समुद्र तल से 4111 मीटर की ऊँचाई पर स्थित रोहतांग पास पर भरी गर्मी के मौसम में बर्फ का दीदार करना पर्यटकों के लिए महत्वपूर्ण आकर्षण रहता है। लेकिन पर्यटकों के वाहनों की भारी संख्या में आमद के कारण यहां के पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड रहा है। इससे जहां बर्फ पर कालिमा बढती जा रही है वहीं पर्यावरण भी दूषित हो रहा है। ऐसे में राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्युनल ने रोहतांग जाने के लिए कई शर्तें लागू की हैं। जिससे यहां पहुंचने वाले वाहनों की संख्या कम की जाए। ताकि पर्यावरण का कम नुकसान हो। इससे पहले करीब बीस हजार वाहन हर रोज रोहतांग जाते थे। लेकिन अब मात्र एक हजार वाहनों को ही रोहतांग जाने की अनुमति दी जाती है। इसके लिए वशिष्ठ, पलचान और गुलाबा में नाके लगाए गए है और उन्ही वाहनों को आगे जाने दिया जाता है जिनके पास इस संबंध में अनुमति हो। हालांकि स्थानीय लोगों और लाहौल स्पिती जाने वालों को इस बारे में थोडी छूट दी गई है। रोहतांग 'हिमालय का एक प्रमुख दर्रा है। रोहतांग इस जगह का नया नाम है। जबकि इसका पुराना नाम है-'भृगु-तुंग' है। यह दर्रा मौसम में अचानक अत्यधिक बदलावों के कारण भी जाना जाता है। यह स्थान मनाली-लेह के मुख्यमार्ग में पड़ता है। इसे लाहोल और स्पीति जिलों का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। पूरा वर्ष यहां बर्फ की चादर बिछी रहती है। यहाँ से हिमालय श्रृंखला के पर्वतों का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है। बादल इन पर्वतों से नीचे दिखाई देते हैं। यहाँ ऐसा नजारा दिखता है, जो पृथ्वी पर बिरले ही स्थानों पर देखने को मिले।
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