Thursday, 31 July 2014

जीव पंच भौतिक शरीर रूपी किराए के मकान में रहता हैः तेज


मंडी। जीव पंच भौतिक शरीर में किराए के मकान में रहता है जब तक उसे ईश्वर की अनुभूती नहीं होती। जन्म जनमांतर तक कई घर बदलने पडते हैं लेकिन जब उसे पुर्ण सतगुरू की कृपा से ईश्वर की अनुभूती हो जाती है तो उसे अपने निज धाम में जगह मिल जाती है और फिर किराए के मकान बदलने की आवश्यकता नहीं रहती। यह उदगार निरंकारी मिशन के जोनल इंचार्ज तेज सिंह चौधरी ने मंडी से सटे छिपणु गांव में एक विशेष सतसंग समारोह की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किये। समारोह का आयोजन स्थानीय गांव के संजीव कुमार ने गृह प्रवेश के उपलक्ष्य में किया। निरंकारी मिशन के एपीआरओ कुममी राम ने बताया कि इस अवसर पर जोन नंबर 6 की विभिन्न इकाइयों के श्रद्धालुओं ने भाग लिया। समारोह में डडौर के प्रेम दास मुखी, वराण कुल्लू के शिवराम मुखी, क्षेत्रीय संचालक सेवादल के के ठाकुर तथा मिशन के सदस्य मनोहर लाल, लेख राज, सी आर वर्मा, जी आर भाटिया तथा गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। संतसंग में अध्यात्मिकता पर आधारित विचार और गीतकारों की भक्तिरस पर आधारित अपनी रचनाओं से माहौल को भक्तिमय और भावविभोर करने वाला बना दिया।

संघर्ष समिति ने सीएम को भेजा ज्ञापन


मंडी। मकान नियमितीकरण संघर्ष समिति (मंडी) ने प्रदेश के मुखयमंत्री वीरभद्र सिंह को ज्ञापन प्रेषित करके नये टीसीपी एक्ट में जनभावनाओं, आकांक्षाओं और लोगों के सरोकारों का ध्यान रखते हुए नियमितीकरण की प्रक्रिया को सरल और निशुल्क करने का आग्रह किया है। प्रदेश सरकार की ओर से नये टीसीपी एक्ट को अमलीजामा पहनाने की चल रही प्रक्रिया को देखते हुए समिति ने आपातकालीन बैठक का आयोजन किया। इस सिलेसिले में समिति ने लोगों की समस्या और आपतियों को लेकर यह ज्ञापन मुखयमंत्री सहित प्रवर समिति के सभी सदस्यों को प्रेषित किया है। समिति के संयोजक उतम चंद सैनी, अध्यक्ष अमर चंद वर्मा, महासचिव चंद्रमणी वर्मा, मीडिया प्रभारी समीर कश्यप, सलाहकार हरमीत सिंह बिट्टू और सहसचिव प्रदीप परमार ने संयुक्त ब्यान में कहा कि प्रदेश एक पहाडी राज्य है। यहां जगह ढलानदार होने के कारण टीसीपी कानून के मौजूदा प्रावधान लागू नहीं हो सकते। प्रदेश के पुराने शहरों व आबादियों में जगह कई हिस्सेदारों में बंट गई है। जिसके कारण टीसीपी के सैट बैक, फलोर एरिया रेशो व न्युनतम एरिया नियमों को लागू नहीं किया जा सकता। समिति का कहना है कि पुरानी आबादियों के सभी पुराने मकानों को बिना आपती व शुल्क के नियमित किया जाए। जो मकान पहले के बन गए हैं वहां टीसीपी नहीं लग सकता। क्योंकि इनके नक्शे बनाना और इन्हे पास करवाना अब संभव नहीं है। इन मकानों को अनाधिकृत घोषित न किया जाए और इन्हे एकमुश्त छुट देकर नियमिति किया जाए। जिससे उन्हे बिजली, पानी आदि की मूलभूत सुविधाओं का अनापति प्रमाण पत्र मिल सके। समिति का कहना है कि टीसीपी कानून के प्रावधान नये बसाए जाने वाले शहरों, कलौनियों और सरकारी भवनों पर ही लागू हों। टीसीपी के नियमों में 25 अप्रैल 2012 को नियम 12 (2ए) के तहत संशोधन करके जोडा गया हैं। इस नियम के मुताबिक अगर निर्माण से पहले टीसीपी के अनुुमति न ली गई है या किसी ने पास करवाए नक्शे के अनुसार काम नहीं करवाया है तो उन्हे 10 गुणा यानि 900 प्रतिशत जुर्माना तय किया गया है। यह राशि निर्माण से भी कई गुणा ज्यादा बनती है। समिति का आग्रह है कि इन नियमों को तुरंत प्रभाव से निरस्त किया जाए। टीसीपी का कानून बेहद जटिल और आम लोगों की पहुंच से बाहर है। लोगों को मकान बनाने के लिए कई जगह यंत्रणा का शिकार होना पडता है। समिति का कहना है कि लोगों को वास्तुकार के पास भारी राशि खर्च करने से बचाने के लिए टीसीपी विभाग के वास्तुकार या सरकार की ओर से लोगों को निशुल्क वास्तुकार की सेवाएं मुहैया करवानी चाहिए। जिससे सरकार की जनकल्याणकारी छवि सामने आ सके। समिति के पदाधिकारियों के अनुसार अब टीसीपी एक्ट को ग्रामीण क्षेत्रों में लागू करनी की बात सामने आ रही है। टीसीपी के प्रावधानों के बारे में गांवों में कई भ्रांतियां सामने आने लगी हैं। जिससे ग्रामवासी टीसीपी के कडे कानून के बारे में आशंकित हो गए हैं। समिति ने प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि टीसीपी के तहत आने वाले शहर व साथ लगते गांवों में नियमितीकरण सरल और निशुल्क किया जाए। जिससे गांववासियों में टीसीपी एक्ट के विरूध भ्रांतियों का निराकरण हो सके।

वकीलों की खीर का लोगों ने जखा स्वाद


मंडी। सावन मास के अवसर पर जिला बार एसोसिएशन की खीर आयोजन समिति की ओर से बुधवार को खीर वितरण का आयोजन किया गया। खीर वितरण की शुरूआत अधिवक्ताओं के बच्चों ने अपने हाथों से न्यायलय परिसर में आए लोगों को खीर बांट कर की। बार एसोसिएशन की खीर आयोजन समिति के संयोजक नीरज कपूर ने बताया कि बुधवार को भोजनावकाश के दौरान न्यायलय परिसर में आए लोगों को खीर का वितरण किया गया। इस अवसर पर न्यायलय, उपायुक्त और जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय के कर्मियों ने भी खीर का प्रसाद ग्रहण किया। उन्होने बताया कि बार एसोसिएशन विगत कई सालों से सावन माह में खीर वितरण का आयोजन कर रही है। इस मौके पर खीर आयोजन समिति के सदस्य डी आर शर्मा, राजकुमार सैन, कमल सैनी, दिग्विजय सिंह कटोच, भूपेन्द्र शर्मा, अखिलेश ठाकुर, राजेश शर्मा, नरेन्द्र गुलेरिया, समीर कश्यप, बृज किशोर शर्मा, विशाल ठाकुर, दिनेश शर्मा, दिनेश सकलानी, विजय ठाकुर, नंद लाल, रवि, लोकेन्द्र कुटलैहडिया, राजेश जोशी, विक्रांत शर्मा, मनीष कटोच, विपिन अवस्थी, हेम सिंह ठाकुर तथा बार एसोसिएशन के सदस्य मौजूद रहे।

Tuesday, 29 July 2014

मिंजर हॉकी टुर्नामेंट को मंडी टीम रवाना


मंडी। चंबा के अंतर्राष्ट्रिय मिंजर मेले में आयोजित होने वाली राज्य स्तरीय हॉकी टुर्नामेंट के लिए मंडी हॉकी क्लब की टीम रवाना हो गई है। क्लब के सचिव सुशील की अगुवाई में मंडी की टीम इस टुर्नामेंट में करीब 20 सालों के बाद भाग ले रही है। सुशील ने बताया कि टीम में नरेश (कप्तान), रोहित, साहिल, सचिन, दलजीत सिंह, सुनील, जीवन, कुशहाल, विनोद, मनप्रीत, कमल, दीपू और मनोज शामिल हैं। उन्होने बताया कि मंडी के इंदिरा मार्केट स्थित रतन ज्वैलर ने टीम को किट प्रदान की है। जबकि एचडीएफसी फाइनैंस बैंक, महेन्द्रा एस के पी एल के अरूण महाजन व सहयोगियों, रमन बेकरी व स्थानीय लोगों ने टीम को टुर्नामेंट में भाग लेने के लिए प्रायोजित किया है।

चारदीवारी गिराने की जांच की मांग


मंडी। सुंदरनगर के धनोटु स्थित हिमटेक संस्था ने प्रदेश के मुखयमंत्री वीरभद्र सिंह से बल्ह क्षेत्र के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल गलमा में चारदीवारी को नुकसान पहुंचाने के मामले में जांच का आग्रह किया है। संस्था ने स्कूल में करवाए गए निर्माण की बकाया 5,00,000 रूपये की राशि भी अदा करने के बारे में मुखयमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया है। दि हिमटेक को-आपरेटिव लेबर एंड कंस्ट्रक्शन सोसायटी लिमिटेड के सचिव ललित शर्मा ने बताया कि संस्था के माध्यम से गलमा स्कूल में चारदीवारी और रिटेनिंग वाल का कार्य करवाया गया है। लेकिन विगत एक वर्ष से संस्था को बकाया राशि जारी न करने के कारण चारदीवारी का निर्माण कार्य बंद पडा हुआ है। जबकि संस्था की निर्माण सामग्री चारदीवारी के नजदीक ही रखी गई थी। उन्होने बताया कि विगत 8 जुलाई की रात को कुछ अज्ञात लोगों ने गलमा स्कूल की इस चारदीवारी को नुकसान पहुंचाया है। जिस बारे में स्कूल की ओर से बल्ह पुलिस थाना को शिकायत पत्र भी दिया गया है। उन्होने बताया कि चारदीवारी को नुकसान पहुंचाने के बारे में पता चलते ही संस्था के पदाधिकारी मौका पर गए और नुकसान की जानकारी ली। उन्होने बताया कि चारदीवारी को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों ने वहां पर रखी निर्माण सामग्री रेत-बजरी और ईटों को भी चोरी कर लिया है। सचिव ललित शर्मा ने बताया कि संस्था ने गलमा स्कूल के इस कार्य को करवाने के लिए अपने सदस्यों से ऋण लिया है लेकिन बकाया राशि की अदायगी स्कूल प्रशासन द्वारा रोक देने से संस्था को वितिय परेशानियों का सामना करना पड रहा है। संस्था ने मुखयमंत्री को ज्ञापन प्रेषित करके इस घटना की जांच की मांग की है। वहीं पर संस्था ने स्कूल प्रशासन की ओर से रोकी हुई पांच लाख रूपये की बकाया राशि को भी जारी करने का आग्रह किया है। इधर, अतिरिक्त उपायुक्त की ओर से ज्ञापन पर कार्यवाही किए जाने के बारे में उपनिदेशक (उच्च शिक्षा) को पत्र जारी किया गया है। पत्र में मामले के तथ्यों की जांच पडताल करके नियमानुसार उचित कार्यवाही करके संस्था को इस बारे में अवगत करवाने के निर्देश दिये गए हैं।

वकील की 30 हजार रूपये फीस ब्याज सहित अदा करने के आदेश


मंडी। अदालत ने मुवक्किल को अधिवक्ता की 30,000 रूपये फीस ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। मुवक्किल प्रतिवादी को यह फीस 5 प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करनी होगी। मंडी के सिविल जज (जूनियर डिविजन) कोर्ट नंबर दो रमणीक शर्मा के न्यायलय ने जिला न्यायलय के अधिवक्ता पुष्प राज शर्मा की ओर से दायर फीस रिकवरी के दावे को डिक्री करते हुए प्रतिवादी सुंदरनगर तहसील के तरोट (कनैड) गांव निवासी निक्का राम पुत्र डागु राम को वादी अधिवक्ता के पक्ष में उक्त फीस की राशि ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। अधिवक्ता अरविंद कपूर के माध्यम से अदालत में दायर दीवानी वाद के तथ्यों के अनुसार वादी पुष्प राज शर्मा जिला अदालत में वर्ष 1986 से बतौर अधिवक्ता कार्य कर रहे हैं। अप्रैल 2005 में एक मोटर वाहन दुर्घटना में घायल होने के कारण निक्का राम ने उन्हे मोटर वाहन अधिनियम की क्लेम पेटिशन निक्का राम बनाम कर्म सिंह व अन्य में बतौर अधिवक्ता नियुक्त किया था। इस मामले का फैसला प्रतिवादी के पक्ष में 25 अप्रैल 2009 को हुआ था। अधिवक्ता को केस सौंपते समय प्रतिवादी निक्का राम ने उन्हे फैसला हो जाने के बाद फीस देना तय किया था। हालांकि प्रतिवादी ने दिसंबर 2009 में मोटर वाहन ट्रिब्युनल से मुआवजे की राशि निकलवा दी थी। लेकिन राशि मिलने के बावजूद भी प्रतिवादी ने तय की गई फीस की अदायगी अधिवक्ता को नहीं की। जिस पर अधिवक्ता ने प्रतिवादी को 26 मार्च 2012 को कानूनी नोटिस जारी करके फीस अदा करने को कहा था। लेकिन प्रतिवादी के कोई जवाब न देने पर अधिवक्ता ने यह दीवानी दावा अदालत में पेश किया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि दोनों पक्षों की सुनवाई और रिकार्ड में लाए गए साक्ष्यों से यह सपष्ट हुआ है कि वादी अधिवक्ता को प्रतिवादी ने क्लेम पेटिशन में बतौर अधिवक्ता नियुक्त किया था। वादी की ओर से अदालत में कानूनी नोटिस की कापी पेश की गई जिसमें फीस की मांग की गई थी। इसके अलावा वादी पुष्प राज और अधिवक्ता टी आर पठानिया ने भी अपने ब्यानों से साबित किया है कि वादी को फीस की अदायगी नहीं की गई है। जबकि प्रतिवादी की ओर से अपने तर्कों को साबित करने के लिए कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया। इन परिस्थितियों में अदालत ने अपने फैसले में कहा कि वादी की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर प्रतिवादी से फीस की राशि प्राप्त न होने का वाद साबित हुआ है। जिसके चलते अदालत ने वादी को अपनी फीस की राशि प्राप्त करने का हकदार मानते हुए प्रतिवादी को उक्त राशि ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। उल्लेखनीय है कि प्रतिवादी सेवानिवृत जे ई हैं और एक सोसायटी के पदाधिकारी हैं। इसी अदालत ने प्रतिवादी की पत्नी राज कुमारी के खिलाफ भी इसी तरह के फीस रिकवरी के दीवानी वाद में वादी अधिवक्ता पुष्प राज शर्मा के पक्ष में 3000 रूपये फीस पांच प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करने का फैसला सुनाया है।  

Saturday, 26 July 2014

हणोगी मंदिर रोप-वे जनता को समर्पित


मंडी। उपायुक्त मंडी देवेश कुमार ने बुधवार को हणोगी के नये मंदिर से पुराने मंदिर को बनाए गए रोप वे का उदघाटन करके इसे जनता को समर्पित किया। उदघाटन के अवसर पर उन्होने 6 लोगों को तीन मिनट के भीतर व्यास नदी के दूसरे तट पर स्थित मंदिर तक पहुंचाने वाले पैसेंजर कैबिन का टेस्ट ट्रायल भी किया। इस मौके पर उन्होने कहा कि 110 मीटर लंबे इस रोप वे के बनने से जहां लोगों को पुराने मंदिर के दर्शन सुलभ होंगे। वहीं पर व्यास नदी के वामतट पर स्थित नलवागी सहित कई पंचायतों और गांवों के लोगों को आवाजाही में आसानी होगी। इसके अलावा पर्यटन की दृष्टि से भी इस स्थल का महत्व बढेगा। जानकारी के मुताबिक उपायुक्त मंडी ने बुधवार को चंडीगढ-मनाली राष्ट्रिय राजमार्ग-21 पर स्थित हणोगी माता के नये मंदिर से पुराने मंदिर तक बनाए गए रोप वे का टेस्ट ट्रायल किया। इससे पहले भक्तों, पर्यटकों और लोगों को पुराने मंदिर तक मात्र नाव के माध्यम से ही पहुंचा जा सकता था। लेकिन व्यास नदी का जलस्तर बढ जाने के कारण लोगों को पुराने मंदिर तक पहुंचने में भारी परेशानियों का सामना करना पडता था। लोक निर्माण विभाग के मैकेनिकल विंग की ओर से करीब 28 लाख रूपये की लागत से बनाए गए इस रोप वे में दो पैसेंजर कैबिन की सुविधा है। जिनमें बैठ कर 6-6 लोग आर-पार जा सकते हैं। रोप वे के उदघाटन के अवसर पर उपमंडलाधिकारी सदर विवेक भाटिया, लोनिवि के मैकेनिकल विंग के अधिषाशी अभियंता अजय शर्मा, हणोगी माता मंदिर ट्रस्ट के अधिकारी नायब तहसीलदार औट हीरा चंद नलवा, एसडीओ के के रावत तथा स्थानीय वासी मौजूद थे।

Thursday, 24 July 2014

पण्डोह जलाशय से ब्यास नदी में पानी छोडऩे पर जिला प्रशासन ने किया अलर्ट


मंडी। उपायुक्त मंडी देवेश कुमार ने बरसात के मौसम में पण्डोह जलाशय से पानी छोड़े जाने के कारण ब्यास नदी में जल स्तर बढ़ जाने पर नदी-नालों पर बसे लोगों को सचेत रहने की चेतावनी दी है । उन्होने लारजी डैम प्रबन्धन बोर्ड के अतिरिक्त अन्य संबद्घ प्राधिकृतियों को निर्देश दिए हैं कि लारजी से पण्डोह तथा पण्डोह से आगे मण्डी तक पानी छोडऩे की सूचना लाउडस्पीकर के माध्यम से लोगों तक दें तथा पानी छोडऩे के बारे नियमानुसार हूटर भी बजाएं । उपायुक्त ने बताया कि भाखड़ा बांध प्रबन्धन बोर्ड के अतिरिक्त अधीक्षण अभियन्ता की ओर से जारी सूचना के अनुसार लगातार हो रही भारी बारिश के कारण पण्डोह जलाशय में गाद एवं मिटटी जमा हो रही है जिसकी निकासी के लिए फलशिंग ऑपरेशन शुरू किया गया है । उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान ब्यास सतलुज लिंक परियोजना की पण्डोह-बग्गी सुरंग बन्द कर दी गई है। संभावित खतरों की आश्ंाका को देखते हुए पण्डोह जलाशय के सभी गेट खोल दिए गए हैं। जिनसे भारी मात्रा एवं तीव्र गति से जलाशय का पानी ब्यास नदी में पानी छोड़ा जा रहा है । उपायुक्त ने स्थानीय जनता के अतिरिक्त आम लोगों से अपील की कि वे ब्यास नदी के किनारे ना जाएं ।

चैक बाउंस में दो को एक साल की कैद और हर्जाना


मंडी। चैक बाउंस के दो विभिन्न मामलों में अदालत ने दो आरोपियों को एक-एक साल के साधारण कारावास की सजा का फैसले सुनाए हैं। इसके अलावा आरोपियों को करीब पौने चार लाख रूपये की हर्जाना राशि भी शिकायतकर्ताओं के पक्ष में अदा करनी होगी। विशेष न्यायिक दंडाधिकारी रघुबीर सिंह के न्यायलय ने सुंदरनगर तहसील के साई (जुगाहन) निवासी गिरधारी लाल पुत्र गरीबा राम की शिकायत पर चलाए गए अभियोग के साबित होने पर सदर तहसील के रती स्थित स्टोन क्रैशर के पास रहने वाले गुरबखश पुत्र संत राम को एक साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा आरोपी गुरूबखश को शिकायतकर्ता गिरधारी लाल के पक्ष में 2,65,000 रूपये की हर्जाना राशि भी अदा करनी होगी। अधिवक्ता लाल सिंह के माध्यम से अदालत में दायर शिकायत के अनुसार आरोपी ने उधार चुकाने के लिए शिकायतकर्ता को 9 जनवरी 2008 को एक चैक जारी किया था। शिकायतकर्ता ने जब चैक को भुगतान के लिए बैंक में लगाया तो आरोपी के खाते में पर्याप्त राशि न होने के कारण यह बाउंस हो गया था। जिस पर उन्होने अधिवक्ता के माध्यम से आरोपी को कानूनी नोटिस दिया गया था। लेकिन इसके बावजूद भी राशि अदा न करने पर उन्होने अदालत में शिकायत दायर की थी। इधर, एक अन्य शिकायत का फैसला करते हुए विशेष न्यायिक दंडाधिकारी रघुवीर सिंह के न्यायलय ने तहसील सदर के डडौर (ढाबण) स्थित मैसर्ज कृष्णा आटोमोबाईल के मालिक सचित पासी के मुखतयार आम रती गांव निवासी चेत राम पुत्र परमा राम के माध्यम से दायर शिकायत पर चलाए गए अभियोग के साबित होने पर सदर तहसील के कैहनवाल (टिल्ली) निवासी अशोक पठानिया पुत्र किशन सिंह को एक साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा आरोपी अशोक को शिकायतकर्ता सचित पासी के पक्ष में 1,11,944 रूपये हर्जाना भी अदा करना होगा। अधिवक्ता अमर सिंह ठाकुर के माध्यम से अदालत में दायर शिकायत के अनुसार उधार ली गई राशि को चुकाने के लिए शिकायतकर्ता को 22 अक्तुबर 2007 को एक चैक जारी किया था। शिकायतकर्ता ने जब इस चैक को भुगतान के लिए बैंक में लगाया तो आरोपी के खाते में पर्याप्त राशि न होने के कारण यह बाउंस हो गया था। जिस पर शिकायतकर्ता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से आरोपी को राशि लौटाने के लिए 15 दिनों का नोटिस जारी किया था। लेकिन इसके बावजूद भी राशि अदा न करने पर उन्होने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत में शिकायत दायर की थी। अदालत ने दोनों शिकायतों के फैसलों में कहा कि शिकायतकर्ताओं की ओर से अदालत के समक्ष प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपियों पर चैक बाउंस का अभियोग निगोशिएबल इंस्ट्रुमेंट की धारा 138 के तहत संदेह की छाया से दूर साबित हुआ है। ऐसे में अदालत ने आरोपियों को उक्त कारावास और हर्जाने की सजा के फैसले सुनाए हैं।

Wednesday, 23 July 2014

बीमा कंपनी को 3.79 लाख रूपये अदा करने के आदेश


मंडी। जिला उपभोक्ता फोरम कुल्लू ने बीमा कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में 3,79,605 रूपये की राशि ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा कंपनी की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले 5000 रूपये हर्जाना और 2000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करना होगा। जिला उपभोक्ता फोरम कुल्लू के अध्यक्ष जे एन यादव और सदस्य शिव सिंह ने जिला कुल्लू की निरमंड तहसील के जाओं निवासी रोहित कुमार पुत्र चुन्नी लाल की शिकायत को उचित मानते हुए श्रीराम जनरल इंश्योरेंस के जयपुर (राजस्थान) स्थित मुखयालय और जिला बिलासपुर स्थित स्थानीय शाखा को संयुक्त रूप से उक्त राशि का भुगतान उपभोक्ता के पक्ष में 9 प्रतिशत ब्याज दर सहित करने का फैसला सुनाया है। अधिवक्ता पी सी चौधरी के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता के पिता चुन्नी लाल ने अपने वाहन को उक्त कंपनी के पास बीमाकृत करवाया था। बीमावधि के दौरान ही उनके पिता का वाहन छैंछीनाला के पास दुर्घटना में बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। हालांकि कंपनी के सर्वेयर ने वाहन का निरिक्षण करके नुकसान का आकलन किया था। लेकिन कंपनी ने मुआवजा तय नहीं किया। ऐसे में उपभोक्ता ने फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। जिसका फैसला 8 नवंबर 2012 को हो जाने के बाद उपभोक्ता निर्धारित 45 दिनों में वाहन को अपने नाम से पंजीकृत नहीं कर सका। वाहन उपभोक्ता के नाम पर पंजीकृत हो जाने के बाद उन्होने कंपनी को उतराधिकारी प्रमाण पत्र और पंजीकरण प्रमाण पत्र सौंपा था। लेकिन इसके बावजूद भी मुआवजा निर्धारित न करने पर उन्होने फिर से फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि उपभोक्ता की ओर से पंजीकरण प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया है जिससे जाहिर होता है कि उपभोक्ता वाहन का मालिक है। इसके अलावा उपभोक्ता की ओर से उतराधिकारी प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किया गया है जिससे जाहिर होता है कि पिता के देहांत के बाद वही उनके उतराधिकारी हैं। उपभोक्ता ने फोरम के पिछले फैसले के अनुसार सभी औपचारिकताओं को पूरा कर लिया है। ऐसे में फोरम ने औपचारिकताओं को पूरा करने के बावजूद मुआवजा निर्धारित न करने को कंपनी की सेवाओं में कमी करार देते हुए उपभोक्ता के पक्ष में उक्त मुआवजा राशि ब्याज समेत अदा करने के आदेश दिये हैं। इसके अलावा कंपनी की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले उक्त हर्जाना राशि और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया है।

मृत गाय का मुआवजा उपभोक्ता के पश्र में अदा करने के आदेश


 मंडी। जिला उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी को उपभोक्ता की मृत गाय की 23,000 रूपये मुआवजा राशि ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा कंपनी की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले 4000 रूपये हर्जाना और 3000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करने के आदेश दिये हैं। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष जे एन यादव और सदस्यों रमा वर्मा व आकाश शर्मा ने चच्योट तहसील के कुरपानी धार (केलोधार) निवासी नरेन्द्र सिंह पुत्र गोवर्धन सिंह की शिकायत को उचित मानते हुए ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी को उक्त मुआवजा राशि की अदायगी उपभोक्ता के पक्ष में 9 प्रतिशत ब्याज दर सहित करने का फैसला सुनाया है। अधिवक्ता आशीष शर्मा के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने अपनी गाय को उक्त बीमा कंपनी के पास बीमाकृत करवाया था। बीमावधि के दौरान गाय ऊंचाई से गिर जाने के कारण मर गई। उपभोक्ता ने गाय को पोस्टमार्टम कराकर इसके बारे में कंपनी को सूचित किया था। सूचना मिलने पर कंपनी का सर्वयर मौका पर आया था लेकिन बाद ने कंपनी ने इस आधार पर मुआवजा खारिज कर दिया था कि मृत गाय को कंपनी की ओर से लगाया गया टैग गायब था। ऐसे में उपभोक्ता ने कंपनी की सेवाओं में कमी के चलते फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि उपभोक्ता की ओर से यह कहा गया है कि गाय ऊंचाई से गिर कर मर गई थी। इस तथ्य को ग्राम पंचायत प्रधान ने भी अपने प्रमाण पत्र में जाहिर किया है कि गाय की मौत गिरने से हुई है। इससे यह माना जा सकता है कि गाय के कान में लगा हुआ टैग ऊंचाई से गिरने के कारण गिर गया हो। इसके अलावा बीमाकृत गाय का हुलिया चिकित्सा प्रमाण पत्र और पोस्टमार्टम रिर्पोट के साथ मेल खाता है। जिसके चलते फोरम ने माना कि मृत गाय वही थी जिसका बीमा उपभोक्ता ने कंपनी के पास करवाया था। इसलिए बीमा कंपनी मुआवजा देने के लिए जिममेवार है। फोरम ने बीमा कंपनी के मुआवजा राशि अदा न करने को सेवाओं में कमी करार देते हुए उक्त राशि ब्याज सहित अदा करने के आदेश दिये। जबकि कंपनी की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले उक्त हर्जाना राशि और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया है।

Monday, 21 July 2014

टीसीपी निरस्त करने को संघर्ष समिति ने उठाई मांग


मंडी। मकान नियमितीकरण संघर्ष समिति (मंडी) की बैठक रविवार को यहां के होटल आर्यन बैंग्लो में आयोजित की गई। बैठक में टाऊन एंड कंटरी प्लानिंग अधिनियम के कडे संशोधनों को निरस्त करने की मांग की गई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए समिति के अध्यक्ष अमर चंद वर्मा ने कहा कि मौजूदा टीसीपी कानून के प्रावधानों से लोग बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। ऐसे जनविरोधी कानूनों को बदल कर सरकार को आम लोगों को राहत देने के दिशा में कार्य करके आवश्यक संशोधनों को अमलीजामा पहनाना चाहिए। बैठक में टीसीपी के तहत ग्रामीण क्षेत्र को लाने के प्रावधानों का विरोध कर रही सुंदरनगर की संघर्ष समिति के अध्यक्ष जोगिन्द्र ठाकुर ने इस कानून को निरस्त करने की मांग की है। उन्होने कहा कि जब तक टीसीपी कानून वापिस नहीं लिया जाता तब तक संघर्ष समिति अपना आंदोलन जारी रखेगी। उन्होने कहा कि सुंदरनगर में टीसीपी के तहत आने वाली सभी पंचायतों में संघर्ष की अलख जगाई जा रही है। उन्होने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में टीसीपी के प्रावधानों को लागू हो जाने से लोगों को आने वाले समय में अनेकों कठिनाईयों का सामना करना होगा। मंडी की संघर्ष समिति के संयोजक उतम चंद सैनी ने बैठक में बताया कि टीसीपी कानूनों के प्रावधानों के तहत लोगों को आशियाना बनाना संभव नहीं है। लोगों को भारी खर्चा करने के बावजूद भी कठिन प्रक्रिया के तहत मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है। टीसीपी एक्ट के नियमों में साल 2012 में किये गए संशोधनों से लोगों को नियमितिकरण के लिए 10 गुणा अधिक जो करीब 900 प्रतिशत बनता है जुर्माना भरना पड रहा है। अपनी जगह पर घर बनाने वालों को अनाधिकृत घोषित करके उनसे भारी भरकम जुर्माना वसूलने वाले नियमों को तुरंत निरस्त किया जाए। उन्होने बताया कि समिति ने प्रदेश सरकार से अनेकों बार ज्ञापनों के माध्यमों से टीसीपी कानून के कडे प्रावधानों को वापिस लेने की मांग की है। उन्होने बताया कि टीसीपी कानून में संशोधन के लिए बनाई गई प्रवर समिति के अध्यक्ष सहित सभी सदस्यों को ज्ञापन प्रेषित करके उन्हे इस कानून में बदलाव के लिए कहा गया है। समिति के सचिव समीर कश्यप ने बताया कि प्रदेश सरकार के विगत 17 जुलाई को घोषित नये टीसीपी एक्ट 2014 के प्रावधानों का अध्ययन करने के बाद इसमें सुझाव व आपतियां दर्ज करवाई जाएंगी। उन्होने कहा कि टीसीपी कानून को पुराने शहरों और आबादियों में लागू नहीं किया जाए। उन्होने कहा कि आने वाले समय में मंडी शहर और आस पास के गांवों में भी टीसीपी कानून के इन कडे प्रावधानों से होने वाले नुकसानों के बारे में लोगों को जागरूक किया जाएगा। वहीं पर प्रदेश के अन्य जगहों पर इन कानूनों के खिलाफ हो रहे संघर्ष को लामबंद करने की रणनिती तैयार की जाएगी। जिसके लिए आगामी 2 अगस्त को बैठक सुनिश्चित की गई है। बैठक का संचालन समिति के पदाधिकारी चंद्रमणी वर्मा ने किया। बैठक में ग्रामीण सुधार सभा कमेटी कनैड-भौर के अध्यक्ष धनी राम, सुंदर नगर संघर्ष समिति के सदस्य देवी राम, मंडी के कमल कृष्ण महाजन, विजय कुमार, प्रदीप परमार, भीमचंद्र सरोच, रवि कांत, आर एस राणा, काहन सिंह, प्रकाश चंद, राजेन्द्र कुमार, रमेश वालिया, दुशमती, पूनम शर्मा, गगन सिंह, मोरध्वज शर्मा, सुनील कुमार, गौरी प्रसाद, राम सिंह, धनदेव, बलवंत सिंह, देवी सिंह और देवी राम सहित टीसीपी कानून के प्रावधानों के कारण बिजली-पानी से वंचित भुगतभोगी शामिल थे।

K NEWS: 20.JULY.2014 :MAKAAN NIYAMITI SANGHARSH SAMITI

Friday, 18 July 2014

भ्युली क्षेत्र में लावारिस बैल का आतंक


मंडी। शहर के साथ सटी तुंग पंचायत के भयुली क्षेत्र में एक आवारा बैल के आतंक से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड रहा है। जानकारी के मुताबिक यह बैल भयुली क्षेत्र में कई लोगों पर हमला करके उन्हे घायल कर चुका है। जिससे लोगों को अपनी सुरक्षा को लेकर भारी खतरा है। खासकर महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों में इस बैल के हमलों से खौफ बन गया है। स्थानीय तुंग पंचायत के उप-प्रधान दीप कुमार ने बताया कि अनेकों बार इस बैल को काबू करने के प्रयास किये जा रहे हैं। लेकिन यह काबू में नहीं आ रहा है। जबकि इसके हमलों से लोगों में असुरक्षा का माहौल बना हुआ है। उन्होने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस आवारा बैल को जल्द से जल्द काबू में लेकर इसे यहां से हटाया जाए। जिससे लोगों को राहत महसूस हो सके।

अधिवक्ता की फीस ब्याज सहित अदा करने के आदेश


मंडी। अदालत ने मुवक्किल को अधिवक्ता की 3000 रूपये फीस ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। मुवक्किल प्रतिवादी को यह फीस 5 प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करनी होगी। मंडी के सिविल जज (जूनियर डिविजन) कोर्ट नंबर दो रमणीक शर्मा के न्यायलय ने मंडी कोर्ट के अधिवक्ता पुष्प राज शर्मा की ओर से दायर फीस रिकवरी के दावे को डिक्री करते हुए प्रतिवादी सुंदरनगर तहसील के तरोट (कनैड) गांव की निवासी राज कुमारी पत्नी निक्का राम को वादी अधिवक्ता के पक्ष में उक्त फीस की राशि ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। अधिवक्ता अरविंद कपूर के माध्यम से अदालत में दायर दीवानी वाद के तथ्यों के अनुसार वादी अधिवक्ता पुष्प राज शर्मा जिला अदालत में वर्ष 1986 से बतौर अधिवक्ता कार्य कर रहे हैं। अप्रैल 2005 में प्रतिवादी ने उन्हे मोटर वाहन अधिनियम की क्लेम पेटिशन राज कुमारी बनाम कर्म चंद तथा अन्य में बतौर अधिवक्ता नियुक्त किया। इस पेटिशन में प्रतिवादी के पक्ष में क्लेम देने का फैसला 25 अप्रैल 2009 को हुआ था। अधिवक्ता को केस सौंपते समय प्रतिवादी ने उन्हे फैसला होने के बाद फीस देना तय किया था। हालांकि प्रतिवादी को वर्ष 2009 में क्लेम की राशि मिल गई थी। लेकिन राशि मिलने के बाद प्रतिवादी ने अधिवक्ता से तय की गई फीस अदा नहीं की। जिस पर अधिवक्ता ने प्रतिवादी को 25 मार्च 2012 को कानूनी नोटीस जारी करके फीस अदा करने को कहा था। लेकिन प्रतिवादी के कोई जवाब न देने पर अधिवक्ता ने यह दीवानी दावा अदालत में पेश किया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि दोनों पक्षों की सुनवाई और रिकार्ड में लाये गए साक्ष्यों से यह सपष्ट हुआ है कि वादी को प्रतिवादी ने क्लेम पेटिशन में बतौर अधिवक्ता नियुक्त किया था। वादी की ओर से अदालत में कानूनी नोटिस की कापी पेश की गई जिसमें फीस की मांग की गई थी। इसके अलावा अधिवक्ता टी आर पठानिया ने भी वादी को फीस अदा न करने के बारे में अदालत के समक्ष ब्यान किया था। जबकि प्रतिवादी की ओर से अपने तर्कों को साबित करने के लिए कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया। इन परिस्थितियों में अदालत ने अपने फैसले में कहा कि वादी की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर प्रतिवादी से फीस की राशि प्राप्त न होने का वाद साबित हुआ है। जिसके चलते अदालत ने प्रतिवादी को वादी अधिवक्ता की फीस की राशि ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है।

Thursday, 17 July 2014

कम्प्यूटर के युग में हाथ से लिखे आवेदन के आदेश


मंडी। ...अगर आप लाइसैंसिंग अथारटी मंडी में कोई टाइप की हुई अर्जी देना चाह रहे हैं तो आप का आवेदन निरस्त हो सकता है। भले ही आजकल कंपयुटरीकरण का जमाना हो पर इसके लिए आपको अपने हाथों से हस्तलिखित आवेदन ही देना पडेगा। यह फरमान मंडी की लाइसैंसिंग अथारटी के लिए जारी किया गया है। इसके अलावा एक अन्य फरमान यह जारी किया गया है कि अगर आपने मोटर वाहन अधिनियम के तहत कोई फीस जमा करवानी है तो इसके लिए आपको व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहना होगा। इससे पहले कोई अन्य भी इस तरह की फीस जमा करवा सकता था। अथारटी से संबंधित इन दोनों फरमानों पर पुर्नविचार करने के लिए जिला मुखयालय में कार्य कर रहे अधिवक्ताओं, बार क्लर्कों और टाइपिस्टों ने उपमंडलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है। अधिवक्ता समीर कश्यप, मनीष कटोच, दीपक ठाकुर, वीरेन्द्र कुमार, देवेन्द्र शर्मा, सुशील चौहान, विधि छात्र खेम चंद, बार क्लर्क तेजभान सिंह, धर्मचंद, धर्म पाल गर्ग, घनश्याम, नरेन्द्र कुमार, प्रवीण कुमार, राजेश कुमार, रीना ठाकुर, पेटीशन राइटर नंदलाल सैनी, मिशन दत, भारत भूषण, बालकृष्ण और परस राम की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने उपमंडलाधिकारी सदर को ज्ञापन देकर इन आदेशों पर पुर्नविचार करने का आग्रह किया है। प्रतिनिधिमंडल के अनुसार लाइसैंसिंग अथारटी को आदेश जारी किये गए हैं कि अब अथारटी में आवेदनकर्ता को अपनी हस्तलिखित अर्जी ही देनी होगी और किसी तरह की टाईप की गई अर्जी मान्य नहीं होगी। प्रतिनिधिमंडल के अनुसार यह निर्णय आदिम काल का प्रतीत हो रहा है। आजकल सभी जगह कंपयुटरों के प्रयोग पर अधिक से अधिक बल दिया जा रहा है। जबकि मंडी की अथारटी सदियों पीछे की ओर मुड कर हस्तलिखित आवेदनों का निर्णय ले रही है। जो मौजूदा समय में बिल्कुल भी प्रासांगिक नहीं है। इसके अलावा बहुत से आवेदनकर्ता अपने आप आवेदन लिखने में सक्षम नहीं होते क्योंकि कानून की जटिलताओं को वह नहीं समझ पाते। इसलिए वह अधिवक्ताओं, बार क्लर्कों और टाइपिस्टों की मदद से आवेदन करते हैं। इसके अलावा अथारटी ने यह फरमान भी जारी किया है कि वकीलों के बार क्लर्क अथारटी में फीस जमा नहीं करवा सकते। इसके लिए आवेदनकर्ता को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर फीस जमा करवानी होगी। प्रतिनिधिमंडल के अनुसार अधिवक्ता अदालतों में बहस, जिरह आदि जरूरी कार्यों में व्यस्त होते हैं। जबकि वह अपने मुवक्किलों के फीस जमा करवाने तथा अन्य कार्यों को बार क्लर्क के माध्यम से जिला अदालत से लेकर सभी प्राधिकरणों में करवाते हैं। उनके अनुसार लाईसैंसिंग अथारटी में फीस के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने से लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड रहा है। इधर, उपमंडलाधिकारी सदर आईएएस प्रोबेशनर विवेक भाटिया ने बताया कि हस्तलिखित आवेदन करने के पीछे यह कारण है कि आवेदनकर्ता अपने कार्य को अपने आप अथारटी से करवाए। इसके अलावा जिन लोगों को आवेदन लिखना नहीं आता है उसके लिए एक कर्मी की तैनाती की जाएगी। जो इन आवेदनों को हाथ से लिखेगा। अथारटी में फीस जमा करवाने के लिए आवेदनकर्ता के व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहने के बारे में उन्होने बताया कि इससे कोई अन्य व्यक्ति गल्त आवेदन नहीं कर सकता है। उन्होने कहा कि बार क्लर्कों को फीस जमा करवाने पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। उन्होने बताया कि जो लोग फीस के लिए व्यक्तिगत रूप से मौजूद नहीं हो सकते उनके लिए एक परर्फोमा बनाया जाएगा। जिसको भरने के बाद बार क्लर्क उनकी फीस अदा कर सकते हैं। उन्होने कहा कि तीन-चार दिनों में इस बारे में उचित निर्णय ले लिया जाएगा।

मंडी में बनाया जाए आधुनिक पुस्तकालयः शहीद भगत सिंह विचार मंच

मंडी। प्रदेश की सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी मंडी में आधुनिक और बेहतरीन पुस्तकालय के निर्माण की मांग की गई है। इस संदर्भ में शहर की संस्...