मौसम का ताजा हाल ऐसा है। शहर को तूफान ने घेरा है। तेज आधियां- हवाएं बह रही है। कच्चे को उखाड रही है। पक्कों से टकरा रही है। हवा की आवाजें, उखडने की आवाजें, लडते बादल के गमकने की आवाजें। तेज तूफान लाया है बारिश की फुहारें, आडी तिरछी सीधी गिरती, सूखी धरती को आच्छादित करती। तूफान के आगे नतमस्तक हैं रोशनी की कतारें। चमकती बिजली की रोशनियां ही दिखाती तूफान का रौद्र। तूफान की तेज रफ्तार और उसी तेजी से पहुंचती बारिश की तेज धार लगातार जारी है। तूफान का रेला फुहार को नाच नचाता, परनालों का पानी नालों की सोख्ता गंदगी को बहा ले जाता। गर्जना के बीच बारिश की झडी, फिर तेज हवाओं की झूझूझूझूझूझू की कौंध, खिडकियां, दरवाजे, बच्चे, गाडियां, दूकानें, सब बंद है और अगर कुछ है तो फिर तेज हवाओं की झूझूझूझूझूझू और बारिश के पानी की झडझड। बिजली गायब है पर मोबाइल की रोशनी में कागज पेन से लिखा जा रहा है मौसम का मिजाज। आज भारी लू भरे दिन में रविवार के आराम के समय देखे दिवास्वपन की कल्पना साकार होती दिखती। सपने में देखा था कि घर के नजदीक ही आपदा से बडा नुकसान हुआ है। संयोग ही है कि आज ही इस समय मौसम अपनी अनूभूति, स्वरूप और आकार दिखा रहा है। बारिश की शुरूआत प्रारंभिक आलापों के बाद अपना सुर पकड चुकी है। बीच में गमकते बादलों की जुगलबंदी भी जारी है। बारिश के सुर में आते ही बिजली आ गई है। झडी की झडझड और बादलों की गमक के बीच मौसम की भयावहता ने रियाअत बख्शी है अवरूद्ध जीवन फिर से चल पडा है।
पिक्चर गूगल से साभार
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