मंडी। स्टेरिलाइजेशन आपरेशन के बावजूद प्रसूता होने पर जिला उपभोक्ता फोरम ने स्वास्थय विभाग और मुख्य चिकित्सा अधिकारी की सेवाओं में कमी करार देते हुए उनकी बीमा कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में 30 हजार रूपये बीमा राशि ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा बीमा कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में 5000 रूपये हर्जाना और 3000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करने के आदेश दिये हैं। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष जे एन यादव और सदस्यों रमा वर्मा व आकाश शर्मा ने थुनाग तहसील के नागीनाल निवासी हेम लता पत्नी खेम राज की शिकायत को उचित मानते हुए प्रदेश के स्वास्थय विभाग और मंडी के मुखय चिकित्सा अधिकारी की सेवाओं में कमी के कारण आईसीआईसीआई लोंबार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में उक्त बीमा राशि 9 प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। अधिवक्ता यादविन्द्र ठाकुर और राजेश जोशी के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने सिविल अस्पताल करसोग में कैंप के दौरान 2 दिसंबर 2010 को स्टेरिलाइजेशन आपरेशन करवाया था। लेकिन इस आपरेशन के बावजूद वे 9 फरवरी 2011 को फिर से प्रसूता हो गई और उन्होने 11 अगस्त 2011 को लडके को जन्म दिया। जो 4 सितंबर 2011 को मृत हो गया। आपरेशन के असफल हो जाने पर उपभोक्ता ने फैमिली प्लानिंग इंश्योरेंश स्कीम के तहत बीमा राशि के लिए आवेदन किया था। लेकिन बीमा कंपनी ने उपभोक्ता का मुआवजा खारिज कर दिया था। ऐसे में उपभोक्ता ने फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि उपभोक्ता आपरेशन के बाद प्रसूता हुई जो स्टेरलाइजेशन आपरेशन की असफलता को साबित करता है। ऐसे में फोरम ने स्वास्थय विभाग और मुखय चिकित्सा अधिकारी सेवाओं में कमी के दोषी हैं। जिसके चलते फोरम ने विभाग की बीमा कंपनी को उक्तबीमा राशि ब्याज सहित अदा करने के आदेश दिये। जबकि उनकी सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई मानसिक परेशानी और यंत्रणा के बदले हर्जाना और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया है।
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