Saturday, 3 May 2014

मंडी के जिला न्यायलय में मनाया गया मई दिवस


मंडी। जिला एवं सत्र न्यायलय के बार रूम में वीरवार को मई दिवस का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश पदम सिंह ठाकुर ने की। इस अवसर पर उन्होने कहा कि मई दिवस के मौके पर मजदूरों को श्रम कानूनों के प्रति जागरूक करने का आहवान किया। हालांकि मजदूरों के लिए मिनिमम वेज एक्ट, इमपलाइज कंपनसेशन एक्ट, औद्योगिक विवाद अधिनियम सहित अन्य कानून बनाए गए हैं। लेकिन जागरूकता के अभाव में मजदूर वर्ग अपने अधिकारों का समुचित लाभ नहीं उठा पाता। उन्होने कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से समय-2 पर मजदूरों व कामगारों को श्रम कानूनों की जानकारी देने के लिए शिविर आयोजित किये जाते हैं। मुखय न्यायिक दंडाधिकारी जिया लाल आजाद ने इस मौके पर कहा कि मजदूरों को विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से निशुल्क विधिक सहायता दिये जाने का प्रावधान है। जिसमें मजदूरों की आय चाहे कितनी ही हो उन्हे मुफत विधिक सहायता का लाभ दिया जाता है। उन्होने कहा कि श्रमिकों से आठ घंटे से ज्यादा काम लेना और न्युनतम वेतन नहीं देना श्रम कानूनों का उल्लंघन है। अधिवक्ता समीर कश्यप ने मई दिवस के इतिहास और इसे मनाने की सार्थकता पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि संगठित व असंगठित क्षेत्रों में श्रमिकों का शोषण अभी भी निरंतर जारी है। आलम यह है कि असंगठित क्षेत्र में कार्य करने वालों का पंजीकरण न होने से इनकी संखया के बारे में कोई सपष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में मई दिवस की प्रासांगिकता मौजूदा दौर में अधिक बढ जाती है। अधिवक्ता ललित ठाकुर ने कहा कि श्रमिकों के कार्य की स्थितियां बहुत विकट हैं। मजदूरों को जिन परिस्थितियों में काम करना पडता है उससे उनके स्वास्थय पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है। उन्होने कहा कि मजदूर वर्ग को अपनी जान जोखिम में डाल कर कार्य करना पडता है। इसके अलावा अनुबंध और स्थायी कर्मियों के वेतन में भारी असमानता है। कार्यक्रम का संचालन नवल ठाकुर ने किया। इस मौके पर जिला एवं सत्र न्यायलय के अधिवक्ता और न्यायिक कर्मचारी मौजूद थे।

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