मंडी। हिमाचल प्रदेश टाउन एंड कंटरी प्लानिंग (संशोधन) अध्यादेश 2014 से आम नागरिकों को कोई राहत नहीं मिली है। मकान नियमितीकरण संघर्ष समिति (मंडी) ने इस अध्यादेश में आम नागरिकों के हितों को सुरक्षित रखने और इसमें आवश्यक बदलाव करने के लिए मुखयमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया है। सोमवार को समिति ने आपात बैठक बुला कर टीसीपी के संशोधित अध्यादेश को लेकर चर्चा की। बैठक के बाद समिति
के संयोजक उत्तम चंद सैनी, अध्यक्ष अमर चंद वर्मा, महासचिव चंद्रमणी वर्मा, सलाहकार हरमीत सिंह बिट्टु, हितेन्द्र शर्मा, वित सचिव रमेश वालिया, संगठन सचिव प्रदीप परमार और मीडिया प्रभारी समीर कश्यप ने संयुक्त बयान में कहा कि यह अध्यादेश आम नागरिकों के हित में नहीं है। समिति ने कहा है कि सरकार ने आम नागरिकों के फायदे के लिए भेजे गए सुझावों को अध्यादेश में शामिल नहीं किया है। अध्यादेश में
70 प्रतिशत से अधिक डैविएशन को नियमित करने के लिए बहुत ज्यादा फीस रखी गई है। दो सौ मीटर तक के छोटे प्लाटों वाले आम नागरिकों को अध्यादेश के तहत नियमितीकरण का कोई फायदा नहीं मिल पाएगा। समिति के सुझावों के अनुसार इन छोटे प्लाटों में सौ प्रतिशत डैविएशन की छूट कम जुर्माना राशि पर दी जानी चाहिए। लेकिन अध्यादेश में इस बारे में कोई प्रावधान नहीं है। इस अध्यादेश में 25 अप्रैल
2012 को लागू रूल 12 (दो ए) को निरस्त करने के बारे कोई प्रावधान नहीं किया है। समिति ने सुझाव दिया था कि इस नियम को निरस्त किया जाए क्योंकि इससे उन लोगों पर 900 प्रतिशत जुर्माना लगाया जाता है जिन्होने टीसीपी की अनुमति के बगैर निर्माण कर दिया है। यह प्रावधान निरस्त किया जाना चाहिए और जुर्माना 50 प्रतिशत से अधिक नहीं लिया जाना चाहिए। अध्यादेश में कहा गया है कि छह मंजिला भवनों में दो मंजिलों पर पार्किंग फलोर होने के कारण डैविएशन पर नियमितिकरण फीस न लेने का प्रावधान है। लेकिन यह प्रावधान किसको फायदा पहुंचाएगा। आम नागरिक एक पार्किंग फलोर का निर्माण नहीं कर सकता तो इससे उसे क्या फायदा पहुंच सकता है। इससे जाहिर होता है कि यह अध्यादेश आम नागरिकों के हितों को देखकर नहीं बनाया गया है। समिति ने मांग की है कि इस अध्यादेश में आम नागरिकों के पक्ष में आवश्यक बदलावों को अमली जामा पहनाया जाए।
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