मंडी। उपायुक्त मंडी के न्यायलय ने गोहर पंचायत प्रधान की अपील को निरस्त करके उसके निर्वाचन को खारिज कर दिया है। जानकारी के अनुसार अमृत लाल ने वर्ष 2005 में गोहर पंचायत के प्रधान के लिए चुनाव लडा था। जिसमें वह निर्वाचित घोषित हुए थे। लेकिन इसी बीच वर्ष 2008 में गोहर निवासी लाला राम ने उनके निर्वाचन को इस आधार पर चुनौती दी थी कि उक्त प्रधान इस चुनाव में बतौर प्रत्याशी भाग नहीं ले सकते थे। क्योंकि वह पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों के तहत चुनाव लडने के पात्र नहीं थे।
लाला राम के अनुसार उक्त प्रधान ने साल 2002 में अवैध कब्जों के नियमितीकरण के लिए तीन बिस्वा सरकारी भूमी पर अवैध कब्जा होने की मिसल राजस्व विभाग को पेश की थी। उपमंडलाधिकारी गोहर के पास विचाराधीन मामले के दौरान ही उक्त प्रधान ने वर्ष 2010 में फिर से चुनाव में प्रत्याशी बनकर चुनाव में उतरे और उन्हे प्रधान पद पर निर्वाचित कर लिया गया। इसके बाद उपमंडलाधिकारी गोहर के न्यायलय ने साल 2012 में उक्त प्रधान पर सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करके अवैध कब्जे का आरोप साबित होने के कारण उनके निर्वाचन को निरस्त कर दिया था।
ऐसे में प्रधान अमृत लाल ने उपायुक्त मंडी के न्यायलय में उपमंडलाधिकारी गोहर के फैसले को चुनौती दी थी। उपायुक्त मंडी देवेश कुमार के न्यायलय ने इस अपील पर अपना फैसला सुनाया है। उपायुक्त के न्यायलय के अनुसार उक्त प्रधान पर सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा होने का आरोप साबित हो चुका है। जिसके कारण उक्त प्रधान पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों के तहत चुनाव में प्रत्याशी बनने की पात्रता नहीं रखता था। ऐसे में अदालत ने उपमंडलाधिकारी गोहर के फैसले को बरकरार रखते हुए उक्त प्रधान के निर्वाचन को निरस्त करने का फैसला सुनाया है।
प्रधान के निर्वाचन को चुनौती देने वाले लाला राम की ओर से अधिवक्ता राज कुमार कौंडल ने पैरवी की। उन्होने उपायुक्त मंडी के न्यायलय के फैसले की पुष्टि करते हुए बताया कि प्रधान की ओर से दायर की गई अपील को खारिज करके सरकारी भूमि पर अतिक्रमण होने के आरोप साबित होने के कारण उनके निर्वाचन को निरस्त होने का फैसला सुनाया है।
No comments:
Post a Comment