मंडी। जिला उपभोक्ता फोरम ने वाहन विक्रेता और निर्माता को उपभोक्ता के पक्ष में नया वाहन एक माह में देने का फैसला सुनाया है। ऐसा न करने पर उन्हे उपभोक्ता के पक्ष में 5,83,450 रूपये की राशि ब्याज सहित लौटाने करने के आदेश दिये हैं। इसके अलावा विक्रेता और निर्माता की सेवाओं में कमी से उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले 40,000 रूपये हर्जाना और 4000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया है। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष जे एन यादव और सदस्यों रमा वर्मा व आकाश शर्मा ने जिला ऊना की बंगाणा तहसील के दनोह (हटली) गांव निवासी डाक्टर अतुल राणा जो इन दिनों जिला लाहौल-स्पिति के सामुदायिक स्वास्थय केंद्र काजा में बतौर मेडिकल आफीसर तैनात हैं की शिकायत को उचित मानते हुए वाहन विक्रेता गुटकर स्थित कंपीटेंट आटोमोबाईल और निर्माता मारूती उद्योग को उपभोक्ता के पक्ष में नया वाहन एक माह में देने या फिर इसकी उक्त मुल्य राशि 9 प्रतिशत ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है।
अधिवक्ता अभिषेक लखनपाल के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने विक्रेता से 2 मई 2012 को नयी मारूती स्विफट कार 5,83,450 रूपये की राशि अदा करके खरीदी थी। लेकिन जब उन्होने कार को पहाडी सडकों पर चलाया तो इसने कमजोर पिक अप दी। जिस बारे में उपभोक्ता ने विक्रेता को सूचित किया था। उपभोक्ता के अनुसार 5 जून 2012 को कार पोवारी रिकांग पियो के पास पहुंचने पर खराब हो गई। उपभोक्ता ने विक्रेता को संपर्क किया तो उनके कर्मचारियों ने उपभोक्ता की बेइज्जती की। ऐसे में उपभोक्ता ने निर्माता के कस्टमर केयर को संपर्क किया। जिस पर उनके रिकांग पियो स्थित अधिकृत सर्विस स्टेशन कृष आटोमोबाईल से आए सर्विस इंजिनियर ने वाहन को चैक किया और पाया कि कार का इंजिन तेल की लीकेज के कारण सीज हो गया है। उन्होने कार को रिपेयर करने में असमर्थता जताई। जिस पर वाहन को शिमला ले जाना पडा। जहां पर रिपेयर चार्ज वसूले जाने के बाद उन्हे कार सौंप दी गई। लेकिन मात्र 20-30 किलोमीटर चलने के बाद इसमें फिर से खराबी आ गई। ऐसे में उपभोक्ता ने वाहन में निर्माण से संबंधित खराबी होने के कारण व विक्रेता और निर्माता की सेवाओं में कमी के कारण फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी।
फोरम ने अपने फैसले में कहा कि सुनवाई के दौरान विक्रेता और निर्माता का कहना था वाहन का इंजिन चालक की लापरवाही के कारण सीज हुआ था क्योंकि उन्होने कार की बुकलेट में दिये गए निदेर्शों को नहीं माना था। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि इस दलील को ठीक नहीं माना जा सकता क्योंकि अगर इंजिन चालक की लापरवाही के कारण सीज हुआ होता तो कृष आटो के इंजिनियर ने वाहन का मौका पर निरिक्षण करते समय अपने प्रमाण पत्र में निश्चित रूप से इसका जिक्र करना था। इसके अलावा किसी मैकेनिक या इंजिनियर की कोई रिर्पोट भी विक्रेता और निर्माता की ओर से पेश नहीं की गई जिससे जाहिर होता हो कि कार का इंजिन चालक की लापरवाही से सीज हुआ हो। जबकि शिकायत की सुनवाई के दौरान उपभोक्ता की ओर से दी गई अर्जी पर फोरम ने लोकल कमीश्नर की तैनाती करके वाहन का निरिक्षण करके रिर्पोट तलब की थी कि इसमें निर्माण से संबंधित खराबी है या नहीं। लोकल कमीश्नर ने अपनी रिर्पोट में सपष्ट रूप से कहा है कि वाहन में निर्माण से संबंधित खराबी है। ऐसे में फोरम ने कार में निर्माण से संबंधित खराबी होने के कारण विक्रेता और निर्माता को एक माह के भीतर नयी कार देने या इसकी मुल्य राशि ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिये हैं। इसके अलावा उनकी सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई मानसिक परेशानी और यंत्रणा के बदले उक्त हर्जाना राशि और शिकायत व्यय भी देने का फैसला सुनाया है।
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