मंडी। उपमंडलाधिकारी सदर के न्यायलय ने सदर और बल्ह ब्लॉक के 103 वर्तमान व पूर्व पंचायत प्रतिनिधियों को आईआरडीपी की सूचि से बाहर निकालने के निर्देश दिये हैं। अदालत ने अगली ग्राम सभा में इन प्रतिनिधियों की जगह पात्र लोगों को सूचि में शामिल करने को कहा है। पंचायत प्रतिनिधियों को आईआरडीपी सूचि से बाहर निकालने की यह कवायद सूचना के अधिकार का परिणाम है। आरटीआई एक्टिविस्ट देव आशीष भट्टाचार्य ने प्रदेश सरकार के पंचायती राज विभाग से यह सूचना मांगी थी कि प्रदेश में ऐसे कितने पंचायत प्रतिनिधि हैं जो आईआरडीपी की सूचि में शामिल हैं। जिस पर उन्हे जवाब मिला था कि प्रदेश भर में ऐसे प्रतिनिधियों की संख्या करीब 10,000 है। इसके बाद उन्होने विभाग से पूछा था कि इन प्रतिनिधियों को सूचि से हटाने के लिए क्या कार्यवाही की जा रही है। जिस पर पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव ने सभी उपायुक्तों को निर्देश देकर इन सूचियों को रिव्यु करने को कहा था। इन आदेशों के तहत उपमंडलाधिकारी सदर की ओर से सदर उपमंडल के बल्ह और सदर खंडों के बीडीओ और तहसीलदार को ऐसे मामलों की सूचियां देने को कहा था जिसमें पंचायत प्रतिनिधी आईआरडीपी वर्ग में आने की पात्रता नहीं रखते हैं। अदालत ने प्रारंभिक जांच के बाद उपमंडल के 110 पंचायत प्रतिनिधियों को तलब करके अपना पक्ष रखने को कहा था। वहीं पर इन प्रतिनिधियों से संबंधित परिवार रजिस्टर, आय प्रमाण पत्र तथा उनसे संबंधित अन्य रिकार्ड भी मंगवाया गया था। अदालत ने प्रतिनिधियों को सुनवाई का मौका देने के बाद 103 पंचायत प्रतिनिधियों को आईआरडीपी वर्ग के लिए पात्र नहीं माना। इनमें से बल्ह खंड के 66 और सदर खंड के 37 पंचायत प्रतिनिधि शामिल हैं। उपमंडलाधिकारी सदर शुभकरण सिंह ने वर्तमान व पूर्व पंचायत प्रतिनिधियों के नाम आईआरडीपी सूचि से हटाने के आदेशों की पुष्टि की है। उन्होने बताया कि पंचायत सचिवों को निर्देश जारी किये गए हैं कि आगामी ग्राम सभा में इन प्रतिनिधियों को आईआरडीपी सूचि से हटाया जाए और उनकी जगह पर पात्र लोगों को सूचि में शामिल किया जाए। Thursday, 27 March 2014
103 वर्तमान व पूर्व पंचायत प्रतिनिधि आईआरडीपी सूचि से हटेंगे
मंडी। उपमंडलाधिकारी सदर के न्यायलय ने सदर और बल्ह ब्लॉक के 103 वर्तमान व पूर्व पंचायत प्रतिनिधियों को आईआरडीपी की सूचि से बाहर निकालने के निर्देश दिये हैं। अदालत ने अगली ग्राम सभा में इन प्रतिनिधियों की जगह पात्र लोगों को सूचि में शामिल करने को कहा है। पंचायत प्रतिनिधियों को आईआरडीपी सूचि से बाहर निकालने की यह कवायद सूचना के अधिकार का परिणाम है। आरटीआई एक्टिविस्ट देव आशीष भट्टाचार्य ने प्रदेश सरकार के पंचायती राज विभाग से यह सूचना मांगी थी कि प्रदेश में ऐसे कितने पंचायत प्रतिनिधि हैं जो आईआरडीपी की सूचि में शामिल हैं। जिस पर उन्हे जवाब मिला था कि प्रदेश भर में ऐसे प्रतिनिधियों की संख्या करीब 10,000 है। इसके बाद उन्होने विभाग से पूछा था कि इन प्रतिनिधियों को सूचि से हटाने के लिए क्या कार्यवाही की जा रही है। जिस पर पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव ने सभी उपायुक्तों को निर्देश देकर इन सूचियों को रिव्यु करने को कहा था। इन आदेशों के तहत उपमंडलाधिकारी सदर की ओर से सदर उपमंडल के बल्ह और सदर खंडों के बीडीओ और तहसीलदार को ऐसे मामलों की सूचियां देने को कहा था जिसमें पंचायत प्रतिनिधी आईआरडीपी वर्ग में आने की पात्रता नहीं रखते हैं। अदालत ने प्रारंभिक जांच के बाद उपमंडल के 110 पंचायत प्रतिनिधियों को तलब करके अपना पक्ष रखने को कहा था। वहीं पर इन प्रतिनिधियों से संबंधित परिवार रजिस्टर, आय प्रमाण पत्र तथा उनसे संबंधित अन्य रिकार्ड भी मंगवाया गया था। अदालत ने प्रतिनिधियों को सुनवाई का मौका देने के बाद 103 पंचायत प्रतिनिधियों को आईआरडीपी वर्ग के लिए पात्र नहीं माना। इनमें से बल्ह खंड के 66 और सदर खंड के 37 पंचायत प्रतिनिधि शामिल हैं। उपमंडलाधिकारी सदर शुभकरण सिंह ने वर्तमान व पूर्व पंचायत प्रतिनिधियों के नाम आईआरडीपी सूचि से हटाने के आदेशों की पुष्टि की है। उन्होने बताया कि पंचायत सचिवों को निर्देश जारी किये गए हैं कि आगामी ग्राम सभा में इन प्रतिनिधियों को आईआरडीपी सूचि से हटाया जाए और उनकी जगह पर पात्र लोगों को सूचि में शामिल किया जाए।
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