Monday, 19 May 2014

मिडिएशन पर विधिक शिविर आयोजित


मंडी। जिला एवं सत्र न्यायलय में मध्यस्थता (मिडिएशन) की जानकारी देने के लिए विधिक शिविर का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता जिला एवं सत्र न्यायधीश एस सी कैंथला ने की। जिला बार रूम में आयोजित शिविर को संबोधित करते हुए उन्होने अधिवक्ताओं और लोगों से मिडिएशन के माध्यम से अधिक से अधिक मामले सुलझाने के लिए आहवान किया। उन्होने कहा कि अधिवक्ताओं को अदालत में न्याय हासिल करने आए लोगों को मिडिएशन के बारे में जागरूक करना चाहिए। उन्होने कहा कि अधिवक्ता वर्ग को ऐसा नहीं समझना चाहिए कि मामलों का समझौता हो जाने से उनके पास काम की कमी हो जाएगी। अगर लोगों के विवाद जल्दी सुलझ जाएं तो अधिक से अधिक लोग अदालत में अपने मामलों को सुलझाने के लिए सामने लाएंगे। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर एक विवेक खेनाल ने इस मौके पर कहा कि न्यायिक व्यवस्था को चलाने में अधिवक्ताओं की अहम भूमिका रहती है। अगर अधिवक्तागण न्याय हासिल करने आए लोगों को मिडिएशन के माध्यम से निस्तारण के लिए जागरूक करें तो न्यायिक व्यवस्था के प्रति लोगों में सममान बढेगा। उन्होने कहा कि यह देखने में आया है कि लोग अपने मामलों को अदालत तक इसलिए नहीं लेकर आते क्योंकि उन्हे ऐसा लगता है कि मामले का फैसला होने में लंबा समय लग सकता है और निर्णय के बारे में भी उन्हे आशंकाएं रहती हैं जिससे लोगों का न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास कम होता है। अधिवक्ता ललित कपूर का इस मौके पर कहना था कि मध्यस्थता का चलन प्राचीन समय से है। महाभारत काल में उल्लेख आता है कि कौरवों और पांडवों के बीच समझौता करने के लिए भगवान कृष्ण ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। अधिवक्ता दुनी चंद शर्मा ने कहा कि ज्यादातर वैवाहिक विवादों में यह देखने में आता है कि दोनों पक्षों में छोटी-2 घरेलू कहासुनी बडे विवाद का रूप ले लेती है और वे वर्षों तक अदालतों में उलझते रहते हैं। उन्होने कहा कि मिडिएशन के माध्यम से इन विवादों को समाप्त करके नयी जिंदगी शुरू करने का एक अच्छा अवसर होता है। अधिवक्ता प्रेम सिंह ठाकुर ने कहा कि मिडिएशन की प्रक्रिया को धरातल पर ठोस रूप से अमली जामा पहनाया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि अदालतों से दोनों पक्षों को मिडिएशन में शामिल होने के निर्देश के बावजूद वह अक्सर मिडिएशन की कार्यवाही में भाग नहीं लेते हैं। अधिवक्ता समीर कश्यप ने कहा कि मिडिएशन का सबसे अच्छा पहलू यह है कि इसमें दोनों पक्ष अपने आप ही विवाद का निस्तारण अपनी शर्तों के अनुसार करते हैं। जिससे एक ओर विवाद हमेशा-2 के लिए समाप्त हो जाता है वहीं पर मामले का निस्तारण जल्द हो जाने से उनकी अदालत की लंबी प्रक्रिया में होने वाली ऊर्जा, समय और धन की हानि भी रूक जाती है। शिविर में मुखय न्यायिक दंडाधिकारी जे एल आजाद, न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर दो रमणीक शर्मा, कोर्ट नंबर चार आकांक्षा डोगरा, विशेष न्यायिक दंडाधिकारी रघुवीर सिंह, प्रशिक्षित मिडिएटर, अधिवक्तागण और न्यायलय में अपने मामलों की सुनवाई के लिए आए लोग मौजूद थे।

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