मंडी। जिला विधिक सेवा समिति ने मंगलवार को मौलिक कर्तव्यों की जानकारी देने के लिए डीएवी सेनेटरी पब्लिक स्कूल में कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम में समिति की ओर से पैरा लीगल वालंटियर समीर कश्यप एडवोकेट ने दस जमा दो के छात्र व छात्राओं को मौलिक कर्तव्यों के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर उन्होने कहा कि यह देखने में आता है कि लोगों को अपने मौलिक अधिकारों की जानकारी तो होती है लेकिन वह मौलिक कर्तव्यों के प्रति अनभिज्ञ रहते हैं। उन्होने संविधान के अनुच्छेद 51-ए में शामिल मौलिक कर्तव्यों की जानकारी दी।
उन्होने कहा कि इन प्रावधानों से संशोधन करके ग्यारवें कर्तव्य के रूप में शिक्षा के अधिकार को शामिल किया गया है। शिक्षा के अधिकार के तहत बच्चों को मुफत और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान शामिल किया गया है। उन्होने कहा कि मौलिक कर्तव्यों में भारत के प्रत्येक नागरिक का पहला कर्तव्य है कि वह संविधान का पालन करें और इसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें। राष्ट्रिय ध्वज तिरंगे के बारे में जानकारी देते हुए उन्होने कहा कि यह समान चौडाई की सबसे ऊपर केसरिया, बीच में श्वेत और नीचे गहरे हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों के बीच एक नीले रंग के चक्र द्वारा सुशोभित है।
तिरंगे की अभिकल्पना पिंगली वैंकैया ने की थी। इसे स्वतंत्रता दिवस के कुछ दिन पहले 22 जुलाई 1947 को आयोजित संविधान सभा की बैठक में अपनाया गया था। भारत के राष्ट्रिय गान जन गण मन के लेखक और संगीत की रचयिता प्रसिध कवि रविन्द्र नाथ टैगोर थे। इसे बजाने या गाने की अवधि 52 सेकेंड है। राष्ट्रिय गीत वन्दे मातरम की रचना बंकिम चन्द्र चटर्जी ने संस्कृत में की थी। यह स्वतंत्रता की लडाई में लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत था। इसका स्थान जन गण मन के बराबर ही है।
इसे पहली बार 1896 में भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के सत्र में गाया गया था। उन्होने भविष्य के नागरिकों से आहवान किया कि वे देश के प्रति अपने कर्तव्यों को लेकर देशवासियों का जागरूक करें। जिससे हमारा देश दिन दुगुनी रात चौगुनी उन्नति कर सके।
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