Saturday, 5 July 2014

टीसीपी के संशोधित नियम हों निरस्त


मंडी। मकान नियमितीकरण संघर्ष समिति ने टाउन एंड कंटरी प्लानिंग अधिनियम के संशोधित नियमों को निरस्त करने के लिए मुखयमंत्री वीरभद्र सिंह को ज्ञापन प्रेषित किया है। समिति ने इस संदर्भ में सरकार की बनाई गई प्रवर समिति के अध्यक्ष और सदस्यों को भी ज्ञापन प्रेषित करके इन नियमों को तत्काल निरस्त करने की मांग की है। समिति के अध्यक्ष अमर चंद वर्मा, संयोजक उतम चंद सैनी और सचिव समीर कश्यप ने संयुक्त ब्यान में बताया कि समिति ने मकान नियमितीकरण की प्रक्रिया सरल और कम शुल्क पर करने के लिए प्रदेश सरकार को मुखयमंत्री के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किया है। उन्होने बताया कि टीसीपी के नियमों में पिछली सरकार के समय 25 अप्रैल 2012 को नियम 12 (2ए) के तहत संशोधन करके जोडा गया है। जो एक तुगलकी फरमान है और लोगों के लिए बेहद निर्दयतापूर्ण और तानाशाही कदम है। इस नियम के तहत अगर निर्माण से पहले टीसीपी विभाग की अनुमति नहीं ली जाती है या किसी व्यक्ति ने नक्शे के मुताबिक निर्माण नहीं किया है तो उन्हे 10 गुणा यानि 900 प्रतिशत जुर्माना भरना पडेगा। जो मकान बना रहे या बना चुके लोगों को अदा करना असंभव है क्योंकि जुर्माने की राशि निर्माण में खर्च की गई राशि से कई गुणा अधिक बनती है। ऐसे में इन नियमों के तहत मकानों का नियमितीकरण करना असंभव है। समिति ने सरकार से आग्रह किया है कि इन तानाशाही नियमों को तुरंत प्रभाव से निरस्त किया जाए। समिति के मुताबिक टीसीपी कानून बेहद जटिल और आम लोगों की पहुंच से बाहर है। लोगों को मकान बनाने के लिए पहले वास्तुकार से नक्शा बनवाना पडता है। जिसमें भारी राशी खर्च होती है। इसके बाद नक्शे को पास करवाने की प्रक्रिया भी भ्र्रष्टाचार से भरी हुई है। यही नहीं निर्माण पूरा हो जाने के बाद जब बिजली, पानी और सीवरेज जैसी मुलभूत सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए अनापती प्रमाण पत्र हासिल करना होता है तो एक बार फिर से लोगों को वास्तुकार की सेवाएं लेकर कार्य पूरा होने का नक्शा बनाना पडता है। जिसमें लोगों को फिर से भारी राशि खर्च करनी पडती है। इतनी राशि खर्च करने के बावजूद मौजूदा टीसीपी कानून के नियमों के तहत मकान का नियमितीकरण करवाना बेहद जटिल प्रक्रिया है। समिती का कहना है कि लोगों को वास्तुकार के पास भारी राशि खर्च करने से बचाने के लिए टीसीपी विभाग के वास्तुकार या सरकार की ओर से निशुल्क वास्तुकार की सेवाएं मुहैया करवाई जाए। जिससे लोगों को मकान बनाना आसान हो सके और सरकार की लोगों को राहत पहुंचाने वाली जनकल्याणकारी छवि सामने आ सके। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के पहाडी राज्य होने के कारण यहां पर जगह की कमी होने से टीसीपी के मौजूदा कानून लागू करना असंभव है। खासकर प्रदेश के पुराने शहरों और आबादियों में भूमि कई हिस्सेदारों में बंट गई है। ऐसे में टीसीपी के सैट बैक, फलोर एरिया रेशो और न्युनतम एरिया नियमों को लागू करना संभव नहीं है। इन प्रावधानों की पालना धनिक वर्ग तो कर सकता है लेकिन मध्यम और निमन वर्ग के लिए इन नियमों के तहत मकान बनाना असंभव है। समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार भी अब भूमीहीन लोगों को दो बिस्वा भूमि देने की निती पर काम कर रही है। लेकिन इतनी भूमि में टीसीपी के तहत मकान बनाना संभव नहीं है। जिससे इन मकानों का नियमितीकरण संभव नहीं है। समिति के अनुसार जो मकान पहले से बना दिये गए हैं उन पर टीसीपी के मौजूदा प्रावधानों को लागू नहीं किया जाना चाहिए। क्योंकि इन मकानों के नक्शे बनाना और इन्हे पास करवाना अब संभव नहीं है। जिन लोगों ने अपनी जमीन पर मकानों का निर्माण कर दिया है लेकिन नक्शा पास नहीं है या उन्होने नक्शे के मुताबिक निर्माण नहीं किया है उन्हे अनाधिकृत घोषित न किया जाए। इन मकानों को कम से कम शुल्क पर एकमुश्त छूट देकर नियमित किया जाए। जिससे उन्हे बिजली, पानी आदि के लिए अनापति प्रमाण पत्र जारी किया जा सके। समिति ने मांग की है कि मौजूदा टीसीपी कानून के प्रावधानों को नयी कलौनियों और सरकारी भवनों पर ही लागू किया जाए।

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