मंडी। हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने सेवानिवृत केन्द्रीय मुखय अध्यापक (सीएचटी) को अप्रशिक्षित अवधि से वरिष्ठता व संबंधित लाभ देने का फैसला सुनाया है। ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष वी के शर्मा और प्रशासनिक सदस्य प्रेम कुमार ने मंडी सर्किट बैंच के दौरान सुनवाई करते हुए सीएचटी के पद से सेवानिवृत याचिकाकर्ता आत्मा राम की याचिका को स्वीकारते हुए शिक्षा विभाग को उनकी प्रथम नियु्क्ति से वरिष्ठता तथा अन्य लाभ देने के आदेश दिये हैं। सरकाघाट उपमंडल के चौक (कौहण) निवासी आत्मा राम ने विभाग के अप्रशिक्षित अवधि से वरिष्ठता नहीं देने पर यह याचिका दायर की थी। अधिवक्ता राजकुमार शर्मा के माध्यम से ट्रिब्यूनल में दायर याचिका कि अनुसार याचिकाकर्ता को 1955 में जीबीटी परीक्षा में कंपार्टमेंट होने के बावजूद शिक्षा विभाग में नियुक्ति दी गई थी। उन्हे साल 1966 में विशेष जेबीटी का प्रमाण पत्र दिया गया था। याचिकाकर्ता 1991 में सीएचटी के पद पर पदोन्नत हुए थे और वर्ष 1995 में सेवानिवृत हो गए थे। हालांकि प्रदेश उच्च न्यायलय के फैसले के आधार पर अन्य अध्यापकों को नियुक्ति की तिथी से ही वरिष्ठता दी गई थी। ऐसे में ट्रिब्यूनल ने प्रदेश उच्च न्यायलय के फैसले को आधार मानते हुए शिक्षा विभाग को याचिकाकर्ता के पक्ष में प्रथम नियुक्ति से वरिष्ठता तथा अन्य लाभ देने का फैसला सुनाया है। इधर, एक अन्य याचिका की सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल ने सरकाघाट उपमंडल के गांव रोसो निवासी अंकुश शर्मा को अनुकंपा के आधार पर स्वास्थय विभाग में नौकरी देने के आदेश दिये हैं। याचिकाकर्ता के पिता हेम राज का सेवाकाल के दौरान लाहौल स्पिति में देहांत हो गया था। जिसके चलते याचिकाकर्ता ने अनुकंपा के आधार पर नियुक्त करने के लिए ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की थी।
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