लेकिन जब वाहन वापिस नहीं मिला तो इस बारे में उपभोक्ता ने पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। वाहन के बरामद न होने पर उन्होने कंपनी से मुआवजे की मांग की थी। लेकिन कंपनी ने मुआवजा अदा करने से इंकार कर दिया। जिसके चलते उपभोक्ता ने फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। जिस पर फैसला करते हुए फोरम ने कंपनी को 30 दिनों में मुआवजा तय करने के निर्देश दिये थे। लेकिन कंपनी ने मुआवजा इस आधार पर खारिज कर दिया था कि यह मामला चोरी की परिभाषा में नहीं आता है क्योंकि पुलिस ने चोरी का मामला दर्ज न करके विश्वासघात का मामला दर्ज किया था। ऐसे में उपभोक्ता ने यह शिकायत फोरम में दायर की थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि कंपनी ऐसा कानून बताने में असफल रही जिससे पता चलता हो कि उन मामलों में मुआवजा अदा नहीं किया जा सकता जिनमें पुलिस ने विश्वासघात के तहत चोरी का मामला दर्ज किया हो। इस मामले में यह साबित हो चुका है कि वाहन चोरी हुआ है ऐसे में यह अप्रासांगिक हो जाता है कि प्राथमिकी चोरी की धारा या विश्वासघात की धारा के तहत दर्ज की गई हो। फोरम ने कंपनी के मुआवजा खारिज करने को सेवाओं में कमी करार देते हुए उक्त मुआवजा राशि ब्याज सहित अदा करने के आदेश दिये हैं। वहीं पर कंपनी की सेवाओं में कमी से उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले हर्जाना और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया है।Tuesday, 24 June 2014
बीमा कंपनी को 6.64 लाख रूपये अदा करने के आदेश
लेकिन जब वाहन वापिस नहीं मिला तो इस बारे में उपभोक्ता ने पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। वाहन के बरामद न होने पर उन्होने कंपनी से मुआवजे की मांग की थी। लेकिन कंपनी ने मुआवजा अदा करने से इंकार कर दिया। जिसके चलते उपभोक्ता ने फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। जिस पर फैसला करते हुए फोरम ने कंपनी को 30 दिनों में मुआवजा तय करने के निर्देश दिये थे। लेकिन कंपनी ने मुआवजा इस आधार पर खारिज कर दिया था कि यह मामला चोरी की परिभाषा में नहीं आता है क्योंकि पुलिस ने चोरी का मामला दर्ज न करके विश्वासघात का मामला दर्ज किया था। ऐसे में उपभोक्ता ने यह शिकायत फोरम में दायर की थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि कंपनी ऐसा कानून बताने में असफल रही जिससे पता चलता हो कि उन मामलों में मुआवजा अदा नहीं किया जा सकता जिनमें पुलिस ने विश्वासघात के तहत चोरी का मामला दर्ज किया हो। इस मामले में यह साबित हो चुका है कि वाहन चोरी हुआ है ऐसे में यह अप्रासांगिक हो जाता है कि प्राथमिकी चोरी की धारा या विश्वासघात की धारा के तहत दर्ज की गई हो। फोरम ने कंपनी के मुआवजा खारिज करने को सेवाओं में कमी करार देते हुए उक्त मुआवजा राशि ब्याज सहित अदा करने के आदेश दिये हैं। वहीं पर कंपनी की सेवाओं में कमी से उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले हर्जाना और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया है।
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