पडते हैं।
चुनाव आयोग ने भी तिरंगे जैसा बनाया लोगो
चुनाव आयोग ने भी अपना लोगो तिरंगे के रंगों से मेल खाता हुआ बनाया है। इस बार हो रहे चुनावों में पोलिंग स्टेशनों में ईवीएम रखने के लिए वोटिंग कंपार्टमेंट बनाए हुए थे। इन कंपार्टमेंट पर चुनाव आयोग के लोगो लगे हुए थे। हालांकि चुनाव आयोग के कायदों के अनुसार पोलिंस स्टेशन से कूछ दूरी तक किसी भी राजनैतिक पार्टी के झंडों और चुनाव निशानों को लगाए जाने की अनुमति नहीं है। लेकिन यहां सवाल खडा होता है कि जब विभिन्न राजनैतिक दलों के झंडे तिरंगे के रंगों के हैं तो तिरंगे के ही रंग का चुनाव आयोग का लोगो क्या उन दलों को फायदा नहीं पहुंचाता और चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करता। वोटिंग कंपार्टमेंट पर लोगो से राजनैतिक दलों को होने वाले लाभ को रोकने के बारे में शिकायत मुख्य चुनाव आयुक्त भारत चुनाव आयोग को प्रेषित की गई है। लेकिन क्या कार्यवाही हो पाती है यह अभी भविष्य के गर्भ में है।
गंदगी में फैंक दिये जाते हैं तिरंगे दिखते झंडे
चुनावों के बाद तिरंगे जैसे दिखने वाले राजनैतिक दलों के झंडे गंदगी और नदी नालों में फैंक दिये जाते हैं। चुनावों के दौरान भी इन झंडों को अक्सर सडकों, कीचड और गंदी जगहों पर गिरा हुआ देखा जा सकता है। जो एकबारगी राष्ट्रिय ध्वज के अपमान का अहसास करा जाता है।
-यह पिक्चर भानु वर्मा की वाल से...
राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा
आजादी से ठीक पहले 22 जुलाई 1947 को तिरंगे को राष्ट्रिय ध्वज के रूप में स्वीकार किया गया। तिरंगे के निर्माण, उसके आकार और रंग आदि तय हैं। फ्लैग कोड आफ इंडिया के तहत झंडे को कभी भी ज़मीन पर नहीं रखा जाएगा। उसे कभी पानी में डुबोया नहीं जाएगा और किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। प्रिवेंशन आफ इन्सल्ट टु नैशनल आनर ऐक्ट-1971 की धारा-2 के मुताबिक फ्लैग और संविधान की इन्सल्ट करने वालों के खिलाफ सख्त कानून हैं। अगर कोई शख्स झंडे को किसी के आगे झुका देता हो, उसे कपडा बना देता हो, मुर्ति में लपेट देता हो या फिर किसी मृत व्यक्ति (शहीद हुए आर्म्ड फोर्सेज के जवानों के अतिरिक्त) के शव पर डालता हो, तो इसे तिरंगे की इन्सल्ट माना जाएगा। तिरंगे की यूनिफार्म बनाकर पहन लेना भी गल्त है। अगर कोई शख्स कमर के नीचे तिरंगा बनाकर कोई कपडा पहनता हो तो यह भी तिरंगे का अपमान है। तिरंगे को अंडरगार्मेंटस, रूमाल या कुशन आदि बनाकर भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। तिरंगे को फहराने के नियम सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही तिरंगा फहराया जा सकता है। फ्लैग कोड में आम नागरिकों को सिर्फ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराने की छूट थी। लेकिन 26 जनवरी 2002 को सरकार ने इंडियन फ्लैग कोड में संशोधन किया और कहा कि कोई भी नागरिक किसी भी दिन झंडा फहरा सकता है लेकिन वह फ्लैग कोड का पालन करेगा।
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