Saturday, 28 June 2014

कब मिलेगी ब्यास नदी को इस गंदगी से निजात


मंडी। व्यास नदी की धारा को प्रदुषित करने के लिए भले ही उच्चतम न्यायलय के ग्रीन टिब्युनल ने कडा रूख अख्तियार किया हो। लेकिन क्या इसका असर मंडी नगर परिषद की डंपिंग साईट से बह कर व्यास नदी में जहर घोलने वाली गंदगी पर भी पडेगा। इसके बारे में अभी भी संदेह बना हुआ है। हालांकि इस बारे में अतीत में अनेकों बार घोषणाएं और कवायदें की जा चुकी हैं। लेकिन जब तक इस गंदगी से शहरवासियों को छुटकारा नहीं मिल पाता तब तक कुछ कहना हर बार की तरह जल्दबाजी ही होगी। बहरहाल, निकट भविष्य में स्थिति के सुधरने की उम्मीद फिलहाल नजर नहीं आती। मंडी-कुल्लू राष्ट्रिय राजमार्ग-21 पर मंडी से करीब चार किलोमीटर दूर क्वारी से एक लिंक मार्ग मंडी नगर परिषद की डंपिंग साईट की ओर जाता है। राजमार्ग से करीब 50 मीटर उपर की ओर यह साईट स्थित है। साईट में तीन और पहाड हैं जबकि चौथी दिशा व्यास नदी की ओर खुलती है। पिछले करीब दो दशकों से इस जगह पर नगर परिषद की ओर से एकत्र की जाने वाली गंदगी खुले क्षेत्र में फैंक दी जाती है। इस गंदगी को अक्सर नगर परिषद की ओर से आग लगा दी जाती है जिससे आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों को विषैले धुंए का कोप भाजन बनना पडता है। डंपिंग साईट में सभी तरह का कुडा करकट फैंका जाता है। जिनमें एक्सपायर दवाइयां भी शामिल रहती हैं। कई बार मृत पशु भी यहीं फैंक दिये जाते हैं। अक्सर यहां पर आवारा पशु गंदगी में जुगाली करते देखे जा सकते हैं। गर्मियों में यहां से उठने वाली दुर्गंध राष्ट्रिय राजमार्ग और नजदीकी गांवों तक फैल जाती है। राजमार्ग से गुजरते समय जब दुर्गंध के झोंकों की मार सहनी पडती है तब इसका अहसास होता है कि नजदीक ही डंपिंग साईट है। बारिश में साइट के तीन ओर स्थित पहाडों की ढलानों के पानी का प्रवाह नाला बनकर साइट में आता है और वहां पडी सभी तरह की गंदगी को एक नाली के रास्ते से व्यास नदीं में धकेल देता है। डंपिंग साईट से कितनी ज्यादा गंदगी व्यास नदी में पहुंचती है इसका अनुमान उस नाली को देखकर लगाया जा सकता है जो गंदगी के अरक से पीले रंग की हो गई है। यही गंदगी व्यास नदी में मिल कर इसकी धारा को जहरीला बना देती है। कुछ दूरी के बाद व्यास नदी का यही जहरीला पानी मंडी शहर की पेयजल आपुर्ति के लिए लिफ्ट किया जाता है। जिसे आईपीएच विभाग की ओर से मंडी के घर-2 में नलों के माध्यम से लोगों को मुहैया करवाया जाता है।

क्या कहना है नगर परिषद के ईओ का

नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी अजय पराशर का इस बारे में कहना है कि डंपिंग साईट से गारबेज का पानी व्यास नदी में नहीं जाता बल्कि वहां स्थित एक पानी के सोर्स से नाली में पानी जाता है। उन्होने कहा कि डंपिंग साइट में आवारा पशु न जाएं इसके लिए यहां पर फेंसिंग करवाई जा रही है और साईट को पुरी तरह से बंद कर दिया जाएगा। उन्होने कहा कि अभी तक साइट में कोई अटेंडेंट नहीं होता। जिसके कारण कुडे को आग लगाने के कारणों का पता नहीं चल पाता। लेकिन अब नगर परिषद की ओर से यहां पर दो कमरों का निर्माण किया जा रहा है जिनमें अब हर समय चौकीदार मौजूद रहेंगे। इसके अलावा यहां पर प्लेटफार्म और एंटी लीचिंग चैम्बर भी बनाए जा रहे हैं। उन्होने कहा कि डंपिंग साईट के चारों ओर नाली बनाई जाएगी। जिससे पहाडों से आने वाला पानी साईट तक नहीं जाएगा। उन्होने कहा कि ग्रीन ट्रिब्युनल के निर्देशों के तहत व्यास नदी में जाने वाली गंदगी को रोकने के हर संभव प्रयास किये जाएंगे।

क्या कहना है स्थानीय लोगों का

स्थानीय वासी भीम सेन और जगदीश शर्मा का कहना है कि डंपिंग साईट से गंदगी का रिसाव लगातार जारी रहता है जो नाली से बहकर सारा साल व्यास में मिलकर इसे प्रदुषित करती रहती है। उन्होने कहा कि बरसात का मौसम आने वाला है और बारिश में अब सारी गंदगी राष्ट्रिय राजमार्ग से होती हुई व्यास नदी में मिल जाएगी। उनके अनुसार अनेकों बार डंपिंग साईट की रखरखाव करने और इसे बदल कर अन्यत्र ले जाने के आश्वासन दिये जाते हैं लेकिन धरातल पर कोई ठोस कार्यवाही अमल में नहीं आती। जबकि डंपिंग साईट की गंदगी के कारण स्थानीय लोगों को जीना दुश्वार हो गया है।

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