मंडी। सरकारी भूमि पर अतिक्रमण साबित होने के कारण अदालत ने एक चुनाव याचिका की अपील में ग्राम पंचायत सेहली के प्रधान का निर्वाचन निरस्त करने का फैसला सुनाया है। अदालत ने पंचायती राज अधिनियम का उल्लंघन करने के कारण उक्त फैसला सुनाया है। उपायुक्त मंडी देवेश कुमार के न्यायलय ने सेहली पंचायत के प्रधान भूरी सिंह की अपील को खारिज करते हुए उपमंडलाधिकारी सदर के फैसले को सही करार देते हुए उनके निर्वाचन को खारिज कर दिया है।
प्रधान भूरी सिंह ने उपमंडलाधिकारी सदर के 15 जनवरी 2014 के फैसले को चुनौती देते हुए यह अपील दायर की थी। इस मामले के तथ्यों के मुताबिक सेहली गांव निवासी हिममत राम ने उपमंडलाधिकारी के न्यायलय में पंचायती राज अधिनियम के तहत याचिका दायर करके सेहली पंचायत के प्रधान के निर्वाचन को चुनौती दी थी।
उन्होने इस आधार पर चुनाव याचिका दायर की थी कि उक्त प्रधान का निर्वाचन गैरकानूनी था क्योंकि उन्होने उपतहसील कोटली के सेहली मुहाल के खसरा नंबर 900 की 05-05-07 बीघा सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा किया है। उपमंडलाधिकारी ने याचिका को स्वीकारते हुए प्रधान भूरी सिंह के निर्वाचन को निरस्त कर दिया था।
जिसके चलते प्रधान ने उपायुक्त मंडी के न्यायलय में अपील दायर की थी। उपायुक्त मंडी के न्यायलय ने दोनो पक्षों की सुनवाई के बाद अपने फैसले में कहा कि इस मामले के रिर्काड से यह सपष्ट होता है कि भूरी सिंह ने सरकारी जमीन के नियमितीकरण के लिए आवेदन किया था। जिससे जाहिर होता है कि उन्होने सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया है।
इसके अलावा मामले के साक्ष्यों ने भी इस तथ्य को साबित किया है। ऐसे में अदालत ने माना कि अतिक्रमणकारी प्रधान के निर्वाचन से पंचायती राज अधिनियम की धारा 122 का उल्लंघन हुआ है। जिसके चलते न्यायलय ने उपमंडलाधिकारी सदर के न्यायलय को सही करार देते हुए प्रधान की अपील को खारिज कर दिया। अदालत ने इस मामले में यथास्थिति रखे जाने संबंधी आदेशों को भी निरस्त करने के आदेश देते हुए उपमंडलाधिकारी सदर को आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिये हैं।
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