Sunday, 4 May 2014

उपभोक्ता को नयी कार 30 दिनों में देने के आदेश


मंडी। जिला उपभोक्ता फोरम ने वाहन विक्रेता को उपभोक्ता के पक्ष में 30 दिनों में नया वाहन देने का फैसला सुनाया। ऐसा न करने पर विक्रेता को उपभोक्ता के पक्ष में 4,97,275 रूपये की राशि ब्याज सहित अदा करने होंगे। विक्रेता की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले 20,000 रूपये हर्जाना और 5000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करना होगा। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष जे एन यादव और सदस्यों रमा वर्मा व आकाश शर्मा ने सदर तहसील के चंडयाल (गागल) निवासी गगन दीप गुप्ता पुत्र सी एल गुप्ता की शिकायत को उचित मानते हुए विक्रेता लुनापानी (भंगरोटू) स्थित सतलुज मोटरस को उपभोक्ता के पक्ष में नया वाहन 30 दिनों में देने का फैसला सुनाया। ऐसा न करने पर वाहन की कीमत 9 प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करनी होगी। अधिवक्ता तिलक राज शर्मा के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने विक्रेता से इंडिका कार खरीदी थी। वाहन खरीदते समय उपभोक्ता को बताया गया था कि इसकी अनुमानित माइलेज 25 किलोमीटर प्रति लीटर है। लेकिन उपभोक्ता के अनुसार इस वाहन की माइलेज 15-16 किलोमीटर है। उपभोक्ता ने वाहन की सर्विस के समय विक्रेता को इस खराबी के बारे में बताया। लेकिन उन्हे कहा गया कि पांच हजार किलोमीटर चलने के बाद कार की माईलेज 25 किलोमीटर तक बढ जाएगी। लेकिन कार ने जब यह माइलेज नहीं दी तो उपभोक्ता ने दूसरी सर्विस के समय विक्रेता को इसे ठीक करने को कहा। लेकिन वाहन की खराबी ठीक न हो पाने के कारण उन्होने फोरम में शिकायत दायर की थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि सुनवाई के दौरान इस मामले में लोकल कमीश्नर की नियुक्ति करके कार में खराबी, माईलेज और सेकेंड हैंड होने के बारे में निरिक्षण करके रिर्पोट तलब की थी। लोकल कमीशनर ने अपनी रिर्पोट में राय दी कि वाहन की माइलेज 18.21 किलोमीटर है जो काफी कम है। माइलेज का कम होना वाहन के निर्माण से संबंधित खराबी हो सकती है। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि लोकल कमीश्नर की रिर्पोट से जाहिर होता है कि विक्रेता ने उपभोक्ता को पुराना वाहन बेचा है और इसमें निर्माण से संबंधित खराबी है। जो विक्रेता की सेवाओं में कमी को दर्शाता है। फोरम ने विक्रेता को 30 दिनों के भीतर उसी मॉडल का बिना कोई राशि वसूले नया वाहन देने या वाहन की कीमत ब्याज सहित अदा करने का आदेश दिया। इसके अलावा विक्रेता की सेवाओं में कमी के चलते उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले हर्जाना और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया।

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