मंडी। अदालत ने मुवक्किल को अधिवक्ता की 30,000 रूपये फीस ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। मुवक्किल प्रतिवादी को यह फीस 5 प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करनी होगी। मंडी के सिविल जज (जूनियर डिविजन) कोर्ट नंबर दो रमणीक शर्मा के न्यायलय ने जिला न्यायलय के अधिवक्ता पुष्प राज शर्मा की ओर से दायर फीस रिकवरी के दावे को डिक्री करते हुए प्रतिवादी सुंदरनगर तहसील के तरोट (कनैड) गांव निवासी निक्का राम पुत्र डागु राम को वादी अधिवक्ता के पक्ष में उक्त फीस की राशि ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। अधिवक्ता अरविंद कपूर के माध्यम से अदालत में दायर दीवानी वाद के तथ्यों के अनुसार वादी पुष्प राज शर्मा जिला अदालत में वर्ष 1986 से बतौर अधिवक्ता कार्य कर रहे हैं। अप्रैल 2005 में एक मोटर वाहन दुर्घटना में घायल होने के कारण निक्का राम ने उन्हे मोटर वाहन अधिनियम की क्लेम पेटिशन निक्का राम बनाम कर्म सिंह व अन्य में बतौर अधिवक्ता नियुक्त किया था। इस मामले का फैसला प्रतिवादी के पक्ष में 25 अप्रैल 2009 को हुआ था। अधिवक्ता को केस सौंपते समय प्रतिवादी निक्का राम ने उन्हे फैसला हो जाने के बाद फीस देना तय किया था। हालांकि प्रतिवादी ने दिसंबर 2009 में मोटर वाहन ट्रिब्युनल से मुआवजे की राशि निकलवा दी थी। लेकिन राशि मिलने के बावजूद भी प्रतिवादी ने तय की गई फीस की अदायगी अधिवक्ता को नहीं की। जिस पर अधिवक्ता ने प्रतिवादी को 26 मार्च 2012 को कानूनी नोटिस जारी करके फीस अदा करने को कहा था। लेकिन प्रतिवादी के कोई जवाब न देने पर अधिवक्ता ने यह दीवानी दावा अदालत में पेश किया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि दोनों पक्षों की सुनवाई और रिकार्ड में लाए गए साक्ष्यों से यह सपष्ट हुआ है कि वादी अधिवक्ता को प्रतिवादी ने क्लेम पेटिशन में बतौर अधिवक्ता नियुक्त किया था। वादी की ओर से अदालत में कानूनी नोटिस की कापी पेश की गई जिसमें फीस की मांग की गई थी। इसके अलावा वादी पुष्प राज और अधिवक्ता टी आर पठानिया ने भी अपने ब्यानों से साबित किया है कि वादी को फीस की अदायगी नहीं की गई है। जबकि प्रतिवादी की ओर से अपने तर्कों को साबित करने के लिए कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया। इन परिस्थितियों में अदालत ने अपने फैसले में कहा कि वादी की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर प्रतिवादी से फीस की राशि प्राप्त न होने का वाद साबित हुआ है। जिसके चलते अदालत ने वादी को अपनी फीस की राशि प्राप्त करने का हकदार मानते हुए प्रतिवादी को उक्त राशि ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। उल्लेखनीय है कि प्रतिवादी सेवानिवृत जे ई हैं और एक सोसायटी के पदाधिकारी हैं। इसी अदालत ने प्रतिवादी की पत्नी राज कुमारी के खिलाफ भी इसी तरह के फीस रिकवरी के दीवानी वाद में वादी अधिवक्ता पुष्प राज शर्मा के पक्ष में 3000 रूपये फीस पांच प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करने का फैसला सुनाया है।
Tuesday, 29 July 2014
वकील की 30 हजार रूपये फीस ब्याज सहित अदा करने के आदेश
मंडी। अदालत ने मुवक्किल को अधिवक्ता की 30,000 रूपये फीस ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। मुवक्किल प्रतिवादी को यह फीस 5 प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करनी होगी। मंडी के सिविल जज (जूनियर डिविजन) कोर्ट नंबर दो रमणीक शर्मा के न्यायलय ने जिला न्यायलय के अधिवक्ता पुष्प राज शर्मा की ओर से दायर फीस रिकवरी के दावे को डिक्री करते हुए प्रतिवादी सुंदरनगर तहसील के तरोट (कनैड) गांव निवासी निक्का राम पुत्र डागु राम को वादी अधिवक्ता के पक्ष में उक्त फीस की राशि ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। अधिवक्ता अरविंद कपूर के माध्यम से अदालत में दायर दीवानी वाद के तथ्यों के अनुसार वादी पुष्प राज शर्मा जिला अदालत में वर्ष 1986 से बतौर अधिवक्ता कार्य कर रहे हैं। अप्रैल 2005 में एक मोटर वाहन दुर्घटना में घायल होने के कारण निक्का राम ने उन्हे मोटर वाहन अधिनियम की क्लेम पेटिशन निक्का राम बनाम कर्म सिंह व अन्य में बतौर अधिवक्ता नियुक्त किया था। इस मामले का फैसला प्रतिवादी के पक्ष में 25 अप्रैल 2009 को हुआ था। अधिवक्ता को केस सौंपते समय प्रतिवादी निक्का राम ने उन्हे फैसला हो जाने के बाद फीस देना तय किया था। हालांकि प्रतिवादी ने दिसंबर 2009 में मोटर वाहन ट्रिब्युनल से मुआवजे की राशि निकलवा दी थी। लेकिन राशि मिलने के बावजूद भी प्रतिवादी ने तय की गई फीस की अदायगी अधिवक्ता को नहीं की। जिस पर अधिवक्ता ने प्रतिवादी को 26 मार्च 2012 को कानूनी नोटिस जारी करके फीस अदा करने को कहा था। लेकिन प्रतिवादी के कोई जवाब न देने पर अधिवक्ता ने यह दीवानी दावा अदालत में पेश किया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि दोनों पक्षों की सुनवाई और रिकार्ड में लाए गए साक्ष्यों से यह सपष्ट हुआ है कि वादी अधिवक्ता को प्रतिवादी ने क्लेम पेटिशन में बतौर अधिवक्ता नियुक्त किया था। वादी की ओर से अदालत में कानूनी नोटिस की कापी पेश की गई जिसमें फीस की मांग की गई थी। इसके अलावा वादी पुष्प राज और अधिवक्ता टी आर पठानिया ने भी अपने ब्यानों से साबित किया है कि वादी को फीस की अदायगी नहीं की गई है। जबकि प्रतिवादी की ओर से अपने तर्कों को साबित करने के लिए कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया। इन परिस्थितियों में अदालत ने अपने फैसले में कहा कि वादी की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर प्रतिवादी से फीस की राशि प्राप्त न होने का वाद साबित हुआ है। जिसके चलते अदालत ने वादी को अपनी फीस की राशि प्राप्त करने का हकदार मानते हुए प्रतिवादी को उक्त राशि ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। उल्लेखनीय है कि प्रतिवादी सेवानिवृत जे ई हैं और एक सोसायटी के पदाधिकारी हैं। इसी अदालत ने प्रतिवादी की पत्नी राज कुमारी के खिलाफ भी इसी तरह के फीस रिकवरी के दीवानी वाद में वादी अधिवक्ता पुष्प राज शर्मा के पक्ष में 3000 रूपये फीस पांच प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करने का फैसला सुनाया है।
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