Thursday 9 November 2017

अक्टूबर क्रान्ति की सौवीं वर्षगांठ पर विचार गोष्ठी आयोजित




मंडी। रूस की अक्टूबर क्रान्ति के सौ साल पूरे होने पर शहीद भगतसिंह विचार मंच की ओर से मंडी में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) के वरिष्ठ मजदूर नेता कामरेड प्रकाश पंत ने की। इस अवसर पर उन्होने अक्टूबर क्रान्ति की सौंवी वर्षगांठ पर दुनिया भर की मेहनतकश जनता को बधाई व शुभकामनाएं दी। उन्होने कहा कि सोवियत रूस में 7 नवंबर 1917 को शुरू हुई इस क्रान्ति ने तात्कालीन विश्व को हिला कर रख दिया था। इस पहली सफल समाजवादी क्रान्ति ने आंतरिक संकटों और विदेशी घेराबंदी को झेलते हुए दुनिया के सभी गुलाम राष्ट्रों की आजादी की लड़ाई को हर प्रकार की मदद पहुंचाई। इस क्रान्ति का अमिट प्रभाव हमारे देश के क्रान्तिकारी आंदोलन और स्वतंत्रता आंदोलन पर पड़ा। उन्होने कहा कि शहीदेआज़म भगतसिंह और अन्य कई क्रान्तिकारी समूहों पर रूसी क्रान्ति और उसके नेता लेनिन का गहरा प्रभाव पड़ा था। शहीद भगतसिंह विचार मंच के संयोजक समीर कश्यप ने बताया कि सोवियत समाजवाद के प्रयोगों ने लगभग 40 सालों में ही रूस को मध्ययुगीन पिछड़ेपन, बर्बरता और गरीबी से उसे दुनिया की सबसे तेज बढ़ती और दूसरी सबसे बड़ी औद्योगिक शक्ति में तब्दील कर दिया। रूस ने यह मुकाम मात्र 40 सालों में सन 1956 में ही हासिल कर लिया था जिसे हासिल करने में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस व जर्मनी को डेढ़ सौ साल लग गए थे। रूस ने इन सालों में ही बेरोजगारी, गरीबी व भुखमरी को पूरी तरह से खत्म कर दिया था। सोवियत संघ ने स्त्रियों को चूल्हे-चौखट से मुक्त कर सार्वजनिक जीवन का भागीदार बनाया, वेश्यावृति का खात्मा किया और महिलाओं को मताधिकार देने वाला दुनिया का दूसरा देश बना था। अखिल भारतीय किसान सभा के कामरेड अमर चंद वर्मा ने कहा कि किसी देश में समाजवाद आ जाने के बाद भी कई तरह की असमानताएं मौजूद रहती हैं। जिनमें शारीरिक श्रम और मानसिक श्रम, कारखाने और खेती के काम और गांव व शहर की महान असमानताएं शामिल हैं। इन असमानताओं के कारण समाजवादी समाज के भीतर भी नए किस्म के पूंजीवादी तत्व मजबूत होते रहते हैं और समय रहते इन खरपतवारों को नष्ट करके जमीन की अच्छी तरह निराई-गुडाई और कीटनाशक का छिडकाव न किया जाए तो यह समाजवाद की पूरी फसल तबाह कर डालते हैं। भारतीय कमयुनिस्ट पार्टी के जिला संगठन सचिव ललित ठाकुर ने कहा कि पूंजीवादी भोंपू लगातार चिल्ला रहे हैं कि समाजवाद फेल हो गया है। उन्होने कहा कि इतिहास बोध हमें बताता है कि अतीत में भी क्रान्तियों के शुरूआती संस्करण असफल होते रहे हैं। दास विद्रोहों को 7-8 सौ सालों तक कुचलने के बाद सामंतवाद आया था और सामंतवाद से संघर्ष में निर्णायक विजय हासिल करने में पूंजीपति वर्ग को करीब चार सौ साल लगे थे। जबकि मार्क्सवाद के सिद्धांत को जन्में तो अभी मात्र 150 साल हुए हैं और यह विश्व के लिए सबसे नवीनतम वैज्ञानिक व मानवतावादी सामाजिक व्यवस्था है। शहीद भगतसिंह विचार मंच के कार्यकारिणी सदस्य सुशील चौहान ने कहा कि आज पूंजीवाद पूरी दुनिया को युद्ध, गरीबी, बर्बरता, भुखमरी, बेरोजगारी और पर्यावरणीय विनाश के अलावा कुछ नहीं दे सकता है। यदि हम इसका विकल्प नहीं तलाशते हैं तो हमारी आने वाली पीढिय़ां और इतिहास हमें कठघरे में खड़ा करेगा।
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मंडी में बनाया जाए आधुनिक पुस्तकालयः शहीद भगत सिंह विचार मंच

मंडी। प्रदेश की सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी मंडी में आधुनिक और बेहतरीन पुस्तकालय के निर्माण की मांग की गई है। इस संदर्भ में शहर की संस्...