मंडी। मकान नियमितिकरण संघर्ष समिति (मंडी) ने प्रदेश सरकार से टीसीपी की प्रक्रिया सरल और कम शुल्क पर करके लोगों को राहत प्रदान करने की मांग की है। समिति के अध्यक्ष अमर चंद वर्मा, संयोजक उत्तम चंद सैनी और सचिव समीर कश्यप ने संयुक्त ब्यान में कहा कि इस बारे में मुखयमंत्री वीरभद्र सिंह को ज्ञापन प्रेषित किया गया है। उन्होने बताया कि हिमाचल प्रदेश एक पहाडी राज्य है और यहां कई पुराने शहर और आबादियां हैं। लेकिन मौजूदा टीसीपी कानून के प्रावधान पहाडी क्षेत्र की आवश्यकताओं और लोगों की जरूरतों के मुताबिक नहीं हैं। समिति के अनुसार मंडी शहर में लोगों ने जगह की कमी के कारण तीन-चार मंजिला भवन बिना सैट बैक आदि प्रावधानों के बना दिये हैं। कई मामलों में लोगों ने नगर परिषद और टीसीपी से नक्शे पास करा लेने के बाद उसमें बदलाव किए हैं। जबकि कुछ लोगों ने अपनी ही जमीन पर बिना अनुमति के निर्माण कर दिया है। लेकिन इन प्रावधानों के तहत उन्हे अनाधिकृत घोषित किया गया है। शहरवासियों को इन निमार्णों की स्वीकृति अब नगर परिषद और टीसीपी कानूनों के तहत असंभव हो गई है। टीसीपी के विगत 25 अप्रैल 2012 को संशोधित नियमों में बिना अनुमति के निर्माण पर दंड के रूप में साधारण फीस से 10 गुणा अधिक फीस देनी होगी। जो मकान के निर्माण के कीमत से भी अधिक बनती है। ऐसे में समिति यह मांग करती है कि इस दंडात्मक फीस को वापिस लिया जाए और संशोधित नियमों से पहले की स्थिति को बहाल किया जाए। इसके अलावा एक बार की छूट का प्रावधान करके लोगों को राहत पहुंचाई जाए। समिति का कहना है कि सैट बैक जैसे प्रावधान पुराने शहरों में संभव नहीं हैं और इन प्रावधानों को नये शहरों, कलौनियों व सरकारी भवनों पर ही लागू किया जाए। शहरों में जगह की कमी के कारण तीन-चार मंजिलों तक मकान बनाने की अनुमति दी जाए और न्युनतम क्षेत्र नियमों में छूट प्रदान की जाए। समिति ने मांग की है कि नगर परिषद और टीसीपी कानून के प्रावधानों के कारण नियमितिकरण से रोके गये मकानों को बिना देरी किए अनुमति प्रदान की जाए और उन्हे बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए अनापति प्रमाण पत्र तुरंत जारी किए जाएं।
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