Wednesday, 24 September 2014

टीसीपी अध्यादेश 2014 जनविरोधी


मंडी। मकान नियमितीकरण संघर्ष समिति (मंडी) ने प्रदेश सरकार की ओर से जारी टाउन एंड कंटरी प्लानिंग अध्यादेश 2014 को जनविरोधी करार दिया है। समिति ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि आम जनता की सहुलियतों का ध्यान रखते हुए रिहायशों के नियमितीकरण के लिए वर्ष 2006 की तर्ज पर कम से कम शुल्क एकमुश्त निर्धारित किया जाए। संघर्ष समिति के संयोजक उत्तम चंद सैनी, प्रधान अमर चंद वर्मा, सलाहकार हितेन्द्र शर्मा, महासचिव चंद्रमणी वर्मा, संगठन सचिव प्रदीप परमार और मीडिया प्रभारी समीर कश्यप ने बताया कि समिति की आपात बैठक में प्रदेश सरकार की ओर से लाए गए टीसीपी अध्यादेश पर चर्चा की गई। समिति का मानना है कि सरकार के अध्यादेश से ऐसी भावना पैदा हो रही है कि इसे भारी भरकम फीस अदा करने में सक्षम बडे बिल्डरों और पैसे वालों के भवनों को नियमितीकरण करने के लिए बनाया गया प्रतीत होता है। जबकि छोटे घरों वाले और छोटी व्यापारिक इकाईयां इतनी भारी भरकम फीस को अदा करने की स्थिति में नहीं हैं। जिससे इन लोगों को अपने घरों में बिजली और पानी का कुनेक्शन लगने का सपना पूरा होने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। इस अध्यादेश से आम जनता खासकर छोटे व मंझोले मकानों में रहने वाले लोगों में सरकार के प्रति भारी आक्रोश व्याप्त है। वहीं पर शहर के साथ लगते गांवों और कस्बों को जिन्हे टीसीपी के दायरे में लाया जा रहा है उनमें भी इस अध्यादेश के खिलाफ व्यापक रोष है। समिति के अनुसार जिन लोगों ने किसी कारणवश अनुमति नहीं ली है उन पर नियम 12 (2ए) के तहत दस गुणा (900 प्रतिशत) पैनेल्टी का प्रावधान जारी रखा गया है। इस प्रावधान को निरस्त करने की मांग कई बार की है। लेकिन इस अध्यादेश में इसे निरस्त करने बारे कोई प्रावधान नहीं किया गया है। इसी नियम के तहत कमर्शियल, होटल और पर्यटन इकाइयों की फीस साधारण से बीस गुणा (1800 प्रतिशत) तक अदा करनी पडेगी। समिति की मांग है कि जीविका उपार्जन हेतु चलाई जा रहे 80 से 200 वर्ग मीटर प्लाट वाली व्यवसायिक इकाईयों और होटलों की सौ प्रतिशत फीस माफ की जानी चाहिए। अध्यादेश 2014 के तहत अनाधिकृत भवनों के नियमितीकरण के लिए 10 से 20 प्रतिशत डैविएशन पर 1500, 20 से 40 तक 3000, 40 से 60 तक 4500 और 60 से 70 प्रतिशत तक 6500 रूपये प्रति वर्ग मीटर और कमर्शियल, होटल और पर्यटन युनिट पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त फीस निर्धारित की गई है। यहां यह विचारणीय है कि सौ फीसदी डैविएशन के मामलों के लिए अध्यादेश में कोई प्रावधान नहीं किया गया है जो न्यायसंगत नहीं है। टीसीपी विभाग ने 2006 में अनाधिकृत भवनों के नियमितीकरण के लिए तहत एकमुश्त निति जारी की थी। जिसके तहत सैट बैक में डैविएशन के लिए पांचवीं मंजिल तक 400 रूपये प्रति वर्ग मीटर फीस तय की थी। इसके अलावा पहली मंजिल की केवल 4000, दूसरी 5000, तीसरी 6000, चौथी 7000 और पांचवी के 8000 रूपये फीस निर्धारित की थी। समिति का मानना है कि वर्ष 2006 में लागू एकमुश्त फीस के फैसले की तर्ज पर अध्यादेश में बदलाव लाया जाए। जिसमें 200 वर्ग मीटर तक वाले छोटे घरों को नियमित करने के लिए निति का निर्धारण किया जाए। यह फीस 2006 की तरह मंजिलों पर ली जाए। समिति ने मांग की है कि अध्यादेश में आवश्यक संशोधन करने तक मकानों को नियमित करने की 45 दिनों की अवधि को निरस्त किया जाए।

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