Thursday, 2 July 2015

गोविंद हत्याकांड में दोषियों को उम्रकैद



मंडी। गोविंद हत्याकांड के दो आरोपियों को अदालत ने उम्र कैद और बीस हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई है। आरोपियों पर हत्या में प्रयोग किए गए हथियारों को नष्ट करने का अभियोग भी साबित हुआ है। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश (दो) मदन कुमार के न्यायलय ने मंडी शहर के दरमयाना मुहल्ला निवासी रितेश हांडा उर्फ भाऊ पुत्र यादविंद्र हांडा और देवेश वैद्या उर्फ मुखिया पुत्र हेम राज वैद्या के खिलाफ भादंस की धारा 302 और 201 के तहत हत्या करने और सबूतों को मिटाने का अभियोग साबित होने पर क्रमश: उम्र कैद और दो साल की कारावास और बीस व पांच हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई है। आरोपियों के जुर्माना राशि निश्चित समय में अदा न करने पर क्रमश: दो साल और एक माह की अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। ये सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। अभियोजन पक्ष के अनुसार 21 अप्रैल 2013 को सुबह करीब साढे आठ बजे स्थानीय वासियों ने पुलिस चौकी को सूचना दी कि गोविंद राम लहूलुहान होकर मृत पडा हुआ है। जिस पर चौकी प्रभारी उप निरिक्षिक चेत सिंह की अगुवाई में पुलिस दल मौका पर पहुंचा। मौकास्थल पर केदार नाथ ने अपना बयान दर्ज करवाया कि वह मिस्त्री का काम करता है और पिछले 20 सालों से मंडी में ही रहा है। उसके मुताबिक 20 अप्रैल को वह शाम करीब साढे सात बजे काम समाप्त होने के बाद जनार्दन के साथ अपने क्वाटर को लौटा। उस समय दोनों आरोपी हनुमान घाट शमशान घाट में कुछ खा पी रहे थे। करीब नौ बजे वह बावडी से पानी लेने के लिए गया तो देखा कि दोनों आरोपी नशे की हालत में वहीं बैठे हुए थे। इसके बाद आरोपी सराय की खुली जगह में गोविंद के पास चले गए। रात करीब 10 बजे उन्होने गोविंद राम के चीखने की आवाजें सुनी लेकिन डर के कारण वह बाहर नहीं निकले। सुबह जब वह शौच के बाद व्यास नदी तट से घाट की ओर आए तो वहां स्थानीय वासी एकत्र थे जबकि गोविंद राम मृत अवस्था में पडा हुआ था। पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर आरोपियों को हिरासत में लेकर अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए उप जिला न्यायवादी चंपा सुरील ने 27 गवाहों के माध्यम से आरोपियों पर अभियोग साबित किया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों से आरोपियों के खिलाफ हत्या करने और सबूतों को नष्ट करने का अभियोग संदेह की छाया से दूर साबित हुआ है। जिसके चलते अदालत ने आरोपियों को उम्र कैद और उक्त जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है। उल्लेखनीय है कि गोविंद राम मानसिक रूप से विक्षिप्त था और कुछ समय से हनुमान घाट शमशान घाट में रह रहा था। वह कबाड इकठा करने का काम करता था। आरोपियों ने कबाड बेच कर इकठा किए गए गोविंद के पैसों को लूटने की मंशा से उसकी बांस के डंडे और धारदार हथियार से हत्या कर दी थी। इतना ही नहीं आरोपियों ने सबूतों को मिटाने के हत्या में प्रयुक्त धारदार हथियार को भी व्यास नदी में फैंक दिया था।
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