Thursday, 10 July 2014

तहसीलदार मंडी को दो हजार जुर्माना


मंडी। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचना मुहैया न करवाना जिला की सदर तहसील के तहसीलदार को उस समय महंगा साबित हुआ जब राज्य सूचना आयुक्त ने उन्हे आवेदक के पक्ष में 2000 रूपये हर्जाना अदा करने के आदेश दिये। आयुक्त ने तहसीलदार सदर को कडी फटकार लगाते उन्हे आवेदक को तुरंत सूचना मुहैया करवाने को कहा। जिसके बाद आवेदक को मांगी गई सूचना भी सुनवाई के दौरान मुहैया करवा दी गई। जानकारी के अनुसार उपतहसील बालीचौकी के सुधराणी गांव निवासी आरटीआई कार्यकर्ता संतराम ने सदर तहसील के तहसीलदार अजय पराशर से सूचना के अधिकार के तहत 19 जून 2013 को सूचना मांगी थी कि दिसंबर 2012 से मार्च 2013 तक निशानदेही के कितने आवेदन तहसील में किये गये हैं। इसके अलावा उन्होने यह सूचना भी चाही थी कि इन दिनों निशानदेही के लिए राजस्व विभाग के सेवानिवृत अधिकारियों व कर्मचारियों की सेवा ली जा रही है। इसके लिए सरकार की ओर से क्या निर्देश जारी किये गये हैं। जन सूचना अधिकारी तहसीलदार सदर ने उन्हे 16 जुलाई 2013 को एक पत्र जारी करके निर्धारित शुल्क जमा करवाने के बाद सूचना प्राप्त करने को कहा। लेकिन हास्यास्पद यह है कि इस पत्र को तहसील से डाकघर तक पहुंचने में 17 दिनों का वक्त लगा क्योंकि पत्र पर डाकघर की मोहर 2 अगस्त 2013 की लगी थी। पत्र मिलने पर आरटीआई कार्यकर्ता जब सूचना लेने के लिए उनके कार्यालय गए तो उन्हे बताया गया कि अभी सूचना तैयार ही नहीं है। ऐसे में संतराम ने 6 अगस्त 2013 को प्रथम अपीलीय अधिकारी (उपायुक्त) मंडी के पास प्रथम अपील दायर की थी। उपायुक्त मंडी ने सूचना अधिकारी को तीन दिन के भीतर आवेदक को सूचना मुहैया करवाने के आदेश दिये थे। लेकिन जन सूचना अधिकारी ने तीन दिनों के भीतर सूचना मुहैया करने के आदेशों की मानना भी नहीं की और उन्हे सूचना से वंचित रखा। ऐसे में संतराम ने सूचना हासिल करने के लिए राज्य सूचना आयुक्त का दरवाजा खटखटाया। राज्य सूचना आयुक्त के डी बातिश के न्यायलय ने द्वितीय अपील की सुनवाई के दौरान जन सूचना अधिकारी को तलब किया था। जहां पर जन सूचना अधिकारी व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहे। राज्य सूचना आयुक्त ने आवेदक संतराम को सूचना मुहैया करवाने में लापरवाही बरतने पर जन सूचना अधिकारी को कडी फटकार लगाई और आवेदक के पक्ष में 2000 रूपये हर्जाना एक माह में अदा करने का आदेश दिया। राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि यह दुर्भाग्यपुर्ण है कि आवेदक को एक छोटी से सूचना हासिल करने के लिए राज्य सूचना आयोग शिमला के कार्यालय तक तीन बार आना पडा। राज्य सूचना आयुक्त ने आवेदक के पक्ष में तुरंत सूचना मुहैया करने के आदेश भी दिये। जिस पर जन सूचना अधिकारी की ओर से आवेदक को सुनवाई के दौरान ही सूचना मुहैया करवा दी गई।

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