मंडी। चैक बाउंस के मामले में महिला आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित होने पर अदालत ने छह माह के साधारण कारावास और 1,00,000 रूपये हर्जाने की सजा का फैसला सुनाया है। विशेष न्यायिक दंडाधिकारी रघुबीर सिंह के न्यायलय ने जवाहर नगर निवासी बलजिंद्र सिंह पुत्र प्रीत पाल की शिकायत को उचित मानते हुए समखेतर बाजार निवासी किरण शर्मा पत्नी जोगिन्द्र शर्मा को उक्त कारावास और हर्जाने की सजा का फैसला सुनाया। अधिवक्ता कैलाश बहल के माध्यम से अदालत में दायर शिकायत के अनुसार शिकायतकर्ता खेतान उत्पादों को विक्रय करने का व्यवसाय करते हैं। आरोपी ने उनसे जान पहचान होने के कारण 22 जुलाई 2011 को एक लाख 25 हजार रूपये की उधार ली। जिसे आरोपी ने अगले दिन वापिस लौटाने का आश्वासन दिया। लेकिन शिकायतकर्ता ने जब भी राशि की मांग की तो आरोपी ने बहानेबाजी करके उन्हे यह राशि नहीं लौटाई। शिकायतकर्ता के अनेकों बार मांग करने के बाद इस उधार को चुकाने के लिए आरोपी ने उन्हे पचास-2 हजार रूपये के दो चैक जारी किये। शिकायतकर्ता ने जब यह चैक भुगतान के लिए बैंक में लगाए तो आरोपी के खाते में पर्याप्त राशि न होने के कारण यह बाउंस हो गये। ऐसे में उन्होने अपने अधिवक्ता के माध्यम से आरोपी को 15 दिनों में राशि अदा करने के लिए कानूनी नोटिस जारी किया था। लेकिन इसके बावजूद भी आरोपी के राशि अदा न करने पर शिकायतकर्ता ने अदालत में निगोशिएबल इंस्ट्रुमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत शिकायत दायर करके अभियोग चलाया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि शिकायतकर्ता की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ चैक बाउंस का अभियोग संदेह की छाया से दूर साबित हुआ है। जिसके चलते अदालत ने आरोपी महिला को उक्त कारावास और हर्जाने की सजा का फैसला सुनाया है।Monday, 9 June 2014
चैक बाउंस की महिला आरोपी को छह माह कारावास एक लाख जुर्माने की सजा
मंडी। चैक बाउंस के मामले में महिला आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित होने पर अदालत ने छह माह के साधारण कारावास और 1,00,000 रूपये हर्जाने की सजा का फैसला सुनाया है। विशेष न्यायिक दंडाधिकारी रघुबीर सिंह के न्यायलय ने जवाहर नगर निवासी बलजिंद्र सिंह पुत्र प्रीत पाल की शिकायत को उचित मानते हुए समखेतर बाजार निवासी किरण शर्मा पत्नी जोगिन्द्र शर्मा को उक्त कारावास और हर्जाने की सजा का फैसला सुनाया। अधिवक्ता कैलाश बहल के माध्यम से अदालत में दायर शिकायत के अनुसार शिकायतकर्ता खेतान उत्पादों को विक्रय करने का व्यवसाय करते हैं। आरोपी ने उनसे जान पहचान होने के कारण 22 जुलाई 2011 को एक लाख 25 हजार रूपये की उधार ली। जिसे आरोपी ने अगले दिन वापिस लौटाने का आश्वासन दिया। लेकिन शिकायतकर्ता ने जब भी राशि की मांग की तो आरोपी ने बहानेबाजी करके उन्हे यह राशि नहीं लौटाई। शिकायतकर्ता के अनेकों बार मांग करने के बाद इस उधार को चुकाने के लिए आरोपी ने उन्हे पचास-2 हजार रूपये के दो चैक जारी किये। शिकायतकर्ता ने जब यह चैक भुगतान के लिए बैंक में लगाए तो आरोपी के खाते में पर्याप्त राशि न होने के कारण यह बाउंस हो गये। ऐसे में उन्होने अपने अधिवक्ता के माध्यम से आरोपी को 15 दिनों में राशि अदा करने के लिए कानूनी नोटिस जारी किया था। लेकिन इसके बावजूद भी आरोपी के राशि अदा न करने पर शिकायतकर्ता ने अदालत में निगोशिएबल इंस्ट्रुमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत शिकायत दायर करके अभियोग चलाया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि शिकायतकर्ता की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ चैक बाउंस का अभियोग संदेह की छाया से दूर साबित हुआ है। जिसके चलते अदालत ने आरोपी महिला को उक्त कारावास और हर्जाने की सजा का फैसला सुनाया है।
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