मंडी। मकान नियमितिकरण संघर्ष समिति की बैठक शनिवार को आयोजित की गई। बैठक में नगर परिषद और नगर नियोजन अधिनियम से लोगों को आ रही परेशानी के बारे में चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए समिति के अध्यक्ष अमर चंद वर्मा ने कहा कि टीसीपी कानून के तहत नये क्षेत्रों को लाने से पहले स्थानिय लोगों से राय ली जानी चाहिए। इसके अलावा इन क्षेत्रों में टीसीपी कानून लागू करने से पहले लोगों को शहरीकरण के तहत मिलने वाली सुविधाएं देना सुनिश्चित करने के लिए निति तय की जानी चाहिए। समिति के संयोजक उत्तम चंद सैनी ने कहा कि इन कानूनों के प्रावधान पुराने शहरों और कस्बों में लागू नहीं किए जाने चाहिए और इन्हे सिर्फ नयी कालोनियों और शहरों में ही लागू किया जाना चाहिए। आरटीआई ब्युरो के संयोजक लवण ठाकुर का कहना था कि पुराने शहरों में इन कानूनों के सेट बैक आदि से संबंधित प्रावधानों को लागू किया ही नहीं जा सकता। ऐसे में इन प्रावधानों की आड में लोगों को बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित नहीं किया जाए और उन्हे अनापति प्रमाण पत्र जारी किए जाएं। संघर्ष समिति की कार्यकारिणी के सदस्य हितेन्द्र शर्मा के मुताबिक 25 अप्रैल 2012 में मकानों को नियमित करने की पैनेल्टी 10 गुणा कर दी गई है। जो बिल्कुल अव्यवहारिक है। अधिवक्ता प्रदीप परमार के अनुसार इसे न्युनतम किया जाना चाहिए। जबकि हरदीप सिंह बिट्टु का कहना था कि इन प्रावधानों को लागू करने के लिए व्यवसायिक बिंदु नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि यह मानवीय नजरीए से लागू होने चाहिए। संघर्ष समिति के प्रेस सचिव समीर कश्यप ने बताया कि बैठक में समिति के कोषाध्यक्ष रमेश वालिया, एम एल शर्मा, राकेश कुमार और प्रभावित लोग भी शामिल थे। उन्होने कहा कि समिति की अगली बैठक एक अप्रैल को निर्धारित की गई है।
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