मंडी। हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी बहुजन महासंघ ने 85वां संविधान संशोधन प्रदेश में लागू न करने के लिए कांग्रेस और भाजपा सरकारों को जिम्मेवार ठहराया है। महासंघ के अध्यक्ष अमरनाथ खुराना, वरिष्ठ उपाध्यक्ष बाबूराम यादव, महासचिव रामलाल सुमन, उपाध्यक्ष कश्मीर सिंह, संगठन मंत्री धर्मचंद, प्रचार सचिव मंगत राम, एससी व एसटी सैल के प्रधान राजेश अनार्य, महासचिव मंगतराम, मोहर सिंह, सुखराम और कानूनी सलाहकार नरेन्द्र कुमार ने संयुक्त ब्यान में कहा कि कांग्रेस और भाजपा की नितियां इन वर्गों की हितचिंतक नहीं है। इसी लिए 85वें संविधान संशोधन को प्रदेस में लागू किये जाने से लटकाया जा रहा है। उन्होने कहा कि संसद के दोनों सदनों में बिल पास होने के बाद भारतीय संविधान में संशोधन किया गया। जिसके तहत एससी व एसटी के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए अलग वरिष्ठता सूचि बनाकर इन वर्गों की पदोन्नति की जाए। हालांकि यह कानून केन्द्र, दिल्ली और कई राज्यों में लागू कर दिया गया है। जिसके लिए प्रदेश सरकार से भी इस कानून को लागू करने के लिए साल 2002 से मांग की जा रही है। लेकिन उच्चतम न्यायलय में इस संशोधन को लागू न करने पर दायर की गई अवमानना याचिका को खारिज कर दिया गया है। उन्होने कहा कि यह फैसला एससी व एसटी के मान सम्मान व संवैधानिक अधिकारों का हनन, तानाशाहीपुर्ण, मानवता और विकास विरोधी है। उन्होने कहा कि केंद्र की यूपीए सरकार ने चुनावों से पहले ओबीसी और महिला आरक्षण को लटकाए कहा। उन्होने कहा कि आरक्षण भीख नहीं है बल्कि यह संवैधानिक अधिकार है। उन्होने कहा कि कांग्रेस और भाजपा की गरीब, पिछडा वर्ग और आरक्षण विरोधी निति है। उन्होने प्रदेश की जनता से वीरभद्र सिंह और प्रेमकुमार धूमल की परिवारवाद की निति को अपने वोटों की शक्ति से उखाड फेंकने का आहवान किया है।
Tuesday, 6 May 2014
85वां संशोधन लागू न करने को कांग्रेस-भाजपा जिम्मेवार
मंडी। हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी बहुजन महासंघ ने 85वां संविधान संशोधन प्रदेश में लागू न करने के लिए कांग्रेस और भाजपा सरकारों को जिम्मेवार ठहराया है। महासंघ के अध्यक्ष अमरनाथ खुराना, वरिष्ठ उपाध्यक्ष बाबूराम यादव, महासचिव रामलाल सुमन, उपाध्यक्ष कश्मीर सिंह, संगठन मंत्री धर्मचंद, प्रचार सचिव मंगत राम, एससी व एसटी सैल के प्रधान राजेश अनार्य, महासचिव मंगतराम, मोहर सिंह, सुखराम और कानूनी सलाहकार नरेन्द्र कुमार ने संयुक्त ब्यान में कहा कि कांग्रेस और भाजपा की नितियां इन वर्गों की हितचिंतक नहीं है। इसी लिए 85वें संविधान संशोधन को प्रदेस में लागू किये जाने से लटकाया जा रहा है। उन्होने कहा कि संसद के दोनों सदनों में बिल पास होने के बाद भारतीय संविधान में संशोधन किया गया। जिसके तहत एससी व एसटी के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए अलग वरिष्ठता सूचि बनाकर इन वर्गों की पदोन्नति की जाए। हालांकि यह कानून केन्द्र, दिल्ली और कई राज्यों में लागू कर दिया गया है। जिसके लिए प्रदेश सरकार से भी इस कानून को लागू करने के लिए साल 2002 से मांग की जा रही है। लेकिन उच्चतम न्यायलय में इस संशोधन को लागू न करने पर दायर की गई अवमानना याचिका को खारिज कर दिया गया है। उन्होने कहा कि यह फैसला एससी व एसटी के मान सम्मान व संवैधानिक अधिकारों का हनन, तानाशाहीपुर्ण, मानवता और विकास विरोधी है। उन्होने कहा कि केंद्र की यूपीए सरकार ने चुनावों से पहले ओबीसी और महिला आरक्षण को लटकाए कहा। उन्होने कहा कि आरक्षण भीख नहीं है बल्कि यह संवैधानिक अधिकार है। उन्होने कहा कि कांग्रेस और भाजपा की गरीब, पिछडा वर्ग और आरक्षण विरोधी निति है। उन्होने प्रदेश की जनता से वीरभद्र सिंह और प्रेमकुमार धूमल की परिवारवाद की निति को अपने वोटों की शक्ति से उखाड फेंकने का आहवान किया है।
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