Friday, 2 May 2014

न्युनतम वेतन के लिए जारी है श्रमिक आंदोलन


 मंडी। ...दुनिया भर के मेहनतकशो एक हो जाओ के नारे के साथ मजदूरों की एकजुटता के लिए पहली मई को मई दिवस मनाया जाता है। मई दिवस के दिन शिकागो के शहीदों को याद किया जाता है। श्रमिकों के काम के 8 घंटे निर्धारित करने और उन्हे यह अधिकार दिलाने की शुरूआत अमेरिका में एक मुहिम से शुरू हुई थी। मई दिवस के शहीदों पार्सन्स, स्पाइस, एंजेल, फिशर और उनके साथियों के नेतृत्व में शिकागो के मजदूरों ने आठ घंटे के कार्यदिवस के लिए एक शानदार और एकजुट लडाई लडी थी। उन दिनों ऐसे हालात थे कि मजदूर कारखानों में बारह, चौदह और सोलह घंटों तक काम करते थे। शिकागो के हेमार्केट में तीन दिन की आम हडताल हुई। जिसमें आम मजदूर, कारीगर, व्यापारी और अप्रवासी शामिल थे। पुलिस के गोली चलाए जाने और चार हडतालियों को संयत्र में मार डालने की घटना के बाद हेमार्केट स्क्वायर में एक रैली का आयोजन किया गया। रैली के अंत में जैसे ही पुलिस कार्यक्रम को तितर-बितर करने आगे बढी तो एक अज्ञात हमलावार ने पुलिस की भीड पर बम फेंक दिया। बम और फिर पुलिस दंगे ने सात पुलिसकर्मियों और एक दर्जन लोगों की जान ले ली। हेमार्केट की घटना दुनिया भर के लोगों के क्रोध का कारण बनी। बाद के वर्षों में हेमार्केट शहीदों की याद में मई दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। डीएनएस ने विभिन्न मजदूरों संगठनों के नुमाइंदों से मई दिवस और मजदूरों की समस्याओं पर चर्चा की है।
आल इंडिया ट्रेड युनियन कांग्रेस (एटक)

देश के सबसे पुराने 1920 में बने मजदूर संगठन एटक के प्रदेश उपाध्यक्ष और जिला सचिव मंडल के सदस्य कामरेड प्रकाश पंत का कहना है कि आज के हालातों में मई दिवस की प्रासांगिकता ज्यादा बढ गई है। इस समय तमाम पूंजीवादी पार्टियां व फासिस्ट ताकतें पूरा जोर लगा कर राजसता को कब्जाने की फिराक में है। साफ दिख रहा है कि कारपोरेट सेक्टर अपने पूरे धनबल से घोर दक्षिणपंथी शक्तियों को देश की सता दिलाना चाहता है। जिससे संसद पर अपने कब्जे से मनमानी लूट की छूट मिल सके। मई दिवस पर हिंदोस्तान के तमाम मेहनतकश अवाम से ये उम्मीद की जाती है कि इस देश में ऐसी राज व्यवस्था लाई जाए जिसमें जीने का हक तमाम लोगों को मिले। जात-पात, अल्प-बहुसंख्यक, ऊंच-नीच के सारे भेदभाव खत्म हों। प्रकाश पंत का मानना है कि स्थानीय समस्याओं के लिए राजसता जिम्मेवार है। हिमाचल प्रदेश में जेपी, अडानी और बडी-2 कंपनियों ने बिजली, सीमेंट और अन्य उद्योगों में अपनी लूट जारी रखी है और इस लूट के लिए प्रदेश की सरकारें जिम्मेवार है।
इंडियन नेशनल ट्रेड युनियन कांग्रेस (इंटक)

एटक के बाद सन 1950 में गठित हुई इंटक के प्रदेश उपाध्यक्ष और जिलाध्यक्ष योगिन्द्र पाल कपूर ने मई दिवस के शहीदों को नमन करते हुए कहा कि पिछले कई सालों से देश के मजदूर वर्ग के आंदोलन को किसी सरकार ने तवज्जो नहीं दी है। मजदूर आज भी श्रम कानून लागू न होने और न्युयतम वेतन हासिल करने से वंचित हैं। कोरपोरेट सेक्टर और निजी कंपनियों में श्रमिक का शोषण जारी है और उन्हे वेतन व पेंशन से वंचित रखा जाता है। मजदूर वर्ग का अधिकांश हिस्सा असंगठित क्षेत्र में है। जिसके लिए सरकार ने हालांकि योजना भी बनाई है। लेकिन जागरूकता के अभाव में यह योजना भी मजदूरों का कोई लाभ नहीं कर पा रही है। उनका कहना है कि रोजगार विभाग को खत्म कर दिया जाना चाहिए और विभिन्न विभागों में ही सीधे तौर पर नियुक्तियां की जानी चाहिए। इंटरनेट के जमाने में इस विभाग को कोई अर्थ नहीं रह गया है। विभाग के कर्मियों को अन्य विभागों में समायोजित करके जनता का पैसा व्यर्थ खर्च किये जाने से बचाया जाए।
सेंटर फार इंडियन ट्रेड युनियन (सीटू)

सीटू के जिलाध्यक्ष भूपिन्द्र ठाकुर का कहना है कि इस मई दिवस पर मजदूरों से आहवान है कि आने वाले 7 मई को 16वीं लोकसभा का मतदान प्रदेश में हो रहा है। सभी मजदूरों को उस सरकार के लिए मतदान करना चाहिए जो मजदूरों के हकों की लडाई लडते हैं। मजदूरों का घोर शोषण हो रहा है। श्रम कानूनों का उल्लंघन, न्युनतम वेतन 10,000 रूपये करने, सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा और सभी के लिए स्थायी रोजगार की गारंटी के लिए संघर्ष लगातार जारी है। भूपिन्द्र ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सबसे कम दिहाडी मजदूरों को दी जाती है। प्रदेश की विभिन्न परियोजनाओं में स्थानीय लोगों को निति के मुताबिक रोजगार नहीं मिल रहा है। अंशकालीक कर्मियों का शोषण किया जा रहा है। प्रदेश में पिछले करीब दस सालों से कम पैसे देकर रोजगार देने की निति बनाई गई है। मिड डे और आंगनवाडी कार्यकर्ता अपनी मांगों को लेकर लगातार संघर्षरत हैं।
भारतीय मजदूर संघ (भामसं)

भामसं के पुर्व प्रदेशाध्यक्ष बलबीर शर्मा ने मई दिवस के अवसर पर सभी मजदूरों को शुभकामनाएं दी है। उन्होने कहा कि मजदूरों को आपस में छोटे मोटे भेदभाव भुलाकर एकजुटता लानी चाहिए। तभी मजदूर वर्ग शोषकों की बडी ताकत की चुनौती का सामना कर पाएगा। बलबीर शर्मा का कहना है कि न्यायलयों में मजदूरों के मामलों के निपटारे की प्रक्रिया बहुत लंबी है। इसके अलावा श्रम कानून मजदूरों के हक में कम नियोक्ता के हक में ज्यादा बन रहे हैं। उन्होने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 12 लाख बेरोजगार हैं लेकिन रोजगार सृजन न के बराबर है। उन्होने कहा कि स्वीटजरलैंड की आबादी हमारे प्रदेश से पांच लाख ज्यादा है और क्षेत्रफल पांच हजार किलोमीटर कम है। लेकिन वहां पर बेरोजगारी शुन्य है। ऐसा हमारे प्रदेश में भी हो सकता है। इसके लिए प्रदेश के राजनितिज्ञ और ब्युरोक्रेट जिम्मेवार हैं। इनके पास कोई विजन नहीं है जिसका खामियाजा प्रदेशवासियों को भुगतना पड रहा है।  

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