Friday, 31 July 2015

अधिवक्ता डीकन राणा के निधन पर शोक



मंडी। जिला एवं सत्र न्यायलय में कार्यरत अधिवक्ता डीकन राणा का बीती रात देहावसान हो गया। उनके देहांत की सूचना मिलते ही अधिवक्ता वर्ग में शोक की लहर दौड गई है। जानकारी के मुताबिक बीती रात क्षेत्रीय अस्पताल में उपचाराधीन अधिवक्ता डीकन राणा का देहांत हो गया। वह करीब 52 वर्ष के थे। विगत 16 जुलाई को डीकन राणा घर के नजदीक एक बिल पात्री के पेड से गिर कर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हे उपचार के लिए पीजीआई चंडीगढ ले जाया गया था। लेकिन दो दिन पहले ही उन्हें क्षेत्रीय अस्पताल को भेज दिया गया था। इसी बीच बीती रात उनका मंडी अस्पताल में देहांत हो गया। अधिवक्ता का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव गागल में वीरवार को किया गया। जिसमें अधिवक्ताओं तथा स्थानीय निवासियों ने उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित की। वह अपने पीछे दो बेटियों, एक बेटे व पत्नी का संसार छोड गए हैं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से कानून स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद वह पिछले करीब 25 सालों से जिला एवं सत्र न्यायलय में बतौर अधिवक्ता कार्यरत थे। वह नोटरी पब्लिक तथा कई इंश्योरेंस कंपनियों के अधिवक्ता भी थे। इधर, अधिवक्ता डीकन राणा के देहांत की सूचना मिलते ही विधिक वर्ग में शोक की लहर दौड गई है। जिला बार एसोसिएशन ने बार रूम में एक शोक सभा का आयोजन किया। जिसमें जिला एवं सत्र न्यायधीश बलदेव सिंह ने उन्हे बहुत हंसमुख, मिलनसार और सहयोगी बताया। बार एसोसिएशन के प्रधान नीरज कपूर ने कहा कि एडवोकेट डीकन राणा के असामयिक निधन की क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती। इस अवसर पर दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत अधिवक्ता की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई। जबकि एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता के शोक संतप्त परिवार से संवेदनाएं जताने के लिए शोक संदेश प्रेषित किया गया है। शोक सभा में सभी न्यायधीशों सहित बार एसोसिएशन के सदस्य व लोक अभियोजक शामिल रहे। अधिवक्ता के निधन के कारण बार एसोसिएशन ने अदालत कार्यवाही का बाहिष्कार किया और अदालतों का कार्य प्रौक्सी अधिवक्ताओं के माध्यम से निपटाया गया। अधिवक्ता डीकन राणा बहुमुखी प्रतिभा संपन्न थे और राजनिती में भी रूचि रखते थे। वह जिला कांग्रेस कमेटी के सचिव और विभिन्न पदों पर कार्यरत रह चुके थे। अधिवक्ता भीम सिंह, अलकनंदा हांडा, आकाश शर्मा, एडवोकेट बिमल शर्मा, ए एस पसरीचा, सोमनाथ शर्मा, दलीप सिंह ठाकुर, विश्वनाथ शर्मा, डी डी ठाकुर, हितेश बहल सहित अन्य अधिवक्ताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
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शिमला की सुक्ष्म यात्रा के दौरान...





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Thursday, 30 July 2015

एडवोकेट डीकन राणा का देहावसान, विनम्र श्रद्धांजलि...


मंडी। जिला एवं सत्र न्यायलय में कार्यरत अधिवक्ता डीकन राणा का बीती रात देहावसान हो गया। उनके देहांत की सूचना मिलते ही अधिवक्ता वर्ग में शोक की लहर दौड गई है। जानकारी के मुताबिक बीती रात क्षेत्रीय अस्पताल में उपचाराधीन अधिवक्ता डीकन राणा का देहांत हो गया। वह करीब 52 वर्ष के थे। विगत 16 जुलाई को डीकन राणा घर के नजदीक एक बिल पात्री के पेड से गिर कर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हे उपचार के लिए पीजीआई चंडीगढ ले जाया गया था। लेकिन दो दिन पहले ही उन्हें क्षेत्रीय अस्पताल को भेज दिया गया था। इसी बीच बीती रात उनका मंडी अस्पताल में देहांत हो गया। अधिवक्ता का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव गागल में वीरवार को किया गया। जिसमें अधिवक्ताओं तथा स्थानीय निवासियों ने उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित की। वह अपने पीछे दो बेटियों, एक बेटे व पत्नी का संसार छोड गए हैं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से कानून स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद वह पिछले करीब 25 सालों से जिला एवं सत्र न्यायलय में बतौर अधिवक्ता कार्यरत थे। वह नोटरी पब्लिक तथा कई इंश्योरेंस कंपनियों के अधिवक्ता भी थे। इधर, अधिवक्ता डीकन राणा के देहांत की सूचना मिलते ही विधिक वर्ग में शोक की लहर दौड गई है। जिला बार एसोसिएशन ने बार रूम में एक शोक सभा का आयोजन किया। जिसमें जिला एवं सत्र न्यायधीश बलदेव सिंह ने उन्हे बहुत हंसमुख, मिलनसार और सहयोगी बताया। बार एसोसिएशन के प्रधान नीरज कपूर ने कहा कि एडवोकेट डीकन राणा के असामयिक निधन की क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती। इस अवसर पर दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत अधिवक्ता की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई। जबकि एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता के शोक संतप्त परिवार से संवेदनाएं जताने के लिए शोक संदेश प्रेषित किया गया है। शोक सभा में सभी न्यायधीशों सहित बार एसोसिएशन के सदस्य व लोक अभियोजक शामिल रहे। अधिवक्ता के निधन के कारण बार एसोसिएशन ने अदालत कार्यवाही का बाहिष्कार किया और अदालतों का कार्य प्रौक्सी अधिवक्ताओं के माध्यम से निपटाया गया। अधिवक्ता डीकन राणा बहुमुखी प्रतिभा संपन्न थे और राजनिती में भी रूचि रखते थे। वह जिला कांग्रेस कमेटी के सचिव और विभिन्न पदों पर कार्यरत रह चुके थे। अधिवक्ता भीम सिंह, अलकनंदा हांडा, आकाश शर्मा, एडवोकेट बिमल शर्मा, ए एस पसरीचा, सोमनाथ शर्मा, दलीप सिंह ठाकुर, विश्वनाथ शर्मा, डी डी ठाकुर, हितेश बहल सहित अन्य अधिवक्ताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
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Wednesday, 29 July 2015

बुद्धिजिवियों के आकर्षण का केंद्र बना है कुल्लू जिला पुस्तकालय



मंडी। कुल्लू के हृदयस्थल ढालपुर स्थित जिला पुस्तकालय में  पिछले दिनों जाने का मौका मिला तो ऐसा लगा मानो किताबों के संसार में आ गया हुं। दरअसल एक वैवाहिक आयोजन में कुल्लू के उपायुक्त राकेश कंवर जी से प्रसिद्ध कवि और मेरे पिता श्री दीनू कश्यप जी के वार्तालाप के दौरान उन्होने जिला पुस्तकालय देखने के लिए प्रेरित किया। आयोजन से लौटते समय रास्ते में ही जिला पुस्तकालय का बोर्ड दिखाई दिया तो इसे देखने का लोभ नहीं त्याग सके और इसे देखने के लिए रूक गए। परंपरागत पहाडी वास्तुशिल्प की शैली में बने पुस्तकालय भवन में प्रवेश करते ही किताबों का संसार सामने आ जाता है। पुस्तकालय को विभिन्न कक्षों में विभाजित किया हुआ है और पुस्तकों को सुरुचिपुर्ण ढंग से सजाया गया है। विभिन्न कक्षों में छात्र, शोधार्थीं, लेखक और पाठक अध्ययन करते हुए देखे जा सकते हैं। पुस्तकालय भवन में मौजूद कर्मी ने बताया कि यहां एक कांफ्रेंस हाल भी है और वहां भी जाया जा सकता है। कांफ्रेंस हाल का दरवाजा खोल कर देखा तो वहां पर प्रसिद्ध लेखक डा. निरंजन देव जी सहित कुल्लू के बहुत से साहित्यकार साहित्य चर्चा में व्यस्त थे। दरवाजा खुलते ही दीनू कश्यप जी को देखकर डा. निरंजन देव जी तपाक से उनके स्वागत के लिए उठे और पहला वाक्य कहा कि बहुत समय पर आए हैं आप क्योंकि गोष्ठी के अध्यक्ष की कुर्सी अभी खाली ही पडी है। सभी साहित्कारों से परिचय के बाद डा. निरंजन देव ने दीनू कश्यप जी को गोष्ठी की अध्यक्षता का न्यौता दिया। लेकिन मंडी वापिस लौटने की व्यस्तता के कारण उन्होने भविष्य में गोष्ठी में उपस्थित होने की स्वीकृति दी। इसके बाद डा. निरंजन देव जी ने उन्हे पूरे पुस्तकालय परिसर में घुमाया और वहां बने बुक कैफे में मौजूद साहित्यकर्मियों व बुद्धिजिवियों से मुलाकात करवाई। डा. निरंजन देव उन्हे छोडने के लिए वाहन तक गए और फिर वापिस किताबों के संसार में लौट गए। कुल्लू के जिला पुस्तकालय में जाना बेहद प्रेरणामय रहा। जिस चाव से यह पुस्तकालय बनाया गया है वह भी बेहद प्रेरणामय है। ऐसे पुस्तकालय बौधिक राजधानी मंडी सहित सभी जिलों के मुख्यालयों में शुरू किये जाने चाहिए। गौरतलब है कि इंटरनेट और सोशल मीडिया की लिमिटेशन से भी यह साबित हो चुका है कि किताबों का संसार अभी भी बना रहेगा और वह किताबों की जगह नहीं ले सकते। अंधकार से रोशनी की ओर ले जाने वाली इन किताबों ने भविष्य की पीढियों के अनगिनत सवालों के जवाब देने हैं। ऐसे में कुल्लू पुस्तकालय की तर्ज पर परंपरागत परिवेश में आधुनिकता के साथ पुस्तकों का पढन पाठन सुलभ करवाना एक भागीरथी प्रयत्न की शुरूआत कही जा सकती है।
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Monday, 27 July 2015

बस में एसी, वीडियो न होने पर हर्जाना

मंडी। हिमाचल प्रदेश परिवहन निगम की बस में एसी और विडियो न चलने को सेवाओं में कमी करार देते हुए जिला उपभोक्ता फोरम ने उपभोक्ता के पक्ष में 10,000 रूपये हर्जाना अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा उपभोक्ता के पक्ष में 2,000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करना होगा। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष पुरेन्द्र वैद्या और सदस्यों रमा वर्मा व आकाश शर्मा ने पुरानी मंडी निवासी टेक चंद शर्मा पुत्र पुर्ण चंद की शिकायत को उचित मानते हुए हिमाचल प्रदेश परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक और कुल्लू के आरएम को उपभोक्ता के पक्ष में दस हजार हर्जाना और दो हजार रूपये शिकातय व्यय के रूप में अदा करने का फैसला सुनाया है। अधिवक्ता कैलाश बहल के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता टेक चंद शर्मा की पत्नी मनोरमा शर्मा मधुमेह की बीमारी से ग्रसित हैं। उनके उपचार के सिलसिले में उपभोक्ता को नियमित रूप से आईजीएमसी शिमला जाना पडता है। इसी के चलते उपभोक्ता 18 दिसंबर 2013 को परिवहन निगम की एसी बस में मंडी से शिमला के लिए रवाना हुए। उपभोक्ता ने दो टिकट 480 रूपये में खरीदे। उस दिन बेहद ठंड थी जिसके कारण उन्होने बस के चालक-परिचालक से एयर कंडीशर व हीटर का स्वीच आन करने को कहा। लेकिन एसी कार्य नहीं कर रहा था। जबकि बस में लगा एलईडी विडियो भी काम नहीं कर रहा था। बस का फस्र्ट एड बाक्स खाली पडा था और बस के दरवाजे के शोर से शांति भंग हो रही थी। उपभोक्ता ने हराबाग के नजदीक पहुंचने पर परिचालक से शिकायत रजिस्टर लॉग बुक मांग कर इसके पेज नंबर 17 में शिकायत दर्ज की थी। इसके बाद उपभोक्ता ने निगम की सेवाओं में कमी के चलते फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि शिकायत को साबित करने के लिए उपभोक्ता और उनकी पत्नी के शपथ पत्र, टिकट और उपचार संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत किये गए। जबकि निगम की ओर से आरएम ढली की ओर से एक शपथ पत्र दायर किया गया। जिसमें उन्होने माना कि लॉग बुक में शिकायत दर्ज की गई थी। लेकिन निगम यह साबित नहीं कर सका कि एसी व विडियो कार्य कर रहे थे। जिसके चलते फोरम ने निगम को सेवाओं में कमी का दोषी करार देते हुए उनकी कार्यप्रणाली के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले उक्त हर्जाना राशि और शिकायत व्यय अदा करने का फैसला सुनाया है।
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मंडी में बनाया जाए आधुनिक पुस्तकालयः शहीद भगत सिंह विचार मंच

मंडी। प्रदेश की सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी मंडी में आधुनिक और बेहतरीन पुस्तकालय के निर्माण की मांग की गई है। इस संदर्भ में शहर की संस्...