से दो निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं। भाग चंद राणा जिला कुल्लू की मनाली तहसील के बुरूआ गांव से हैं और उन्हे बैटरी टार्च का चुनाव चिन्ह मिला है। सुभाष मोहन स्नेही जिला कुल्लू के निरमंड निवासी हैं। उनका चुनाव चिन्ह नारियल है।  

टकोली सब्जी मंडी के नजदीक गंदगी का अंबार


मंडी। उपतहसील औट की टकोली सब्जी मंडी के साथ सटे नाले में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। स्थानीय वासियों ने इस बारे में उपमंडलाधिकारी मंडी शुभकरण सिंह को ज्ञापन देकर उचित कार्यवाही की मांग की है। कोटाधार पंचायत के इंद्र आरोडा, डोलमा, इन्द्रा देवी, प्रहलाद शर्मा, मोहिन्द्र सिंह, ऐजाज, बाली देवी, गंगा राम, कृष्ण कुमार, अमर चंद और जयराम सहित अन्य स्थानीय लोगों ने टकोली सब्जी मंडी के साथ लगते नाले में गंदगी फेंकने का विरोध किया है। उनके अनुसार कुछ लोग नाले में गंदगी फैंक रहे हैं। जिससे नाले में गंदगी का ढेर जमा हो गया है। गर्मी बढने के साथ ही इस जगह पर चारों ओर बदबू फैल रही है। जिससे यहां से लोगों का गुजरना दूभर हो गया है। यही नहीं नाले में गंदगी फैंकने से बीमारियों के फैलने का अंदेशा हो गया है। टकोली सब्जी मंडी में हर दिन सैंकडों लोगों की आवाजाही रहती है। लेकिन गंदगी और बदबू के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड रहा है। उन्होने उपमंडलाधिकारी सदर से मांग की है कि इस बारे में उचित कार्यवाही शीघ्र अमल में लाई जाए। जिससे लोगों को राहत मिल सके।

Sunday, 4 May 2014

उपभोक्ता को नयी कार 30 दिनों में देने के आदेश


मंडी। जिला उपभोक्ता फोरम ने वाहन विक्रेता को उपभोक्ता के पक्ष में 30 दिनों में नया वाहन देने का फैसला सुनाया। ऐसा न करने पर विक्रेता को उपभोक्ता के पक्ष में 4,97,275 रूपये की राशि ब्याज सहित अदा करने होंगे। विक्रेता की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले 20,000 रूपये हर्जाना और 5000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करना होगा। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष जे एन यादव और सदस्यों रमा वर्मा व आकाश शर्मा ने सदर तहसील के चंडयाल (गागल) निवासी गगन दीप गुप्ता पुत्र सी एल गुप्ता की शिकायत को उचित मानते हुए विक्रेता लुनापानी (भंगरोटू) स्थित सतलुज मोटरस को उपभोक्ता के पक्ष में नया वाहन 30 दिनों में देने का फैसला सुनाया। ऐसा न करने पर वाहन की कीमत 9 प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करनी होगी। अधिवक्ता तिलक राज शर्मा के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने विक्रेता से इंडिका कार खरीदी थी। वाहन खरीदते समय उपभोक्ता को बताया गया था कि इसकी अनुमानित माइलेज 25 किलोमीटर प्रति लीटर है। लेकिन उपभोक्ता के अनुसार इस वाहन की माइलेज 15-16 किलोमीटर है। उपभोक्ता ने वाहन की सर्विस के समय विक्रेता को इस खराबी के बारे में बताया। लेकिन उन्हे कहा गया कि पांच हजार किलोमीटर चलने के बाद कार की माईलेज 25 किलोमीटर तक बढ जाएगी। लेकिन कार ने जब यह माइलेज नहीं दी तो उपभोक्ता ने दूसरी सर्विस के समय विक्रेता को इसे ठीक करने को कहा। लेकिन वाहन की खराबी ठीक न हो पाने के कारण उन्होने फोरम में शिकायत दायर की थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि सुनवाई के दौरान इस मामले में लोकल कमीश्नर की नियुक्ति करके कार में खराबी, माईलेज और सेकेंड हैंड होने के बारे में निरिक्षण करके रिर्पोट तलब की थी। लोकल कमीशनर ने अपनी रिर्पोट में राय दी कि वाहन की माइलेज 18.21 किलोमीटर है जो काफी कम है। माइलेज का कम होना वाहन के निर्माण से संबंधित खराबी हो सकती है। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि लोकल कमीश्नर की रिर्पोट से जाहिर होता है कि विक्रेता ने उपभोक्ता को पुराना वाहन बेचा है और इसमें निर्माण से संबंधित खराबी है। जो विक्रेता की सेवाओं में कमी को दर्शाता है। फोरम ने विक्रेता को 30 दिनों के भीतर उसी मॉडल का बिना कोई राशि वसूले नया वाहन देने या वाहन की कीमत ब्याज सहित अदा करने का आदेश दिया। इसके अलावा विक्रेता की सेवाओं में कमी के चलते उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले हर्जाना और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया।

Saturday, 3 May 2014

मंडी के जिला न्यायलय में मनाया गया मई दिवस


मंडी। जिला एवं सत्र न्यायलय के बार रूम में वीरवार को मई दिवस का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश पदम सिंह ठाकुर ने की। इस अवसर पर उन्होने कहा कि मई दिवस के मौके पर मजदूरों को श्रम कानूनों के प्रति जागरूक करने का आहवान किया। हालांकि मजदूरों के लिए मिनिमम वेज एक्ट, इमपलाइज कंपनसेशन एक्ट, औद्योगिक विवाद अधिनियम सहित अन्य कानून बनाए गए हैं। लेकिन जागरूकता के अभाव में मजदूर वर्ग अपने अधिकारों का समुचित लाभ नहीं उठा पाता। उन्होने कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से समय-2 पर मजदूरों व कामगारों को श्रम कानूनों की जानकारी देने के लिए शिविर आयोजित किये जाते हैं। मुखय न्यायिक दंडाधिकारी जिया लाल आजाद ने इस मौके पर कहा कि मजदूरों को विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से निशुल्क विधिक सहायता दिये जाने का प्रावधान है। जिसमें मजदूरों की आय चाहे कितनी ही हो उन्हे मुफत विधिक सहायता का लाभ दिया जाता है। उन्होने कहा कि श्रमिकों से आठ घंटे से ज्यादा काम लेना और न्युनतम वेतन नहीं देना श्रम कानूनों का उल्लंघन है। अधिवक्ता समीर कश्यप ने मई दिवस के इतिहास और इसे मनाने की सार्थकता पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि संगठित व असंगठित क्षेत्रों में श्रमिकों का शोषण अभी भी निरंतर जारी है। आलम यह है कि असंगठित क्षेत्र में कार्य करने वालों का पंजीकरण न होने से इनकी संखया के बारे में कोई सपष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में मई दिवस की प्रासांगिकता मौजूदा दौर में अधिक बढ जाती है। अधिवक्ता ललित ठाकुर ने कहा कि श्रमिकों के कार्य की स्थितियां बहुत विकट हैं। मजदूरों को जिन परिस्थितियों में काम करना पडता है उससे उनके स्वास्थय पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है। उन्होने कहा कि मजदूर वर्ग को अपनी जान जोखिम में डाल कर कार्य करना पडता है। इसके अलावा अनुबंध और स्थायी कर्मियों के वेतन में भारी असमानता है। कार्यक्रम का संचालन नवल ठाकुर ने किया। इस मौके पर जिला एवं सत्र न्यायलय के अधिवक्ता और न्यायिक कर्मचारी मौजूद थे।

Friday, 2 May 2014

न्युनतम वेतन के लिए जारी है श्रमिक आंदोलन


 मंडी। ...दुनिया भर के मेहनतकशो एक हो जाओ के नारे के साथ मजदूरों की एकजुटता के लिए पहली मई को मई दिवस मनाया जाता है। मई दिवस के दिन शिकागो के शहीदों को याद किया जाता है। श्रमिकों के काम के 8 घंटे निर्धारित करने और उन्हे यह अधिकार दिलाने की शुरूआत अमेरिका में एक मुहिम से शुरू हुई थी। मई दिवस के शहीदों पार्सन्स, स्पाइस, एंजेल, फिशर और उनके साथियों के नेतृत्व में शिकागो के मजदूरों ने आठ घंटे के कार्यदिवस के लिए एक शानदार और एकजुट लडाई लडी थी। उन दिनों ऐसे हालात थे कि मजदूर कारखानों में बारह, चौदह और सोलह घंटों तक काम करते थे। शिकागो के हेमार्केट में तीन दिन की आम हडताल हुई। जिसमें आम मजदूर, कारीगर, व्यापारी और अप्रवासी शामिल थे। पुलिस के गोली चलाए जाने और चार हडतालियों को संयत्र में मार डालने की घटना के बाद हेमार्केट स्क्वायर में एक रैली का आयोजन किया गया। रैली के अंत में जैसे ही पुलिस कार्यक्रम को तितर-बितर करने आगे बढी तो एक अज्ञात हमलावार ने पुलिस की भीड पर बम फेंक दिया। बम और फिर पुलिस दंगे ने सात पुलिसकर्मियों और एक दर्जन लोगों की जान ले ली। हेमार्केट की घटना दुनिया भर के लोगों के क्रोध का कारण बनी। बाद के वर्षों में हेमार्केट शहीदों की याद में मई दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। डीएनएस ने विभिन्न मजदूरों संगठनों के नुमाइंदों से मई दिवस और मजदूरों की समस्याओं पर चर्चा की है।
आल इंडिया ट्रेड युनियन कांग्रेस (एटक)

देश के सबसे पुराने 1920 में बने मजदूर संगठन एटक के प्रदेश उपाध्यक्ष और जिला सचिव मंडल के सदस्य कामरेड प्रकाश पंत का कहना है कि आज के हालातों में मई दिवस की प्रासांगिकता ज्यादा बढ गई है। इस समय तमाम पूंजीवादी पार्टियां व फासिस्ट ताकतें पूरा जोर लगा कर राजसता को कब्जाने की फिराक में है। साफ दिख रहा है कि कारपोरेट सेक्टर अपने पूरे धनबल से घोर दक्षिणपंथी शक्तियों को देश की सता दिलाना चाहता है। जिससे संसद पर अपने कब्जे से मनमानी लूट की छूट मिल सके। मई दिवस पर हिंदोस्तान के तमाम मेहनतकश अवाम से ये उम्मीद की जाती है कि इस देश में ऐसी राज व्यवस्था लाई जाए जिसमें जीने का हक तमाम लोगों को मिले। जात-पात, अल्प-बहुसंख्यक, ऊंच-नीच के सारे भेदभाव खत्म हों। प्रकाश पंत का मानना है कि स्थानीय समस्याओं के लिए राजसता जिम्मेवार है। हिमाचल प्रदेश में जेपी, अडानी और बडी-2 कंपनियों ने बिजली, सीमेंट और अन्य उद्योगों में अपनी लूट जारी रखी है और इस लूट के लिए प्रदेश की सरकारें जिम्मेवार है।
इंडियन नेशनल ट्रेड युनियन कांग्रेस (इंटक)

एटक के बाद सन 1950 में गठित हुई इंटक के प्रदेश उपाध्यक्ष और जिलाध्यक्ष योगिन्द्र पाल कपूर ने मई दिवस के शहीदों को नमन करते हुए कहा कि पिछले कई सालों से देश के मजदूर वर्ग के आंदोलन को किसी सरकार ने तवज्जो नहीं दी है। मजदूर आज भी श्रम कानून लागू न होने और न्युयतम वेतन हासिल करने से वंचित हैं। कोरपोरेट सेक्टर और निजी कंपनियों में श्रमिक का शोषण जारी है और उन्हे वेतन व पेंशन से वंचित रखा जाता है। मजदूर वर्ग का अधिकांश हिस्सा असंगठित क्षेत्र में है। जिसके लिए सरकार ने हालांकि योजना भी बनाई है। लेकिन जागरूकता के अभाव में यह योजना भी मजदूरों का कोई लाभ नहीं कर पा रही है। उनका कहना है कि रोजगार विभाग को खत्म कर दिया जाना चाहिए और विभिन्न विभागों में ही सीधे तौर पर नियुक्तियां की जानी चाहिए। इंटरनेट के जमाने में इस विभाग को कोई अर्थ नहीं रह गया है। विभाग के कर्मियों को अन्य विभागों में समायोजित करके जनता का पैसा व्यर्थ खर्च किये जाने से बचाया जाए।
सेंटर फार इंडियन ट्रेड युनियन (सीटू)

सीटू के जिलाध्यक्ष भूपिन्द्र ठाकुर का कहना है कि इस मई दिवस पर मजदूरों से आहवान है कि आने वाले 7 मई को 16वीं लोकसभा का मतदान प्रदेश में हो रहा है। सभी मजदूरों को उस सरकार के लिए मतदान करना चाहिए जो मजदूरों के हकों की लडाई लडते हैं। मजदूरों का घोर शोषण हो रहा है। श्रम कानूनों का उल्लंघन, न्युनतम वेतन 10,000 रूपये करने, सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा और सभी के लिए स्थायी रोजगार की गारंटी के लिए संघर्ष लगातार जारी है। भूपिन्द्र ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सबसे कम दिहाडी मजदूरों को दी जाती है। प्रदेश की विभिन्न परियोजनाओं में स्थानीय लोगों को निति के मुताबिक रोजगार नहीं मिल रहा है। अंशकालीक कर्मियों का शोषण किया जा रहा है। प्रदेश में पिछले करीब दस सालों से कम पैसे देकर रोजगार देने की निति बनाई गई है। मिड डे और आंगनवाडी कार्यकर्ता अपनी मांगों को लेकर लगातार संघर्षरत हैं।
भारतीय मजदूर संघ (भामसं)

भामसं के पुर्व प्रदेशाध्यक्ष बलबीर शर्मा ने मई दिवस के अवसर पर सभी मजदूरों को शुभकामनाएं दी है। उन्होने कहा कि मजदूरों को आपस में छोटे मोटे भेदभाव भुलाकर एकजुटता लानी चाहिए। तभी मजदूर वर्ग शोषकों की बडी ताकत की चुनौती का सामना कर पाएगा। बलबीर शर्मा का कहना है कि न्यायलयों में मजदूरों के मामलों के निपटारे की प्रक्रिया बहुत लंबी है। इसके अलावा श्रम कानून मजदूरों के हक में कम नियोक्ता के हक में ज्यादा बन रहे हैं। उन्होने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 12 लाख बेरोजगार हैं लेकिन रोजगार सृजन न के बराबर है। उन्होने कहा कि स्वीटजरलैंड की आबादी हमारे प्रदेश से पांच लाख ज्यादा है और क्षेत्रफल पांच हजार किलोमीटर कम है। लेकिन वहां पर बेरोजगारी शुन्य है। ऐसा हमारे प्रदेश में भी हो सकता है। इसके लिए प्रदेश के राजनितिज्ञ और ब्युरोक्रेट जिम्मेवार हैं। इनके पास कोई विजन नहीं है जिसका खामियाजा प्रदेशवासियों को भुगतना पड रहा है।  

न्यायधीशों के सम्मान में बार एसोसिएशन की बैठक आयोजित


मंडी। जिला बार एसोसिएशन की ओर से मंडी में पदभार संभालने वाले न्यायिक अधिकारियों के सम्मान में बैठक का आयोजन किया। बैठक की अध्यक्षता जिला एवं सत्र न्यायधीश एस सी कैंथला ने की। इस मौके पर अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश कोर्ट नंबर दो डी आर ठाकुर ने बार एसोसिएशन का बैठक आयोजन करने पर धन्यावाद किया। उन्होने कहा कि मंडी बार एसोसिएशन से उन्हे पहले भी मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के पद पर कार्यकाल के दौरान बेहतर सहयोग मिला है। वह मंडी से ही पदोन्नत होकर कांगडा जिला में अतिरिक्त सत्र न्यायधीश बने थे। मुखय न्यायिक दंडाधिकारी के रूप में जिया लाल आजाद ने बार एसोसिएशन से बेहतर सहयोग की आपेक्षा की। उसी तरह नवनियुक्त न्यायिक दंडाधिकारी कोर्ट नंबर 4 आकांक्षा डोगरा ने भी बार एसोसिएशन से विधिसममत सहयोग का आग्रह किया। जिला बार एसोसिएशन के प्रधान भारत भूषण शर्मा, प्रदेश बार कौंसिल के सदस्य देशराज शर्मा और नरेन्द्र गुलेरिया ने भी मंडी न्यायलय में पदभार संभालने वाले न्यायिक अधिकारियों का स्वागत किया। उन्होने न्यायिक अधिकारियों को बार एसोसिएशन की ओर से पूरा सहयोग मिलने के बारे में आश्वस्त किया। जिला बार एसोसिएशन के महासचिव लोकेन्द्र कुटलैहडिया ने बताया कि बैठक में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश कोर्ट नंबर एक पदम सिंह, न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर दो रमणीक शर्मा और कोर्ट नंबर तीन गीतिका कपिला, विशेष न्यायिक दंडाधिकारी रघुबीर सिंह सहित बार एसोसिएशन के पदाधिकारी और सदस्य मौजूद थे।

मंडी में बनाया जाए आधुनिक पुस्तकालयः शहीद भगत सिंह विचार मंच

मंडी। प्रदेश की सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी मंडी में आधुनिक और बेहतरीन पुस्तकालय के निर्माण की मांग की गई है। इस संदर्भ में शहर की संस्...