Tuesday, 7 July 2015

आज के दिन अस्तित्व में आया था पंडोह बांध


 मंडी। ब्यास सतलुज लिंक (बीएसएल) प्रोजेक्ट का रेेसिंग डे मंगलवार को पंडोह स्थित डैम साइट में मनाया गया। जिसमें सरकारी अधिकारियों सहित बीएसएल प्रोजेक्ट के सदस्यों ने भाग लिया। इस अवसर पर डैम स्थित शहीद स्मारक पर इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में जान देने वाले 212 इंजिनियरों और मजदूरों को सम्मान देने के लिए शस्त्रों को झुका कर उन्हे गार्ड आफ आनर दिया गया। साल 1977 में आज के दिन मानवीय प्रयासों से दो बडी नदियों के मिलन का साक्ष्य इतिहास में दर्ज हुआ था। ब्यास नदी पर पंडोह में 320 मीटर ऊंचा बांध बनाया गया और दुनिया में सबसे बडी 38 किलोमीटर की सुरंग बना कर इसके माध्यम से ब्यास नदी को सतलुज नदी में मिला दिया गया। डैहर में ब्यास नदी का पानी गिराकर इसे 990 मैगा वाट बिजली पैदा करने के लिेए प्रयोग किया गया। यह प्रोजेक्ट भारतीय इंजिनियरिंग हूनर का नायाब नमूना है। प्रोजेक्ट का डिजाइन और इसे बनाने की कार्यविधि स्थानीय जानकारियों पर आधारित थी। इंजिनियरों और मजदूरों को इस प्रोजेक्ट से सीख लेनी चाहिए आम लोगों के सपनों को समझने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
ब्यास सतलुज लिंक परियोजना के बारे में कुछ रोचक तथ्य
- दो लाख टन स्टीन प्रयोग किया गया था जो दिल्ली से मद्रास तक ब्राडगेज रेलवे लाइन बिछाने के लिए पर्याप्त होता।
- एक लाख टन रिइनफोर्समैंट स्टील प्रोजेक्ट में लगा था जिससे 1.5 लाख घर बन सकते थे।
 - 330 लाख क्युबिक मीटर अर्थवर्क हुआ था जिससे 16 फुट चौडे 20000 किमी सडकें बन सकती थी।
- 20 लाख क्युबिक मीटर सीमेंट प्रोजेक्ट में लगा था जिससे देश के सारे समुद्र तट पर सिंगल लेन कंकरीट सडक बन सकती थी।
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