Friday, 18 July 2014

अधिवक्ता की फीस ब्याज सहित अदा करने के आदेश


मंडी। अदालत ने मुवक्किल को अधिवक्ता की 3000 रूपये फीस ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। मुवक्किल प्रतिवादी को यह फीस 5 प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करनी होगी। मंडी के सिविल जज (जूनियर डिविजन) कोर्ट नंबर दो रमणीक शर्मा के न्यायलय ने मंडी कोर्ट के अधिवक्ता पुष्प राज शर्मा की ओर से दायर फीस रिकवरी के दावे को डिक्री करते हुए प्रतिवादी सुंदरनगर तहसील के तरोट (कनैड) गांव की निवासी राज कुमारी पत्नी निक्का राम को वादी अधिवक्ता के पक्ष में उक्त फीस की राशि ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। अधिवक्ता अरविंद कपूर के माध्यम से अदालत में दायर दीवानी वाद के तथ्यों के अनुसार वादी अधिवक्ता पुष्प राज शर्मा जिला अदालत में वर्ष 1986 से बतौर अधिवक्ता कार्य कर रहे हैं। अप्रैल 2005 में प्रतिवादी ने उन्हे मोटर वाहन अधिनियम की क्लेम पेटिशन राज कुमारी बनाम कर्म चंद तथा अन्य में बतौर अधिवक्ता नियुक्त किया। इस पेटिशन में प्रतिवादी के पक्ष में क्लेम देने का फैसला 25 अप्रैल 2009 को हुआ था। अधिवक्ता को केस सौंपते समय प्रतिवादी ने उन्हे फैसला होने के बाद फीस देना तय किया था। हालांकि प्रतिवादी को वर्ष 2009 में क्लेम की राशि मिल गई थी। लेकिन राशि मिलने के बाद प्रतिवादी ने अधिवक्ता से तय की गई फीस अदा नहीं की। जिस पर अधिवक्ता ने प्रतिवादी को 25 मार्च 2012 को कानूनी नोटीस जारी करके फीस अदा करने को कहा था। लेकिन प्रतिवादी के कोई जवाब न देने पर अधिवक्ता ने यह दीवानी दावा अदालत में पेश किया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि दोनों पक्षों की सुनवाई और रिकार्ड में लाये गए साक्ष्यों से यह सपष्ट हुआ है कि वादी को प्रतिवादी ने क्लेम पेटिशन में बतौर अधिवक्ता नियुक्त किया था। वादी की ओर से अदालत में कानूनी नोटिस की कापी पेश की गई जिसमें फीस की मांग की गई थी। इसके अलावा अधिवक्ता टी आर पठानिया ने भी वादी को फीस अदा न करने के बारे में अदालत के समक्ष ब्यान किया था। जबकि प्रतिवादी की ओर से अपने तर्कों को साबित करने के लिए कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया। इन परिस्थितियों में अदालत ने अपने फैसले में कहा कि वादी की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर प्रतिवादी से फीस की राशि प्राप्त न होने का वाद साबित हुआ है। जिसके चलते अदालत ने प्रतिवादी को वादी अधिवक्ता की फीस की राशि ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है।

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