Friday, 21 March 2014

साइबर क्राइम में है उम्र कैद का प्रावधान


 मंडी। कंप्युटर, इंटरनेट, डिजिटल डिवाइसेज, वर्ल्ड वाइड वेब आदि के जरिए किए जाने वाले अपराधों का साइबर क्राइम कहा जाता है। इन अपराधों के लिए छोटे-छोटे जुर्माने से लेकर उम्र कैद तक की सजा दी जा सकती है। दुनिया भर में सुरक्षा और जांच एजेंसियां साइबर अपराधों को बहुत गंभीरता से ले रही हैं। ऐसे मामलों में सूचना तकनीक कानून 2000 और सूचना तकनीक (संशोधन) कानून 2008 तो लागू होते ही हैं, मामले के दूसरे पहलुओं को ध्यान में रखते हुए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), कॉपीराइट कानून 1957, कंपनी कानून, सरकारी गोपनीयता कानून और यहां तक कि बिरले मामलों में आतंकवाद निरोधक कानून भी लागू किये जा सकते हैं। कुछ मामलों पर भारत सरकार के आईटी विभाग की तरफ से अलग से जारी किए गए आईटी नियम 2011 भी लागू होते हैं। आईटी अधिनियम 2000 की धारा 65 के तहत कंप्युटर सोर्स दस्तावेजों से छेडखानी करने और धारा 66 के तहत कंप्युटर सिस्टम को हैक करने पर तीन साल कारावास और दो लाख रूपये जुर्माने की सजा है। अधिनियम की धारा 67 के तहत इलैक्ट्रोनिक रूप से अश्लील सूचना प्रकाशित करने पर पहले अपराध में पांच साल तक कारावास व एक लाख जुर्माना तथा दूसरे अपराध में दस साल तक कारावास और दो लाख रूपये जुर्माना हो सकता है। किसी अन्य के रूप में अपने को प्रदर्शित करने पर धारा 71 के तहत और किसी की निजता का हनन करने पर धारा 72 के तहत दो साल तक की सजा और एक लाख जुर्माना हो सकता है। 

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