मंडी। वन विभाग की लापरवाही और रखरखाव न होने के कारण कब्जे में लिए गए करोडों रूपये की कीमत के वाहन पूरी तरह से कंडम हो गए हैं। ये वाहन वन विभाग ने लकडी तस्करी के विभिन्न मामलों में कब्जे में लिये हैं। लेकिन पार्क करने की कोई जगह न होने के कारण इन्हे खुले आसमान के नीचे खडा किया गया है। मौसम की मार और सुरक्षित जगह न होने के कारण अधिकांश वाहन चलाने योगय नहीं रहे हैं।
वनमंडलाधिकारी मंडी की ओर से लकडी तस्करी के कथित मामलों में कब्जे में लिये गए इन वाहनों को खलियार स्थित डिपो में खुली जगह पर पार्क किया गया है। मामलों की सुनवाई में होने वाली देरी के कारण इन वाहनों पर जहां मौसम की मार पड रही है। वहीं पर चोरों के लिए भी पुर्जे चोरी करने के दरवाजे खुले हुए हैं। विभाग की बेरूखी के चलते वाहनों के मामले जब तक निस्तारित होते हैं तब तक यह सडक पर
चलाए जाने लायक नहीं रहे होते हैं। क्योंकि मौसम की मार से वाहनों की मशीनरी या तो गल सड जाती है या चोरों की सक्रियता से गायब हो जाती है। मामला खत्म होने पर जब वाहन के मालिक इन्हे रिलीज करवाने के लिए जाते हैं तो यह कबाड बन गए होते हैं और यह सडक पर चलाने योगय नहीं रहे होते हैं। ऐसे ही एक मामले में जिला बिलासपुर की नैणा देवी तहसील के नाल गांव निवासी जगदीश चंद के ट्रक को
वन विभाग ने कथित अवैध तस्करी करने के आरोप में कब्जे में लिया था। लेकिन केस जीत जाने के बाद जब वाहन मालिक ट्रक को रिलीज करवाने गए तो यह ट्रक पूरी तरह से कंडम हो चुका था। उनके अधिवक्ता दलीप सिंह ठाकुर ने बताया कि वाहन के पूरी तरह से कंडम हो जाने के कारण मालिक को लाखों रूपये का नुकसान हो गया है। जिसके लिए उन्होने वन विभाग के खिलाफ 25 लाख रूपये के नुकसान की भरपाई के
लिए सिविल कोर्ट में वाद चलाया है। वहीं पर नांडली (कटौला) निवासी दीपक शर्मा ने भी बताया कि उनका नया टिप्पर वन विभाग ने कब्जे में लिया था। लेकिन जब वह केस जीतने के बाद टिप्पर को रिलीज करवाने गए तो सारे वाहन को जंग लग चुका था और इसके सारे पुर्जे भी नदारद पाए गए। जिससे यह सडक पर चलाने लायक नहीं रहा था। उन्होने भी वन विभाग को हर्जाना अदा करने का नोटिस दिया है।
इधर, इस बारे में वनमंडलाधिकारी बी के बाबू से संपर्क किया गया तो उन्होने बताया कि वाहनों को पार्क करने के लिए विभाग के पास कोई सुविधा नहीं है। जिसके कारण इन्हे खुले में ही खडा करना पडता है। उन्होने बताया कि मामलों के लंबे समय तक लंबित रहने और अपील दर अपील चलते रहने के कारण यह वाहन नष्ट हुए हैं। उन्होने बताया कि अब सरकार की ओर से निर्देश आए हैं कि सुनवाई के दौरान वाहनों को सपूरदारी बांड लेकर मालिक के पक्ष में रिलीज किया जाए। उन्होने बताया कि इस समय मंडी में 24 वाहन वन विभाग के कब्जे में हैं। जिनमें से 13 वाहनों के अदालतों से फैसले हो गए हैं। कुछ वाहनों को जब्त कर लिया गया है। उन्होने वाहनों को होने वाले नुकसान के बारे में अदालत में केस दायर होने और विभाग को हर्जाना अदा करने के नोटिस प्राप्त होने की पुष्टि की है।
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