मंडी। चैक बाउंस के दो विभिन्न मामलों में अदालत ने दो आरोपियों को एक-एक साल के साधारण कारावास की सजा का फैसले सुनाए हैं। इसके अलावा आरोपियों को करीब पौने चार लाख रूपये की हर्जाना राशि भी शिकायतकर्ताओं के पक्ष में अदा करनी होगी। विशेष न्यायिक दंडाधिकारी रघुबीर सिंह के न्यायलय ने सुंदरनगर तहसील के साई (जुगाहन) निवासी गिरधारी लाल पुत्र गरीबा राम की शिकायत पर चलाए गए अभियोग के साबित होने पर सदर तहसील के रती स्थित स्टोन क्रैशर के पास रहने वाले गुरबखश पुत्र संत राम को एक साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई है।
इसके अलावा आरोपी गुरूबखश को शिकायतकर्ता गिरधारी लाल के पक्ष में 2,65,000 रूपये की हर्जाना राशि भी अदा करनी होगी। अधिवक्ता लाल सिंह के माध्यम से अदालत में दायर शिकायत के अनुसार आरोपी ने उधार चुकाने के लिए शिकायतकर्ता को 9 जनवरी 2008 को एक चैक जारी किया था। शिकायतकर्ता ने जब चैक को भुगतान के लिए बैंक में लगाया तो आरोपी के खाते में पर्याप्त राशि न होने के कारण यह बाउंस हो गया था। जिस पर उन्होने अधिवक्ता के माध्यम से आरोपी को कानूनी नोटिस दिया गया था।
लेकिन इसके बावजूद भी राशि अदा न करने पर उन्होने अदालत में शिकायत दायर की थी। इधर, एक अन्य शिकायत का फैसला करते हुए विशेष न्यायिक दंडाधिकारी रघुवीर सिंह के न्यायलय ने तहसील सदर के डडौर (ढाबण) स्थित मैसर्ज कृष्णा आटोमोबाईल के मालिक सचित पासी के मुखतयार आम रती गांव निवासी चेत राम पुत्र परमा राम के माध्यम से दायर शिकायत पर चलाए गए अभियोग के साबित होने पर सदर तहसील के कैहनवाल (टिल्ली) निवासी अशोक पठानिया पुत्र किशन सिंह को एक साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा आरोपी अशोक को शिकायतकर्ता सचित पासी के पक्ष में 1,11,944 रूपये हर्जाना भी अदा करना होगा।
अधिवक्ता अमर सिंह ठाकुर के माध्यम से अदालत में दायर शिकायत के अनुसार उधार ली गई राशि को चुकाने के लिए शिकायतकर्ता को 22 अक्तुबर 2007 को एक चैक जारी किया था। शिकायतकर्ता ने जब इस चैक को भुगतान के लिए बैंक में लगाया तो आरोपी के खाते में पर्याप्त राशि न होने के कारण यह बाउंस हो गया था। जिस पर शिकायतकर्ता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से आरोपी को राशि लौटाने के लिए 15 दिनों का नोटिस जारी किया था।
लेकिन इसके बावजूद भी राशि अदा न करने पर उन्होने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत में शिकायत दायर की थी। अदालत ने दोनों शिकायतों के फैसलों में कहा कि शिकायतकर्ताओं की ओर से अदालत के समक्ष प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपियों पर चैक बाउंस का अभियोग निगोशिएबल इंस्ट्रुमेंट की धारा 138 के तहत संदेह की छाया से दूर साबित हुआ है। ऐसे में अदालत ने आरोपियों को उक्त कारावास और हर्जाने की सजा के फैसले सुनाए हैं।
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